रूस के डोपिंग का स्याह सच कैसे हुआ उजागर

खेलपथ प्रतिनिधि
नई दिल्ली। रूस के डोपिंग का स्याह सच उजागर होते ही कई लोगों के जान के लाले पड़ गए हैं। दरअसल डोपिंग में रूस के खिलाड़ी ही नहीं वहां की सरकार के भी संलिप्त रहने के प्रमाण मिले हैं। 546, यह संख्या है रूस के ओलंपिक में जीते गए पदकों की। इनमें 148 स्वर्ण ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में और 47 स्वर्ण शीतकालीन ओलंपिक में जीते गए थे। ओलंपिक में भाग लेने वाले 60 से ज्यादा देशों के कुल पदकों को जोड़ भी लिया जाए, तो भी इस नंबर के आधे तक नहीं पहुंच पाएंगे।
मगर खेल की दुनिया की इस 'महाशक्ति' पर अब चार साल का प्रतिबंध लग गया है। इसका मतलब हुआ कि अगले साल होने वाले टोक्यो ओलंपिक में हमें रूस नहीं दिख सकता है। कारण...'धोखा'। इसमें सिर्फ खिलाड़ी ही नहीं सरकार तक शामिल रही। मगर इतने बड़े स्कैंडल का खुलासा आखिर हुआ कैसे? जवाब है सिर्फ एक शख्स की वजह से। उसी ने खेलों की दुनिया के सबसे बड़े डोप स्कैंडल का पूरा सच सामने रख दिया। इस शख्स का नाम है ग्रिगोरी रोचेनकोव। रूस की एंटी डोपिंग लैब का पूर्व निदेशक।
यह वही लैब है, जिसे खिलाड़ियों के सैंपल से छेड़छाड़ का दोषी पाया गया है। इस मामले पर 2017 में एक डॉक्यूमेंट्री 'इकारस' भी बनी। ब्रायन फोगेल ने यह डॉक्यूमेंट्री बनाई। इसमें ग्रिगोरी ने जो खुलासे किए, उसे सुनकर पूरी दुनिया के होश उड़ गए। हालांकि आज इस शख्स को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है। अपनी जान बचाने के लिए वह एक अज्ञात जगह पर रह रहा है।
आंख पर पट्टी बांधकर आता है वकील:
ग्रिगोरी रोचेनकोव एफबीआई के संरक्षण में अमेरिका में अज्ञात जगह पर रहता है, उसके वकील को भी आंख पर पट्टी बांधकर लाया जाता है। 
बचपन से ही रहा डोपिंग से रिश्ता 
बचपन में ग्रिगोरी की मां खुद उन्हें शक्तिवर्धक इंजेक्शन लगाया करती थी ताकि वह एथलेटिक्स चैंपियनशिप में जीत हासिल कर सके। ग्रिगोरी एक समय खुद रूस के पूरे डोपिंग कार्यक्रम का नेतृत्व करता था। मास्को स्थित लैब में उसकी मौजूदगी में खिलाड़ियों के सैंपल बदल दिए जाते थे।
सरकार के इशारे पर होती है डोपिंग 
ग्रिगोरी ने खुलासा किया कि डोपिंग स्कैंडल में सिर्फ खिलाड़ी शामिल नहीं हैं। रूस की सरकार के इशारे पर खिलाड़ियों को शक्तिवर्धक दवाएं दी जाती हैं। इसमें मेडिकल डॉक्टर, कोच, मैनेजर, एंटी डोपिंग लैब सब शामिल होते हैं। 2012 के लंदन और 2014 के सोची ओलंपिक में भी खिलाड़ियों ने डोपिंग की थी।
निर्देशक ने खुद की पांच महीने तक डोपिंग, बाद में मिला आस्कर 
2017 में इस पूरे स्कैंडल पर बनी डॉक्यूमेंट्री 'इकारस' में कई खुलासे हुए। निर्देशक ब्रायन फोगेल ने 2014 से 2015 के बीच कई महीने तक मेहनत की। यहां तक कि पूरे स्कैंडल को समझने के लिए खुद उसने पांच महीने तक डोपिंग की। इसमें उसकी मदद ग्रिगोरी ने की, जिसने तस्करी के जरिए उसके सैंपल बदल दिए। 2018 में इस डॉक्यूमेंट्री को आस्कर अवार्ड भी मिला।
जान बचाने के लिए रूस छोड़कर भागा ग्रिगोरी 
2015 में वाडा को रूस की गतिविधियों पर शक हो गया। उसने कमेटी गठित कर जांच शुरू कर दी, जिसमें शक सही पाया गया। रूस पर कड़ी कार्रवाई की तैयारियां शुरू हो गईं, सरकार को भी सफाई देनी पड़ी। डोपिंग कार्यक्रम से जुड़े एक अधिकारी की संदिग्ध हालात में मौत हो गई। इसके बाद जान के डर से ग्रिगोरी ने रूस छोड़कर भागने का फैसला किया। इस काम में उसकी मदद ब्रायन ने की और ग्रिगोरी अमेरिका आ गया। ग्रिगोरी अपने साथ रूस के काले चिट्ठे से जुड़ी गोपनीय फाइलें भी ले आया।
सामने आए चौंकाने वाले सच, बदल दिए जाते थे सैंपल 
ग्रिगोरी ने ब्रायन और एफबीआई के सामने कई चौंकाने वाले सच बताए ।मास्को में खिलाड़ियों को डोप टेस्ट से बचाने के लिए एक भूमिगत लैब बनाई गई थी। यही नहीं सभी रूसी खिलाड़ियों के डिजिटल डाटा और क्लीन सैंपल भी रखे गए थे।खिलाड़ियों का यूरिन सैंपल बदलने के लिए बाथरूम में छेद तक किए गए थे। यहां से आसानी से उनके सैंपल बदलकर उन्हें डोप टेस्ट से बचा लिया जाता था। 2014 में हुए सोची शीतकालीन ओलंपिक में सभी रूसी खिलाड़ियों ने डोप किया। रूसी सरकार के इशारे पर यह सब कुछ किया गया।     
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