खेलो इंडिया यूथ गेम्स में सोने-चांदी से चमके दतिया के होनहार

थांग ता मार्शल आर्ट में अंजली को स्वर्ण तो सत्यम की चांदी
खेलपथ संवाद
ग्वालियर। मध्य प्रदेश में खेलों की तरक्की पर बेशक अरबों रुपया पानी की तरह बहाया जा रहा हो, विभिन्न खेलों की डेढ़ दर्जन एकेडमियां खोल दी गई हों लेकिन खिलाड़ी कामयाबी की पटरी पर सरपट दौड़ने की बजाय औंधे मुंह गिर रहे हैं तथा खेलनहार मनगढ़ंत कहानियां सुना रहे हैं। शाबासी देनी होगी दतिया के होनहार खिलाड़ियों अंजली रावत और सत्यम दांगी की जिन्होंने मुफलिसी की बाधा पार करते हुए पारम्परिक खेल थांग ता मार्शल आर्ट में प्रदेश को सोने और चांदी के तमगे दिलाए।
देखा जाए तो बिहार में चार से 15 मई तक हुए सातवें खेलो इंडिया यूथ गेम्स में मध्य प्रदेश के खिलाड़ियों का प्रदर्शन ताली पीटने वाला नहीं रहा। प्रतियोगिता में मध्य प्रदेश के 176 खिलाड़ियों ने 18 खेल स्पर्धाओं में हिस्सा लिया लेकिन 53 सदस्यीय सपोर्टिंग दल भी उनमें जोश पैदा नहीं कर सका, नतीजन मध्य प्रदेश के खिलाड़ी 10 स्वर्ण, नौ रजत तथा 13 कांस्य सहित कुल 32 पदक ही जीत सके। पदकतालिका में मध्य प्रदेश ने 10वां स्थान हासिल किया। यद्यपि 2024 में तमिलनाडु में हुए छठे खेलो इंडिया यूथ गेम्स की अपेक्षा इस बार मध्य प्रदेश के खिलाड़ियों ने दो पदक अधिक जीते लेकिन इसे खेल तरक्की का सूचक नहीं माना जा सकता। मध्य प्रदेश के खिलाड़ियों ने 2024 में छह स्वर्ण, 12 रजत तथा 12 कांस्य सहित कुल 30 पदक जीते थे और पदकतालिका में 14वां स्थान हासिल किया था।
खेलो इंडिया यूथ गेम्स के अब तक हुए सात संस्करणों में मध्य प्रदेश का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2023 में देखने को मिला था। तब प्रदेश के खिलाड़ियों ने अपने क्रीड़ांगनों में कमाल का प्रदर्शन करते हुए 39 स्वर्ण, 30 रजत, 27 कांस्य सहित कुल 96 पदक जीतकर महाराष्ट्र, हरियाणा के बाद पदकतालिका में तीसरा स्थान हासिल किया था। दो साल में मध्य प्रदेश का प्रदर्शन अर्श से फर्श पर आने की क्या वजह हो सकती है, यह तो संचालनालय खेल भोपाल के खेलनहार अधिकारी ही बता सकते हैं।
मध्य प्रदेश में खेलोत्थान का बेसुरा राग जब-तब सुनाई देता रहता है लेकिन बिहार के हालिया घटिया प्रदर्शन से अधिकारी शायद कुछ सीख लें। मध्य प्रदेश में संचालित खेल एकेडमियों में प्रशिक्षणरत खिलाड़ी सुविधाओं और अच्छे प्रशिक्षकों का रोना नहीं रो सकते, क्योंकि उन्हें वह सबकुछ मिल रहा है जिसकी एक खिलाड़ी को जरूरत होती है। खेलो इंडिया यूथ गेम्स के सातवें संस्करण में मध्य प्रदेश के खिलाड़ियों द्वारा जीते 10 स्वर्ण पदकों में सिर्फ दो स्वर्ण पदक शूटिंग एकेडमी के खिलाड़ियों ने जीते बाकी आठ स्वर्ण पदक मलखम्ब, थांग ता मार्शल आर्ट जैसे खेलों से ही मिले हैं। यदि व्यक्तिगत खिलाड़ी प्रदर्शन की बात करें तो मध्य प्रदेश के मलखम्ब खिलाड़ी देवेंद्र पाटीदार ने चार स्वर्ण, एक रजत, एक कांस्य सहित कुल छह पदक जीते जबकि सिद्धी गुप्ता की झोली में दो स्वर्ण सहित कुल चार पदक आए।
मध्य प्रदेश के कुल 32 पदकों में से दो पदक उस दतिया से मिले हैं जोकि खेल सुविधाओं के मामले में अन्य जिलों से बहुत पीछे है। यह दोनों पदक प्रशिक्षक शिवेन्द्र सिंह परमार की दूरदर्शी सोच तथा खिलाड़ियों की लगन और मेहनत का नतीजा हैं। प्रशिक्षक शिवेन्द्र सिंह परमार थांग ता मार्शल आर्ट को पूरी तरह से समर्पित हैं। भारतीय पारम्परिक खेल को जमीन दे रहे कोच परमार मध्य प्रदेश थांग ता मार्शल आर्ट एसोसिएशन के सचिव भी हैं। पिछले पांच वर्षों में प्रशिक्षक शिवेन्द्र सिंह परमार से प्रशिक्षण हासिल करने वाले खिलाड़ियों ने थांग ता मार्शल आर्ट में लगभग एक दर्जन पदक जीते हैं।
ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाली अंजलि रावत तथा सत्यम दांगी सरस्वती विद्या मंदिर भरतगढ़ दतिया (म.प्र.) में अध्ययनरत होने के साथ जिला खेल परिसर दतिया में प्रशिक्षक शिवेन्द्र सिंह परमार से सुबह-शाम प्रशिक्षण हासिल कर थांग ता मार्शल आर्ट में प्रदेश को गौरवान्वित कर रहे हैं। उम्मीद थी कि बिहार से वापस लौटने पर इन होनहार खिलाड़ियों का दतिया जिला प्रशासन, खेल तथा शिक्षा विभाग द्वारा जोशीला स्वागत होगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भला हो बेटी क्लब दतिया का जिसने अपने खिलाड़ियों को शाबासी देने में हमेशा की तरह इस बार भी कोई कोताही नहीं बरती। दोनों होनहार खिलाड़ियों को शानदार उपलब्धि के लिए खेल एवं युवा कल्याण विभाग के जिला खेल अधिकारी डॉ. अरविन्द सिंह राणा, युवा समन्वयक संजय रावत, खेल प्रशिक्षक राजेन्द्र तिवारी, सुनील सिंह कुशवाहा, मुकेश श्रीवास्तव आदि ने बधाई देते हुए उज्ज्वल भविष्य की कामना की है। दतिया के खेलप्रेमियों ने प्रशिक्षक शिवेन्द्र सिंह परमार की जहां मुक्तकंठ से सराहना की वहीं पदक विजेता खिलाड़ियों ने सफलता का श्रेय अपने प्रशिक्षक को दिया है।