भावना की भावना को सलाम

गुरबत से निकल बढ़ाया राजस्थान का मान

खेलपथ प्रतिनिधि

जयपुर। कहते हैं कि यदि कुछ करने का जज्जा और इरादे बुलंद हों तो हर मुश्किल पर फतह हासिल की जा सकती है। राजस्थान के राजसमंद जिले के रेलमंगरा तहसील के गाँव काबरा के पिछड़े इलाके में रहने वाली भावना जाट ने इस बात को सिद्ध कर दिखाया है। उसने 20 किलोमीटर दौड़ में ओलम्पिक कोटा हासिल कर समूचे राजस्थान गौरव बढ़ाया है। भावना की यह सफलता उन लोगों के लिए नजीर है जोकि थोड़ी सी परेशानी आने पर अपने इरादे बदल देते हैं।

भावना जाट एक गरीब किसान की बेटी है जिसने अपने परिवार के साथ-साथ अपने राज्य, अपने देश का गौरव बढ़ाने का संकल्प बचपन में ही ले लिया था। आज भावना 20 किलोमीटर पैदल चाल स्पर्धा की नई राष्ट्रीय चैम्पियन है। राजस्थान के राजसमंद जिले के रेलमंगरा तहसील के गाँव काबरा के पिछड़े इलाके में रहने वाली भावना जाट का जन्म 19 मार्च, 1996 को किसान शंकर लाल जाट और नौसर देवी के घर हुआ था। भावना जाट का सफर बेहद संघर्षपूर्ण रहा। स्कूली शिक्षा के दौरान भावना को कोचिंग देने वाले सुरेश जाट बताते हैं कि भावना 2010 में अपने ही गाँव के सरकारी स्कूल में कक्षा नौ में पढ़ती थी। उस वक्त स्कूल स्तर पर खेल प्रतियोगिताएँ होती थीं। स्कूल के पीटीआई हीरालाल कुमावत ने भावना को पैदल चाल प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए कहा, तब भावना ने सबसे पहले यही पूछा की ये कौन-सा खेल होता है? फिर पीटीआई ने उसे इसके बारे में जानकारी दी और प्रशिक्षण भी दिया। यहीं से भावना ने इस खेल को अपना करियर बना लिया।

भावना के गाँव काबरा में सुविधाओं की कमी थी, लिहाजा परिवार वालों ने उसे उदयपुर में मेरे गांव खेरोदा भेज दिया। यहां मैं अपनी बहन सुनीता और अन्य 10-12 लड़कियों को कोचिंग देता था। भावना जाट के पिता शंकर लाल जाट खेती के साथ-साथ मिस्त्री का भी काम करते हैं। माता नौसर देवी गृहणी हैं, बड़े भाई राजू की मानसिक हालत ठीक नहीं है, वह घर ही रहते हैं तथा उनका इलाज चलता रहता है। दूसरा भाई प्रकाश जाट एक निजी कम्पनी में काम करता है। खेलों के चलते भावना जाट की बी.ए. के बाद पढ़ाई छूट गयी थी लेकिन अब वह खेल के साथ अपनी पढ़ाई भी पूरी कर रही है।

भावना जाट बताती हैं कि उसे आगे बढ़ाने के लिए भाई प्रकाश जाट ने अपनी पढ़ाई दांव पर लगा दी थी। साल 2012 में भावना और उसका भाई प्रकाश उदयपुर में किराये का मकान लेकर रहते थे  ताकि भावना पैदल चाल की तैयारी कर सके। उस दौरान प्रकाश ने पढ़ाई छोड़ दी और टायर की एक निजी कम्पनी में 10 हजार रूपए महीने की नौकरी शुरू कर दी। भाई अपने वेतन के आधे पैसे भावना को नेशनल प्रतियोगिता में भेजने में खर्च करता और आधे पैसे दोनों के रहने खाने के खर्च में खत्म हो जाते थे। उदयपुर में एक से ढेढ़ साल रहने के बाद भावना का चयन बेंगलूर के साई सेण्टर में हो गया।

बेंगलूर के साई सेण्टर में जाने के बाद साल 2016 में भावना जाट की खेल कोटे से कोलकाता हावड़ा में रेलवे टीसी के पद पर नौकरी लग गयी। उसे 21 हजार रुपये प्रतिमाह मिलने शुरू हो गये। उसी दौरान पिता को पेशाब से सम्बन्धी बीमारी हो गयी और बड़े भाई की मानसिक स्थिति भी ज्यादा ख़राब हो गयी। भावना को 21 हजार रुपये में ही खेल का खर्च,  पिता और भाई की बीमारी का खर्च निकालना पड़ा। वह दौर भावना के लिए बहुत मुश्किल भरा रहा। खैर उसने हिम्मत न हारते हुए अपने संकल्प को पूरा करने के लिए जीतोड़ मेहनत करती रही। रांची में आयोजित प्रतियोगिता में भावना जाट ने 20 किलोमीटर की दूरी एक घंटा 29 मिनट और 54 सेकेंड्स में पूरी करके पैदल चाल प्रतियोगिता का नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया और टोक्यो ओलम्पिक का टिकट कटा लिया। पैदल चाल में भावना जाट भारत की अकेली महिला एथलीट हैं।

करियर पर एक नजर

भावना ने 2010 से 2014 तक चार साल तक स्कूल स्तर की नेशनल प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। उसके बाद 2014 में जूनियर नेशनल चैम्पियनशिप में रजत पदक जीता जो उसकी जिन्दगी का पहला पदक था। वहां भावना को पंजाब के कोच हरप्रीत ने प्रशिक्षण दिया था। 2014-15 में हैदराबाद में हुई जूनियर फेडरेशन में सिल्वर मेडल प्राप्त किया। 2016 में जयपुर में आयोजित पैदल चाल की 10 किलोमीटर प्रतियोगिता में रजत पदक जीता। 2018 में लखनऊ में आयोजित आल इंडिया रेलवे में कांस्य पदक जीता। 2019 में पुणे में आयोजित 20 किलोमीटर पैदल चाल प्रतियोगिता में उसने स्वर्ण पदक जीता जोकि भावना जाट का सबसे पहला स्वर्ण पदक था। 2019 में रांची में हुए ओपन नेशनल में भावना ने फिर स्वर्ण पदक जीता। फरवरी 2020 में रांची में तीसरी पैदल चाल राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भावना ने न केवल स्वर्ण पदक जीता बल्कि नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी बनाया।

 

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