कैसे हैं विराट के वीर

मुंबई में टीम इंडिया की साख दांव पर थी। दूसरे ट्वंटी-20 में आठ विकेट की बड़ी जीत दर्ज करके वेस्ट इंडीज ने यह डर तो पैदा कर ही दिया था कि सीरीज हाथ से फिसल सकती है। अपने घर में वेस्ट इंडीज की टीम से सीरीज गंवाने की सूरत में टीम इंडिया की रणनीति पर सवाल उठना तय था। साथ ही टीम इंडिया की उन तैयारियों को भी झटका लगता, जो आगामी टी-20 विश्व कप के मद्देनजर वह अभी से कर रही है। 

मैच में टॉस का रोल बहुत अहम होना था। यह ऐसा मामला था, जहां कोई अनुभव काम नहीं आने वाला था। यहां कहानी सिर्फ किस्मत की थी। लिहाजा किस्मत का तोड़ काबिलियत से निकाला गया। टीम के दो सबसे सीनियर और दो सबसे करिश्माई खिलाड़ियों ने दो बातें तय कर लीं। पहली बात कि टॉस के भरोसे नहीं बैठना है और दूसरी कि वेस्ट इंडीज को उसी की भाषा में जवाब देना है। इन दोनों बातों का असर बुधवार को मैदान में दिखाई दिया। भारतीय टीम टॉस हार गई। न चाहते हुए भी उसे पहले बल्लेबाजी करनी पड़ी। अब जीत का लक्ष्य तभी हासिल हो सकता था, जब स्कोर बोर्ड पर रनों का बहुत बड़ा पहाड़ खड़ा कर दिया जाए। 

रोहित शर्मा और विराट कोहली इसके लिए पहले से तैयार थे। केएल राहुल ने भी इसमें न सिर्फ शानदार सहयोग दिया, बल्कि सबसे बड़ा स्कोर खड़ा करके ‘मैन ऑफ द मैच’ भी जीता। नतीजतन, वेस्ट इंडीज के सामने जीत के लिए 241 रनों का ऐसा लक्ष्य रख दिया गया, जो उसकी पहुंच से बाहर था। रोहित शर्मा ने 34 गेंदों पर 71 रन बनाए। केएल राहुल ने 56 गेंदों पर 91 रन बनाए। विराट कोहली ने 29 गेंदों पर 70 रन जड़ दिए। इसके बाद बाकी की जिम्मेदारी गेंदबाजों ने पूरी कर दी। भारत 67 रनों के बड़े अंतर से जीत गया।

अब बात रोहित और विराट की। यह दिलचस्प बात है कि आए दिन इन दोनों खिलाड़ियों के आपसी मनमुटाव की बातें आती हैं। हमेशा से ही इन दोनों खिलाड़ियों की  तुलना की जाती रही है। रोहित और विराट, दोनों का करियर लगभग आस-पास ही शुरू हुआ है। दोनों विश्व क्रिकेट के सबसे करिश्माई बल्लेबाज हैं। दोनों के नाम तमाम रिकॉड्र्स हैं। दोनों के चलने का मतलब टीम की जीत की गारंटी है। बड़ा फर्क यह है कि खेल के तीनों फॉर्मेट का जब जिक्र आता है, तो विराट कोहली रोहित शर्मा से काफी आगे निकल जाते हैं। लिमिटेड ओवर में तो रोहित न सिर्फ विराट को कड़ी टक्कर देते हैं, बल्कि कई बार उनसे ज्यादा आक्रामक लगते हैं। लिमिटेड ओवर की कप्तानी में भी रोहित कहीं से उन्नीस नहीं हैं। आईपीएल में तो चार खिताब जीतकर वह कप्तान नंबर एक हैं। धोनी से ज्यादा खिताब उन्होंने जीते हैं। 

विराट के खाते में अभी तक यह उपलब्धि नहीं है। रिकॉर्ड बुक की इन छोटी-बड़ी कसौटियों के बीच इन दोनों खिलाड़ियों का एक साथ खेलना टीम इंडिया के लिए बहुत बड़ी ताकत है। साथ ही यह संकेत भी है कि अगर कोई मनमुटाव दोनों में है, तो वह मैदान के बाहर है, मैदान के भीतर वे दो बल्लेबाज नहीं, बल्कि एक और एक ग्यारह हैं। बुधवार को रोहित शर्मा ने नींव तैयार की, तो विराट उस पर जीत की इबारत लिखकर आए।

क्या भारतीय टीम की यह ताकत कभी उसकी कमजोरी भी बन सकती है? इसका जवाब हां में है। पिछले कुछ साल में आप लिमिटेड ओवर के मैचों में विराट कोहली और रोहित शर्मा के प्रदर्शन को निकाल दीजिए। आप पाएंगे कि ज्यादातर मौकों पर टीम को मुंह की खानी पड़ी है। इसमें 2019 विश्व कप का सेमीफाइनल सबसे ताजा और बड़ा उदाहरण है। न्यूजीलैंड के खिलाफ टीम इंडिया को सिर्फ 240 रन बनाने थे। लेकिन रोहित और विराट, दोनों के 1-1 रन पर आउट होते ही टीम इंडिया हार के रास्ते पर चल पड़ी। प्वाइंट टेबल में टॉप करने वाली टीम का विश्व कप जीतने का सपना टूट गया। ये यादें ही हैं, जो बार-बार सबक सिखाती हैं कि विश्व क्रिकेट के दो सबसे करिश्माई खिलाड़ियों के एक साथ होने के बाद भी जीत के लिए टीम का प्रदर्शन चाहिए होता है। फिलहाल इसका पेच वह मध्य क्रम है, जो अक्सर कमजोर दिखता है। 2019 विश्व कप के टूटे ख्वाबों को 2020 टी-20 विश्व कप में पूरा करने के बीच जो समय मिला है, उसमें इसी कमजोरी को दूर करने की चुनौती है।  

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