मेरठ की बेजुबान बेटियां कर रहीं भारत का नाम रोशन

खेलपथ प्रतिनिधि
‘हर रोज गिरकर भी मुकम्मल खड़े हैं, 
ऐ जिंदगी देख मेरे हौंसले तुझसे भी बड़े हैं’ 

यह पंक्तियां मेरठ की दो बेटियों आरुषि और निशा पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं। दोनों ही बोल-सुन नहीं सकतीं लेकिन अपने हौंसले और हुनर की बदौलत यह शटलर बेटियां दुनिया में भारत का गौरव बढ़ा रही हैं। इन दोनों ने मलेशिया में हुई यूथ एशिया पेसिफिक गेम्स में बैडमिंटन डबल में ब्रांज मेडल हासिल किया।      
आरुषि के पिता ने बताया कि आर्थिक समस्या के चलते वह निजी अस्पताल में बेटी का इलाज कराने में सक्षम नहीं थे। डाक्टरों से राय के बाद परिवार के लोग दो साल बाद बेटी आरुषि को इलाज कराने दिल्ली एम्स लेकर गये। जहां तीन साल की उम्र में एम्स के डाक्टरों ने आरुषि का आपरेशन कर कॉक्लीयर इंप्लांट किया।
इसके जरिये आरुषि शर्मा को सुनने में मदद मिलने लगी। लेकिन वह करीब तीन फीट की दूरी से ही आवाज को सुनने में सक्षम है। सुनने के अलावा आरुषि को बोलने में समस्या होती है। पैदाइशी समस्या के बावजूद परिवार के लोगों ने हिम्मत नहीं हारी। 10 साल की उम्र में बैडमिंटन खेल में बेटी और बेटे को आगे बढ़ाने का फैसला किया।
कैलाश प्रकाश स्टेडियम में दोनों बहन-भाई बैडमिंटन हॉल में अभ्यास करने लगे। जहां आरुषि को उसको साथी के तौर पर निशा प्रवीन मिली। निशा लिसाड़ीगेट के गोलाकुआं आजाद रोड़ निवासी सलीम अहमद की बेटी है। जो दूध की डेरी का काम करते हैं। वर्तमान में आरुषि की उम्र 13 वर्ष और निशा की उम्र 19 वर्ष है।
निशा पूरी तरह सुन और बोल नहीं सकती है। लेकिन दोनों बेटियों में बैडमिंटन में कुछ कर गुजरने का हौसला सभी को चौंका रहा था। दोनों ने ऐसा करके भी दिखाया। जिला स्तर, मंडल स्तर और नेशनल स्तर पर कई  पदक हासिल किये।   

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