उदीयमान धावक प्राजक्ता कर रही भुखमरी का सामना

माता को नहीं मिल रहा काम, पिता हो गए लकवाग्रस्त
खेलपथ प्रतिनिधि
नागपुर।
लॉकडाउन के चलते नागपुर की धावक प्राजक्ता गोडबोले इन दिनों भुखमरी का सामना कर रही है। प्राजक्ता की मां बेरोजगार है जबकि पिता कुछ समय पहले लकवाग्रस्त हो गये हैं। प्राजक्ता दुःखी मन बताती है कि उसे नहीं पता कि अगले वक्त का खाना मिलेगा भी या नहीं। चौबीस साल की प्राजक्ता नागपुर में सिरासपेठ झुग्गी में अपने माता-पिता के साथ रहती है। प्राजक्ता 2019 में इटली में विश्व विश्वविद्यालय खेलों की 5000 मीटर रेस में भारतीय विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व किया था, जिसमें उसने 18:23.92 का समय निकाला था लेकिन वह फाइनल दौर के लिये क्वालीफाई नहीं कर पायी थी।
साल के शुरू में हुई टाटा स्टील भुवनेश्वर हाफ मैराथन में प्राजक्ता 1:33:05 के समय से दूसरे स्थान पर रही थी। उसके पिता विलास गोडबोले पहले सुरक्षाकर्मी के तौर पर काम करते थे, लेकिन वह एक दुर्घटना के बाद लकवाग्रस्त हो गये। प्राजक्ता की मां अरूणा रसोइये के तौर पर काम करके 5000 से 6000 रूपये महीना तक कमाती थी जो उनके घर को चलाने का एकमात्र साधन था। लेकिन लॉकडाउन की वजह से शादियां नहीं हो रहीं तो उन्हें दो जून का खाना जुटाने के लिये भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
प्राजक्ता ने बताती है कि हम पास के लोगों की मदद पर ही निर्भर हूं। वे हमें चावल, दाल और अन्य चीजें दे जाते हैं। इसलिये हमारे पास अगले दो-तीन दिन के लिये खाने को कुछ होता है लेकिन नहीं पता कि आगे क्या होगा। हमारे लिये यह लॉकडाउन काफी क्रूरता भरा साबित हो रहा है। उसने कहा, ‘‘मैं ट्रेनिंग के बारे में सोच भी नहीं रही हूं क्योंकि मैं नहीं जानती कि इन हालात में मैं कैसे जीवित रहूंगी। हमारे लिये जीवन बहुत कठिन है। इस लॉकडाउन ने हमें बर्बाद कर दिया है। प्राजक्ता का कहना है कि उसकी समझ में ही नहीं आ रहा कि इन हालातों में क्या करे और किससे मदद की गुहार लगाए। मेरे माता-पिता कुछ नहीं कर सकते। हम केवल प्रार्थना ही कर सकते हैं कि यह लॉकडाउन खत्म हो जाये। हम बस इसका इंतजार कर रहे हैं। प्राजक्ता ने जिले या राज्य स्तर पर किसी एथलेटिक अधिकारी से मदद नहीं मांगी है। 

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