जनाब! खेलें या मैदान साफ करें खिलाड़ी

ऐसे स्मार्ट ग्वालियर को लानत

खेलपथ प्रतिनिधि

ग्वालियर। खेल मैदानों में खेल से इतर समारोह नहीं होंगे, यह शिवराज सरकार की प्राथमिकता में है। हम ग्वालियर को स्मार्ट ग्वालियर कहकर इतराते हैं। प्रशासन स्वयं की पीठ ठोकता है तो जनप्रतिनिधि विकास की बलैयां लेते हैं लेकिन शहर के हृदय स्थल पुराने ग्वालियर के जे.सी. मिल महाविद्यालय का क्रीड़ांगन इस बात की चुगली करता है कि यहां इंसान नहीं रहते।

शादी समारोह के बाद शराब-शबाब की सुबह यहां नियमित फुटबॉल प्रशिक्षण लेते खिलाड़ियों की उम्मीदों पर वज्राघात करती है। खेलने से पहले खिलाड़ी बेटियों को मैदान की गंदगी साफ करने को मजबूर होना पड़ता है। यह सब प्रशासन को न दिखना हैरत की बात है। खिलाड़ियों की सुविधाओं और बेहतर अभ्यास के उद्देश्य से खेल मैदानों को बनाया जाता है। जे.सी. मिल-बिरला नगर क्षेत्र में खिलाड़ियों के अभ्यास को बहुत कम खेल मैदान हैं, जो हैं उन पर अराजकता पैर पसारे है। दरअसल, जे.सी. मिल महाविद्यालय क्षेत्र के क्रीड़ांगन की दुर्दशा जिम्मेदार अधिकारियों की कर्तव्य-विमुखता का सूचक है।

जिस मैदान में बड़ी संख्या में खेल प्रतिभाएं नियमित अभ्यास करती हों उन क्रीड़ांगनों को शादी समारोहों के लिए देना एक तरह से खेल और खेल प्रतिभाओं की राह का रोड़ा बनना है। ग्वालियर तरक्की कर रहा है लेकिन कभी खिलाड़ियों की शानों शौकत की मिसाल रहा जे.सी. मिल क्षेत्र का यह क्रीड़ांगन अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। ऐसी स्थितियां खिलाड़ियों के भविष्य पर सबसे बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करती हैं। इस मैदान में बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं, लेकिन इस क्षेत्र की जुनूनी खेल प्रतिभाएं हर सुबह स्वच्छता अभियान चलाकर फुटबॉल का प्रशिक्षण हासिल करती हैं।

जिला फुटबॉल संघ ग्वालियर के फुटबॉल प्रशिक्षक विनय कदम नियमित रूप से इस मैदान में प्रतिभाओं का हुनर निखारते देखे जा सकते हैं। कदम खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने के साथ इस मैदान की रखवाली भी करते हैं। मैदान के पेड़-पौधों को जीवन देने की खातिर इन्होंने मैदान के चारों ओर पानी की पाइप लाइन भी बिछवाई है। खिलाड़ियों से बात करने पर वह निराश मन से कहते हैं कि खेल मैदान में आवारा पशुओं का जमावड़ा रहता है। शाम होते ही असामाजिक तत्व यहां शराब-शबाब में डूब जाते हैं। लोग ड्राइविंग सीखते हैं, मना करने पर आंखें दिखाते हैं। इस मैदान में पड़ी गंदगी तथा शराब और बीयर की बोतलें व केन देखकर ग्वालियर के खेलप्रेम का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

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