क्रिकेट में अब युवा सितारे मचाएंगे धमाल

कहते हैं, पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। भारतीय क्रिकेटरों पर यह कहावत सौ आने सच साबित होती है। पिछले 20 साल से भारतीय क्रिकेट टीम में चमकने वाले खिलाड़ियों ने पहले अंडर-19 वर्ल्ड कप में अपनी चमक बिखेरी और इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। फिर चाहे वह युवराज सिंह हों, चेतेश्वर पुजारा या फिर वर्तमान भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली। इसी महीने न्यूजीलैंड के खिलाफ टी-20 सीरीज़ खेलने वाली भारतीय टीम के 16 में से 11 खिलाड़ी ऐसे थे, जो अंडर-19 वर्ल्ड कप खेलकर भारतीय टीम में पहुंचे। दक्षिण अफ्रीका में 9 फरवरी को खत्म हुए अंडर-19 वर्ल्ड कप में इस बार भी कई युवा भारतीय क्रिकेटरों ने अपने शानदार प्रदर्शन से यह उम्मीद जगा दी है कि भारतीय क्रिकेट का भविष्य बहुत सुनहरा है। यशस्वी जायसवाल सहित कई खिलाड़ी ऐसे हैं, जिन्होंने अपने बूते पर न केवल मैच जिताए, बल्कि टीम को फाइनल तक भी पहुंचाया। इस टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन और सबसे ज्यादा विकेट लेने का रिकॉर्ड हमारे युवाओं के ही नाम रहा।
यशस्वी जायसवाल का सफर
बायें हाथ के बल्लेबाज़ यशस्वी जायसवाल इस टूर्नामेंट की सनसनी बनकर उभरे। उन्होंने विश्वकप में 6 मैच खेले। इनमें एक को छोड़कर सभी में 50 से ज्यादा रन बनाए। वे सबसे ज्यादा 400 रन बनाकर मैन ऑफ द सीरीज रहे। उन्होंने एक शतक और चार अर्धशतक लगाए। घरेलू क्रिकेट में जायसवाल मुंबई की ओर से खेलते हैं। इस बार आईपीएल में वे राजस्थान रॉयल्स की ओर से खेलते नज़र आएंगे। हालांकि, पूरे वर्ल्ड कप में विरोधियाें के छक्के छुड़ाने वाले जायसवाल के लिए जिंदगी का सफर कभी भी ‘यशस्वी’ नहीं रहा। आर्थिक अभावों और संघर्ष के बीच वे इस मुकाम तक पहुंचे हैं। क्रिकेट में सफल होने से पहले उनके सामाजिक-आर्थिक हालात बेहद चुनौतीपूर्ण थे। छोटी उम्र में ही उन्हें अपना घर छोड़कर मुंबई आना पड़ा। यहां गुजर बसर करने के लिए उन्होंने गोल-गप्पे बेचे। मैदान कर्मियों के साथ टेंट को अपना आशियाना बनाया। यूपी के भदोही का यह खब्बू बल्लेबाज पिछले साल अक्तूबर में उस समय चर्चा में आया था, जब उसने विजय हजारे वन-डे ट्रॉफी के एक मैच में झारखंड के खिलाफ 154 गेंदों पर 203 रन की तूफानी पारी खेली थी। यशस्वी की अब तक की कामयाबी के पीछे राहुल द्रविड़, वसीम जाफर और आशीष कपूर की भूमिका अहम रही है। आशीष ने जूनियर स्तर पर श्रीलंका में खेले जा रहे एक टूर्नामेंट में यशस्वी को ओपनिंग करने की जिम्मेदारी दी। इस एक बदलाव ने यशस्वी की जिंदगी बदल दी। जायसवाल को वर्ल्ड कप न जीत पाने का दुख है, लेकिन उनका मानना है कि दुनिया यहीं खत्म नहीं होती। अभी आगे भी लंबा सफर है और इसके लिए खुद को हमेशा तैयार रखना है। युवराज सिंह और विराट कोहली की तरह उनके टीम इंडिया में आने की बातें अभी से होने लगी हैं, लेकिन यशस्वी कहते हैं कि टीम इंडिया में एंट्री के लिए सिर्फ एक टूर्नामेंट में रन बनाना काफी नहीं है। उन्हें अपने बल्ले की धार हर बार दिखानी होगी। वे अब रणजी ट्रॉफी पर फोकस कर
रहे हैं।
यशस्वी जायसवाल
– 400 रन
– 3 विकेट
– 10 छक्के (टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा)
मेरा संघर्ष दुनिया से नहीं है, बल्कि खुद से है। मैं अब खुद को जानने लगा हूं। मैं खुद को साधारण रखता हूं। रोजाना सुबह 5 बजे उठता हूं। खुद से बात करता हूं। खुद को रोज समझता हूं और खुद को खुद से ही प्रेरित करता हूं।

