शूटर मनु ने स्वीकारा- 'फॉर्म भरते वक्त मुझसे चूक हुई'

खेलरत्न मामले पर निशानेबाज का चौंकाने वाला बयान
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
पेरिस ओलंपिक में दो कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचने वाली भारत की शीर्ष निशानेबाज मनु भाकर को खेलरत्न अवॉर्ड के लिए नहीं चुने जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। अब इस मुद्दे पर निशानेबाज का चौंकाने वाला बयान आया है। उन्होंने कहा-  शायद मेरी ओर से कोई चूक हुई है।
मनु ने एक्स पर लिखा- सबसे प्रतिष्ठित खेल रत्न पुरस्कार के लिए मेरे नामांकन के लिए चल रहे मुद्दे के संबंध में, मैं यह कहना चाहूंगी कि एक एथलीट के रूप में मेरी भूमिका अपने देश के लिए खेलना और प्रदर्शन करना है। मुझे लगता है कि नामांकन दाखिल करते समय शायद मेरी ओर से कोई चूक हुई है जिसे ठीक किया जा रहा है।
इससे पहले मंगलवार को ही मनु के पिता ने शीर्ष निशानेबाज के हवाले से दावा किया था कि उन्होंने पुरस्कार के लिए अपना नाम ऑनलाइन पोर्टल में जमा किया था फिर भी 30 नामों की शॉर्टलिस्ट में जगह बनाने में विफल रहीं। टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ बातचीत में मनु भाकर के पिता ने खेल मंत्रालय और खेल रत्न नामांकितों की सूची को अंतिम रूप देने वाली समिति पर तीखी टिप्पणी की। 
मंत्रालय ने कहा है कि मनु ने पुरस्कार के लिए अपना नाम नहीं सौंपा था, लेकिन इस स्टार निशानेबाज ने और उनके पिता ने इसका खंडन किया है। राम किशन ने कहा, 'मुझे उन्हें निशानेबाजी के खेल में जाने के लिए प्रेरित करने का पछतावा है। मुझे इसके बजाय मनु को क्रिकेटर बनाना चाहिए था। फिर, सभी पुरस्कार और प्रशंसा उन्हें मिल जाती। उन्होंने एक ही ओलंपिक संस्करण में दो पदक जीते, उनसे पहले किसी भारतीय ने ऐसा नहीं किया है। 
आप मेरे बच्चे से देश के लिए और क्या करने की उम्मीद करते हैं? सरकार को उनके प्रयासों को मान्यता और तवज्जो देनी चाहिए। मैंने मनु से बात की और वह इन सब से निराश हो गई हैं। उन्होंने मुझसे कहा कि मुझे ओलंपिक में जाकर देश के लिए पदक नहीं जीतने चाहिए थे। मनु ने मुझसे कहा कि उन्हें एक एथलीट नहीं बनना चाहिए था।'
इस मामले पर मंत्रालय की ओर से बयान भी आया है। मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा, 'अभी अंतिम सूची तय नहीं हुई है। खेलमंत्री मनसुख मांडविया एक या दो दिन में अनुशंसा पर फैसला लेंगे और अंतिम सूची में मनु का नाम होने की पूरी संभावना है।' उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत जज वी रामासुब्रमम की अध्यक्षता वाली 12 सदस्यीय पुरस्कार समिति में भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान रानी रामपाल समेत पूर्व खिलाड़ी भी हैं।
मनु की अवहेलना पर कोच राणा की प्रतिक्रिया
दो ओलंपिक पदक जीतने वाली निशानेबाज मनु भाकर के कोच जसपाल राणा ने खेल मंत्रालय, भारतीय खेल प्राधिकरण और भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) को ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार के लिए मनु की अनदेखी किए जाने पर निशाना साधा है।
राणा ने कहा, 'मैं उन सभी को जिम्मेदार ठहराऊंगा। कोई कैसे कह सकता है कि मनु ने आवेदन नहीं किया। उन्होंने एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय बनकर इतिहास रचा है। उनका नाम तो अपने आप आना चाहिए। क्या अधिकारियों को पता नहीं है कि मनु भाकर कौन है और उनकी क्या उपलब्धि है। इस अपमान से उनकी प्रगति में बाधा पहुंचेगी।'
उन्होंने यह भी कहा कि पुरस्कार के लिए खिलाड़ियों के सीधे आवेदन करने की अनिवार्यता खेल के हित में नहीं है। मंत्रालय ने कहा कि मनु ने पुरस्कार के लिए आवेदन नहीं किया है, लेकिन उनके पिता रामकिशन भाकर ने कहा कि उन्होंने आवेदन किया है। राणा ने कहा, 'यह हैरानी की बात है। कोई शीर्ष खिलाड़ी पुरस्कार के लिए आवेदन या अनुरोध क्यों करे। उन्हें तो अपने आप पुरस्कार मिलना चाहिए। उनकी अनदेखी कैसे हो सकती है। कोई व्यवस्था तो होनी चाहिए।' उन्होंने कहा, 'क्या हर खिलाड़ी को पता है कि कैसे आवेदन करना है। क्या इसका कोई तुक है कि सिर्फ खिलाड़ी ही आवेदन कर सकता है। महासंघ, साइ या मंत्रालय क्यों नहीं।'

 

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