निखिल का सपना एथलेटिक्स में देश के लिए पदक जीतना

 

मिल्खा सिंह और उसेन बोल्ट को मानते हैं अपना आदर्श

खेलपथ प्रतिनिधि

नागपुर। देशभर में लाकडाउन के चलते भारतीय खेल प्रतिभाएं मायूस तो हैं लेकिन वह अपने घरों में ही कड़ी मेहनत कर अपने सपनों को साकार करने को प्रतिबद्ध हैं। मिल्खा सिंह और उसेन बोल्ट को अपना आदर्श मानने वाले महाराष्ट्र के उदीयमान एथलीट निखिल दत्तात्रेय माली भी इन दिनों घर पर ही योग और व्यायाम से अपनी फिटनेस बना रहे हैं। निखिल का कहना है कि वह एथलेटिक्स में अपने देश का नाम रोशन करने को कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

राज्य और प्रदेश स्तर पर अब तक छह पदक जीत चुके निखिल दत्तात्रेय माली 100 मीटर, 200 मीटर, 800 मीटर और 1500 मीटर दौड़ में हिस्सा लेते हैं। 22 साल के निखिल का कहना है कि खेलों में मेरे माता-पिता और भाई-बहन का लगातार प्रोत्साहन मिल रहा है। निखिल को बचपन से ही खेलों से लगाव है। निखिल राज्य स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा लगातार मनवा रहे हैं। इनका कहना है कि कमतर सुविधाओं के बावजूद वह लगातार न केवल मेहनत कर रहे हैं बल्कि अपने लक्ष्य की तरफ अग्रसर हैं।

निखिल खेलों में करियर बनाने का सपना देख रहे हैं। इनका कहना है कि आज सारे संसार में खेलकूद की लोकप्रियता बढ़ी है। मनोरंजन के साथ-साथ खेलों में अब पैसा भी है इसीलिए वह खेलों में लगातार हिस्सा ले रहे हैं। वह कहते हैं कि आज खिलाड़ियों को करोड़ों रुपयें विज्ञापन से मिल रहे हैं, यही वजह है भारत का युवा खेलों की तरफ बराबर ध्यान दे रहा है। आज खेल मनोरंजन ही नहीं बल्कि करियर बनाने का भी माध्यम हैं।

निखिल कहते हैं कि भारत में खेल संस्कृति का अभाव है। क्रिकेट को छोड़ बाकी खेलों में भारत की स्थिति सोचनीय है। इस स्थिति में परिवर्तन की महती आवश्यकता है। दुखद है कि दुनिया में आबादी की दृष्टि से दूसरे नम्बर पर रहने वाला भारत खेलों में छोटे-छोटे देशों से भी पीछे है जबकि भारत की तुलना में चीन ने खेलों में काफी प्रगति की है। निखिल कहते हैं कि महाराष्ट्र खेलों के लिहाज से प्रगतिशील राज्य है बावजूद सीनियर स्तर पर यहां की स्थिति काफी चिन्ताजनक है। भारतीय खिलाड़ियों ने अनेक खेलों में अपनी प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन किया है लेकिन ओलम्पिक स्तर पर हम बहुत पीछे हैं। यद्यपि सरकार की तरफ से भी खेलों के प्रबन्धन में पारदर्शिता लाने के प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन रफ्तार बहुत धीमी है। इस दिशा में भारत को अभी बहुत कुछ करना बाकी है। जो भी हो मैं एथलेटिक्स में अपनी लगन और मेहनत से देश का नाम रोशन करने को तैयार हूं।

 

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