42 साल बाद बैडमिंटन में भारत ने लिखी एक और गौरवगाथा
इंग्लैंड ओपन की जीत के लम्बे समय बाद थॉमस कप फतह
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। भारत की पुरुष बैडमिंटन टीम ने 14 बार की चैम्पियन इंडोनेशिया को हराकर थॉमस कप का खिताब अपने नाम किया है। यह पहला मौका है, जब टीम इंडिया ने यह खिताब जीता है। इससे पहले कभी भी भारतीय टीम इस प्रतियोगिता के फाइनल में भी नहीं पहुंची थी। फाइनल में भारत ने इंडोनेशिया को 3-0 के अंतर से हराकर एकतरफा जीत दर्ज की और इतिहास रच दिया। इस खेल में भारत के उदय की शुरुआत 42 साल पहले प्रकाश पादुकोण के ऑल इंग्लैंड ओपन जीतने से हुई थी।
रविवार को भारतीय बैडमिंटन टीम ने इतिहास रचा है। यह पहला मौका है, जब टीम के रूप में भारत ने अच्छा प्रदर्शन किया है। इससे पहले व्यक्तिगत रूप से कई खिलाड़ी बैडमिंटन में देश का नाम रोशन कर चुके हैं। यहां हम बैडमिंटन में भारतीय खिलाड़ियों की उपलब्धियां बताने की कोशिश कर रहे हैं।
1980 में प्रकाश पादुकोण ने ऑल इंग्लैंड ओपन जीता
साल 1980 में पहली बार किसी भारतीय ने बैडमिंटन कोर्ट पर अपना लोहा मनवाया था। प्रकाश पादुकोण ने 23 मार्च, 1980 को इंग्लैंड के वेम्बली स्टेडियम में ऑल इंग्लैंड ओपन का खिताब अपने नाम किया था। 24 साल के प्रकाश यह खिताब जीतने वाले पहले भारतीय बने थे। उनकी यह उपलब्धि पूरे देश के लिए हर मायने में खास थी। पहली बार भारत ने इस खेल में वैश्विक स्तर पर जीत का स्वाद चखा था। उन्होंने बिना कोई गेम हारे यह प्रतियोगिता अपने नाम की थी। फाइनल में उन्होंने इंडोनेशिया के लिएम स्वी को 15-3, 15-10 के अंतर से मात दी थी।
2001 में पुलेला गोपीचंद ने दोहराया प्रकाश का कारनामा
प्रकाश पादुकोण के ऑल इंग्लैंड ओपन जीतने के 21 साल बाद फिर एक भारतीय ने यह खिताब अपने नाम किया। पुलेला गोपीचंद यह खिताब जीतने वाले दूसरे भारतीय बने थे। 11 मार्च, 2001 को फाइनल मैच में उन्होंने चीन के चेन हॉन्ग को 15-12, 15-6 से हराकर यह खिताब जीता था। भारतीय बैडमिंटन के इतिहास में यह दूसरी सबसे बड़ी उपलब्धि थी।
2012 में साइना ने पहली बार ओलम्पिक में पदक दिलाया
पूर्व नंबर एक बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल ने पहली बार ओलम्पिक में भारत का परचम लहराया था। नेहवाल ने 2012 में हुए लंदन ओलम्पिक में कांस्य पदक अपने नाम किया था। वो पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी थीं, जिन्होंने ओलम्पिक में कोई पदक जीता। इससे पहले 2008 में हुए बीजिंग ओलम्पिक में साइना को क्वार्टर फाइनल में हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन अपने अगले ही ओलम्पिक में उन्होंने देश को पदक दिलाया।
पीवी सिंधु ने 2016 और 2021 में बढ़ाया देश का मान
साइना नेहवाल के बाद पीवी सिंधु ने बैडमिंटन में देश का नाम ऊंचा करने की ठानी। साल 2016 में उन्होंने रियो ओलम्पिक में देश को रजत पदक जिताया। इसके बाद 2021 में भी टोक्यो ओलम्पिक में कांस्य पदक जीता। इसके साथ ही वो पहली भारतीय महिला बन गईं, जिन्होंने लगातार दो ओलम्पिक में पदक जीता। 2019 में सिंधु ने विश्व चैम्पियनशिप भी जीती और यह कारनामा करने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं। वो भी बैडमिंटन रैंकिंग में पहले स्थान पर रहीं। आने वाले समय में उनसे और बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है।
किदांबी श्रीकांत ने चार खिताब जीते और नंबर एक खिलाड़ी बने
साल 2017 में किदांबी श्रीकांत ने अपने शानदार प्रदर्शन से सभी को चौकाया। उन्होंने एक साल के अंदर चार सुपर सीरीज खिताब जीते और ऐसा करने वाले पहले भारतीय बने। उनसे पहले सिर्फ चार पुरुष खिलाड़ी एक साल के अंदर चार सुपर सीरीज खिताब जीत पाए थे। श्रीकांत ने विश्व बैडमिंटन रैंकिंग में पहला स्थान भी हासिल किया। उनसे पहले सिर्फ प्रकाश पादुकोण ही ऐसे भारतीय पुरुष खिलाड़ी थे, जो बैडमिंटन रैंकिंग में पहले स्थान में पहुंचे थे।
विश्व चैम्पियनशिप में लक्ष्य सेन और श्रीकांत का कमाल
दिसंबर 2021 में हुई विश्व चैम्पियनशिप में एक बार फिर भारतीय खिलाड़ियों ने कमाल किया। श्रीकांत विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदक जीतने वाले पहले भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी बने। फाइनल मैच में उन्हें सिंगापुर के लोह कीन के खिलाफ 15-21, 20-22 के अंतर से हार का सामना करना पड़ा। इसी प्रतियोगिता में लक्ष्य सेन ने कांस्य पदक अपने नाम किया और इस प्रतियोगिता में कोई पदक जीतने वाले सबसे युवा भारतीय पुरुष खिलाड़ी बने। उन्होंने सिर्फ 20 साल की उम्र में यह खिताब जीता।
थॉमस कप में इंडोनेशिया को हराया
2022 में भारतीय बैडमिंटन टीम ने थॉमस कप अपने नाम किया। फाइनल मैच में 14 बार की चैम्पियन इंडोनेशिया को 3-0 से मात दी। इस प्रदर्शन की तुलना क्रिकेट टीम के 1983 विश्व कप जीतने से हो रही है। इस प्रतियोगिता में युवा लक्ष्य सेन, किदांबी श्रीकांत, एचएस प्रणय और चिराग-सात्विक की जोड़ी ने कमाल का प्रदर्शन किया। पहले मैच में लक्ष्य सेन ने जीत दिलाई फिर चिराग और सात्विक की जोड़ी भी जीती। तीसरे मैच में श्रीकांत ने जॉनथन क्रिस्टी को हराकर भारत को ऐतिहासिक जीत दिला दी।