उम्मीद जगाकर विदा लेता साल

खेल के मैदान पर इस साल भारतीय क्रिकेट टीम को टी-20 विश्व कप में अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई, पर टोक्यो भारत के लिए इतिहास का सबसे सफल ओलम्पिक रहा है। साल का अंत होते-होते स्पेन में हुई विश्व बैडमिंटन प्रतियोगिता में भारत के किदांबी श्रीकांत और लक्ष्य सेन दो पदक हासिल करने में सफल हुए हैं। यह पहला मौक़ा है, जब भारतीय पुरुष खिलाड़ी इस चैम्पियनशिप में दो पदकों के साथ लौटे हैं। 
साल का अंत होते-होते ढाका में हुई हॉकी की एशियन चैम्पियनशिप ट्रॉफी में भी भारतीय टीम की सफलता उल्लेखनीय है। नीरज चोपड़ा ने गोल्ड मेडल के साथ ओलम्पिक प्रतियोगिता के एथलेटिक्स वर्ग में पदकों का सूखा खत्म किया है, साथ ही पदकों की संख्या के लिहाज से भारत ने सबसे ज्यादा सात पदक हासिल किए। लम्बे अरसे के बाद हमारी हॉकी टीम ने ओलम्पिक में पदक हासिल किया। यह असाधारण उपलब्धि है, हालांकि भारत को इस बार इससे बेहतर की आशा थी। 
खासतौर से शूटिंग, तीरंदाजी बॉक्सिंग और कुश्ती में जो हमारी उम्मीद थी, वह पूरी नहीं हुई। हमारा स्तर बेहतर हो रहा है। इस बार की सफलता हमारे आत्मविश्वास में जबर्दस्त बढ़ोत्तरी करेगी। जिस तरह से पूरे देश ने नीरज के स्वर्ण और हॉकी टीम के कांस्य पदक जीतने पर खुशी जाहिर की है, उससे लगता है कि खेलों के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।

रिलेटेड पोस्ट्स