भारत का भविष्य है दिव्यांग तैराक संगीता

ग्वालियर की दिव्यांग जलपरी का दो खेलों में जलवा

खेलपथ प्रतिनिधि

ग्वालियर। तैराकी में जब ग्वालियर की संगीता राजपूत जलपरी की तरह पानी को चीरते हुए आगे बढ़ती है तो खेलप्रेमी दांतों तले उंगली दबाने को विवश हो जाते हैं। सच कहें तो यह दिव्यांग तैराक मध्य प्रदेश ही नहीं भारत का भविष्य है। संगीता तैराकी के साथ कयाकिंग केनोइंग की भी आला दर्जे की खिलाड़ी है। इस बिटिया का सपना राष्ट्रीय नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए पदक जीतना है।

देश को कई अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग तैराक देने वाले डा. वी.के. डबास के तरकश का यह तीर राष्ट्रीय स्तर पर तरणताल से जिस तरह स्वर्ण पदक निकाल रही है, उससे उम्मीद बंधी है कि देर-सबेर तैराकी में संगीता राजपूत भारत का प्रतिनिधित्व जरूर करेगी। संगीता में प्रतिभाशाली तो है ही इसमें तैराकी के प्रति जुनून भी है। नेशनल पैरा स्वीमर संगीता राज्यस्तर पर दर्जनों मेडल जीतने के साथ राष्ट्रीय स्तर पर अब तक दो स्वर्ण, दो रजत तथा एक कांस्य पदक जीतकर अपनी प्रतिभा का नायाब उदाहरण पेश कर चुकी है। संगीता कयाकिंग केनोइंग की राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भी तीन स्वर्ण पदक जीत चुकी है।

संगीता के तैराकी प्रशिक्षक डा. वी.के. डबास और कयाकिंग केनोइंग के प्रशिक्षक हितेन्द्र सिंह तोमर की कही सच मानें तो तरणताल की इस खिलाड़ी में गजब की प्रतिभा है। आज के समय में जब छोटी-छोटी परेशानियों के सामने इंसान हिम्मत हार जाता हो ऐसे समय में एक दिव्यांग बेटी की दो-दो खेलों में स्वर्णिम सफलताएं निःसंदेह जज्बे और हिम्मत की बात है। मध्य प्रदेश खेल एवं युवा कल्याण विभाग से अपेक्षा है कि वह दिव्यांग स्वीमर संगीता को हर वह सुविधा मुहैया कराएगा जिसकी उसे जरूरत होगी क्योंकि ऐसी प्रतिभाएं बमुश्किल मिलती हैं।   

 

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