‘गुगली एक्सपर्ट’ रवि बिश्नोई
अंडर-19 वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले भारतीय लेग स्पिनर रवि बिश्नोई को भला कौन भूल सकता है। राजस्थान के जोधपुर के रहने वाले इस खिलाड़ी को ‘गुगली एक्सपर्ट’ माना जाता है। बांग्लादेश के खिलाफ फाइनल मैच में बिश्नोई ने अपनी गुगली से भारत को मैच में बनाए रखा था। उनकी घातक गेंदबाजी के कारण ही एक समय बांग्लादेश का स्कोर 6 विकेट पर 102 रन था। बांग्लादेश ही नहीं, बिश्नोई ने अपनी फिरकी पर दुनियाभर के बल्लेबाजों को नचाया। विश्व कप में 17 विकेट अपने नाम किए। उनके पिता एक स्कूल मास्टर हैं। शुरुआत में रवि को असफलता का सामना करना पड़ा। राज्यस्तर पर उन्हें कहीं भी खेलने का मौका नहीं मिला। उनके पिता ने उन्हें क्रिकेट छोड़ देने के लिए कहा। तभी दो कोचाें ने रवि की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें मौका दिया। उन्हें आईपीएल की टीम राजस्थान रॉयल्स के नेट अभ्यास में बुलाया गया। इसके बाद, रवि ने अपनी फिरकी का ऐसा जादू चलाया कि उन्हें अंडर-19 वर्ल्ड कप में खेलने का मौका मिला। अब क्रिकेट फैंस की नजर फिरकी के इस नये जादूगर पर है।स्पिन ही नहीं, युवा टीम के तेज गेंदबाजों ने भी शानदार प्रदर्शन किया।

स्विंग मैन कार्तिक
टीम के तेज गेंदबाज कार्तिक त्यागी की स्विंग और योर्कर गेंदों का विपक्षी टीम के बल्लेबाजों के पास कोई जवाब नहीं था। तेज गेंदबाजी खेलने में माहिर मानी जाने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम भी उनके सामने नहीं टिक सकी। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में उन्होंने 8 ओवरों में 24 रन देकर 4 विकेट लिए और अपनी टीम को सेमीफाइनल में पहुंचाया। उनके शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें मैन ऑफ द मैच दिया गया। उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के धनौरा के रहने वाले कार्तिक ने 13 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। कार्तिक ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचने के लिए कड़ा संघर्ष किया। उन्हें मजदूरी तक करनी पड़ी। वे एक किसान परिवार से हैं। उनके पिता के पास उन्हें क्रिकेट की ट्रेनिंग दिलाने के लिए पैसे नहीं थे, लेकिन अपने क्रिकेट के जुनून से वे अागे बढ़ते चले गए। त्यागी पिता की खेतों में मदद करते थे। इन सबके बीच वे क्रिकेट को कभी नहीं भूले। 17 वर्ष की उम्र में त्यागी ने कूच बिहार ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन किया और उत्तर प्रदेश की रणजी टीम में जगह बनाई। रणजी में पूर्व चैंपियन विदर्भ के खिलाफ प्रदर्शन ने उनकी जिंदगी बदल दी। इस प्रदर्शन से वे चयनकर्ताओं की नज़रों में आए। बाद में, अंडर-19 वर्ल्डकप के लिए उनका टीम में चयन हुआ।

प्रियम गर्ग
युवा टीम के कप्तान प्रियम गर्ग ने न केवल युवाओं का शानदार नेतृत्व किया, बल्कि बल्लेबाजी में भी अपने जौहर दिखाए। मध्यम क्रम के बल्लेबाज प्रियम यूपी के मेरठ जिले के रहने वाले हैं। उनके पिता एक स्कूल वैन चलाते हैं। पैसे नहीं थे तो उन्होंने दोस्तों से उधार लेकर बेटे के लिए क्रिकेट किट खरीदी। उनकी कलात्मक बल्लेबाजी को देखते हुए आईपीएल में भी उन्हें अच्छी कीमत मिली। आईपीएल 2020 में उन्हें राजस्थान रॉयल्स ने 1.90 करोड़ रुपये में खरीदा है।

