शेफाली ने किया पिता का सपना पूरा

नई दिल्ली। महज 15 साल 285 दिन की उम्र में अर्द्धशतक जड़ महान सचिन तेंदुलकर का रिकॉर्ड भंग करना और अब टी-20 विश्व कप टीम में चयन के साथ सर्वश्रेष्ठ प्रथम प्रवेशी का बीसीसीआई का अवॉर्ड हासिल करना। दो माह के अंदर रोहतक की शेफाली वर्मा की यह उड़ान किसी स्वप्निल परीकथा से कम नहीं है, लेकिन इसके पीछे संघर्ष की ऐसी कहानी छुपी जो किसी के लिए भी प्रेरणा बन सकती है। तीन साल पहले की ही बात है शेफाली के पिता की जेब में महज 280 रुपये थे। ग्लव्स फट चुके और बैट कई जगह से चटक चुका था। शेफाली के पास बैट पर तार चढ़वाकर और ग्लव्स को छुपाकर खेलने के अलावा कोई चारा नहीं था, लेकिन शेफाली ने पिता से शिकायत नहीं की। धोखा मिलने के चलते जमीन पर आ चुके पिता ने उधार पैसा उठाकर बेटी को नए ग्लव्स और बैट दिलाया। आज वही पिता शेफाली पर नाज करते नहीं थक रहे हैं।
पिता को नौकरी के नाम पर मिला था धोखा  
पेशे से ज्वेलर संजीव वर्मा खुलासा करते हैं कि साल 2016 में उनका धंधा चौपट हो गया था। उन्हें एक व्यक्ति ने दिल्ली एयरपोर्ट पर नौकरी लगाने का झांसा दिया। उन्होंने अपनी पत्नी के गहने तक बेच दिए। यह वही समय था जब शेफाली लड़कों के साथ खेलकर इलाके में नाम बना चुकी थी। नौकरी नहीं मिली और सब कुछ चला गया। वह अवसाद में चले गए, लेकिन शेफाली ने कुछ नहीं बोला। वह फटे ग्लव्स और टूटे बैट से खेलती रही। वह जब संभले तब उन्होंने शेफाली का बैट और ग्लव्स देखा। इसके बाद उन्होंने उधार पैसा लेकर उसे दोनों चीजें दिलाईं। 

भाई की जगह खेली और प्लेयर ऑफ द मैच बनीं
संजीव बताते हैं कि शेफाली साढ़े दस साल की थी। उस दौरान उनके बेटे साहिल को पानीपत में अंडर-12 का टूर्नामेंट खेलने जाना था, लेकिन वह बीमार पड़ गया। वह शेफाली को पानीपत ले गए और उसे टूर्नामेंट में उतार दिया। वहां उसने लड़कों के मैच में प्लेयर ऑफ द मैच का अवॉर्ड हासिल किया। वह आज भी लड़कों के साथ ही प्रैक्टिस  करती है। संजीव खुद भी क्रिकेटर थे, लेकिन ऊंचे स्तर पर नहीं खेल पाए। वह खुद शेफाली को सुबह प्रैक्टिस कराते हैं। उसके बाद वह पूर्व रणजी क्रिकेटर अश्वनी कुमार की अकादमी में जाती है। वह खुद तो क्रिकेटर नहीं बन पाए लेकिन बेटी ने उनका यह सपना पूरा कर दिया। 
शेफाली को है सचिन के आशीर्वाद की तमन्ना
संजीव वर्मा यही कहते हैं कि रोहतक में सचिन तेंदुलकर को खेलते देख शेफाली क्रिकेटर बनीं। सचिन का यह अंतिम रणजी ट्रॉफी मैच था। शेफाली सचिन को अपना रोल मॉडल मानती है। अब यही दुआ करता हूं कि ऑस्ट्रेलिया में विश्व कप जाने से पहले सचिन एक बार उसके सिर पर हाथ रख आशीर्वाद दे दें तो वह सफल हो जाएगी। शेफाली की अब तक सचिन तेंदुलकर से मुलाकात नहीं हुई है। संजीव यह भी बताते हैं कि शेफाली बिल्कुल भी नहीं डरती है। उसके लिए बल्लेबाजी का  मतलब गेंद पर आक्रामक प्रहार करना है।

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