खो-खो वर्ल्ड कप आयोजन, एक सपना साकार होने सा

खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर इन चीफ रजत शर्मा खो-खो वर्ल्ड कप के आयोजन तथा इसके शिल्पकार सुधांषु मित्तल से खासे खुश हैं। भारत के इस माटी के खेल खो-खो का पहली बार वर्ल्ड कप होना अच्छी बात है। दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में 13 से 19 जनवरी तक हो रहे खो-खो वर्ल्ड कप 23 देशों की टीमें हिस्सा ले रही हैं।
महाभारत कालीन इस खेल को आज दुनिया के पटल पर लाने की जोरदार कोशिश की जा रहा है। इस खेल के आधुनिक स्वरूप की शुरुआत महाराष्ट्र में हुई थी, जोकि आज दुनिया के सभी महादेशों तक पहुंच गया है। विश्व के खेल इतिहास में खो-खो की एंट्री 1936 से मानी जा सकती है। जब 1936 ओलम्पिक के डेमो गेम्स में इसे  खेला गया था। और अब खो-खो फेडरेशन का लक्ष्य है कि 2032 में होने वाले ओलम्पिक में इस खेल को शामिल किया जाए।
खो-खो वर्ल्ड कप 2025 के लोगो का अनावरण करते हुए रजत शर्मा ने कहा था कि बहुत कम लोगों में ये हुनर होता है कि वो मिट्टी को छूते हैं तो सोना बन जाती है। वो हुनर मेरे दोस्त सुधांशु मित्तल में है। आज गली के इस गेम को ग्लैमरस बना दिया। वो दिन दूर नहीं है कि जब इस खेल से जुड़े खिलाड़ियों को हम विज्ञापन में देखेंगे। उनके जीवन मे ग्लैमर आएगा। मेरी शुभकामनाएं हैं कि ये खेल ओलंपिक में शामिल हो।
खो-खो को विश्वस्तरीय बनाने के लिए कई बदलाव भी किये गए हैं। खो-खो अब मिट्टी पर नहीं मैट्स ओर खेला जाता है। इसके लिए एक स्पेशल मैट तैयार किया गया है। खिलाड़ियों की संख्या भी 9 से घटाकर 7 कर दिया गया है। नियमों में भी कई बदलाव किए गए हैं। इस खेल में भी रेफरी, रिव्यू और रीप्ले को इंट्रोड्यूस करके इसे विश्वस्तरीय बना दिया गया है। 

 

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