लेफ्ट आर्म स्पिनर अथर्व अंकोलेकर
लेफ्ट आर्म स्पिनर व निचले क्रम के बैट्समैन अथर्व अंकोलेकर ने भी अपने प्रदर्शन से सभी का ध्यान खींचा है। पिछले साल श्रीलंका में एशिया कप फाइनल में बांग्लादेश के खिलाफ 5 विकेट लेने वाले अथर्व ने नौ वर्ष की उम्र में अपने पिता को खो दिया था। उनकी मां ने वैदेही वृहन मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट (बेस्ट) की बसों में कंडक्टर की नौकरी करके अथर्व को क्रिकेटर बनाया।
ये क्रिकेटर भी कमाल के
इनके अलावा, दिव्यांश सक्सेना ने भी वर्ल्ड कप के मैचों में भारत को अच्छी शुरुआत दी। ओपनर बल्लेबाज सक्सेना ने यशस्वी जायसवाल का अच्छा साथ निभाया।विश्व कप में विकेटों के पीछे कमाल करने वाले विकेटकीपर बैट्समैन ध्रुव जुरेल को कोई कैसे भूल सकता है। ध्रुव ने विकेट के पीछे और बल्लेबाजी में शानदार प्रदर्शन किया। उत्तर प्रदेश के आगरा के रहने वाले ध्रुव के पिता कारगिल युद्ध का हिस्सा थे। अब वे सेवानिवृत्त हो चुके हैं। पिता चाहते थे कि ध्रुव भारतीय सेना में जाये, लेकिन जब उन्होंने अपने बेटे का खेल देखा तो उन्होंने उसे प्राेत्साहित किया। ये खिलाड़ी जीवन के तमाम संघर्षों का सामना करते हुए इस मुकाम तक पहुंचे हैं, अब देखना यह है कि इनमें से कितने भारतीय टीम में जगह बना पाते हैं।
अब आईपीएल में दिखाएंगे दम
अंडर-19 वर्ल्ड कप में खेलने वाले खिलाड़ियों को इस साल होने वाले आईपीएल की टीमों ने हाथोंहाथ लिया है। कई खिलाड़ियों को अच्छी कीमत भी मिली है। मैन ऑफ द सीरीज रहे यशस्वी जायसवाल को राजस्थान रॉयल्स ने 2.4 करोड़ रुपये में खरीदा है। लेग स्पिनर रवि बिश्नोई को प्रीति जिंटा की किंग्स इलेवन पंजाब ने 2 करोड़ में खरीदा है। प्रियम गर्ग को सनराइजर्स हैदराबाद ने 1.9 करोड़ रुपये और तेज गेंदबाज कार्तिक त्यागी को किंग्स इलेवन पंजाब ने 1.3 करोड़ रुपये में खरीदा है। विश्व कप में 7 विकेट लेने वाले अाकाश सिंह इस बार राजस्थान रॉयल्स की ओर से खेलते नजर आएंगे। उन्हें बेस प्राइस 20 लाख रुपये मिलेंगे।
कुछ छा गये, कुछ खो गये
वर्ष 2000 में मोहम्मद कैफ की कप्तानी में भारत ने पहला अंडर-19 वर्ल्ड कप जीता। इसमें युवराज सिंह ने शानदार प्रदर्शन किया था। इस टीम से मोहम्मद कैफ, युवराज सिंह ही भारतीय टीम में अपनी जगह बना पाए थे। जबकि रीतेंद्र सिंह सोढी, रवनीत रिक्की और अजय रात्रा घरेलू क्रिकेट तक सिमट कर रह गए। शलभ श्रीवास्तव और वेणुगापाल राव जैसे खिलाड़ी भीड़ में कहीं खो गए।वर्ष 2002 के अंडर-19 वर्ल्ड कप में खेले इरफान पठान, पृथ्वी पटेल और स्टूवर्ट बिन्नी ने भारतीय टीम में जगह बनाई। जबकि टी सुमन, सिद्धार्थ त्रिवेदी, मनविंद्र बिस्ला घरेलू क्रिकेट तक ही सिमट कर रहे गए।
वर्ष 2004 के अंडर-19 वर्ल्ड कप में खेलने वाले कई खिलाड़ी भारतीय टीम का हिस्सा बने। इनमें शिखर धवन, सुरेश रैना, आरपी सिंह, रोबिन उथप्पा, दिनेश कार्तिक और अम्बाती रायडू शामिल हैं। 2006 का वर्ल्ड कप खेलने वाली अंडर-19 टीम से आए रोहित शर्मा, रविंद्र जडेजा, चेतेश्वर पुजारा, पीयूष चावला और मनीष पांडे भारतीय टीम का हिस्सा हैं। 2008 में वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम के खिलाड़ी विराट कोहली भारतीय टीम के कप्तान हैं, जबकि श्रीवत्स गोस्वामी, इकबाल अब्दुल्ला, सिद्धार्थ कौल और अभिमन्यु मुकुंद ज्यादा पहचान नहीं बना पाए।
2010 से 2016 तक वर्ल्ड कप खेलने वाली अंडर-19 टीम के केएल राहुल, मयंक अग्रवाल, श्रेयश अय्यर, संजू सैम्सन, कुलदीप यादव, ऋषभ पंत, खलील अहमद और वॉशिंगटन सुंदर भारतीय टीम में खेल रहे हैं। 2018 में भारतीय अंडर 19 टीम ने चौथी बार वर्ल्ड कप जीता। इस टीम से पृथ्वी शॉ और शुभमन गिल पहले ही भारतीय टीम में जगह बना चुके हैं।

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