देश में प्रतिभाओं की नहीं बल्कि सुविधाओं की कमी है: नीरज चोपड़ा

मिशन ओलम्पिक-2036 रोडमैप ऑफ मेडल 7 टू 70 का शुभारम्भ किया
खेलपथ संवाद
सोनीपत।
हरियाणा की पहली खेल यूनिवर्सिटी में शुक्रवार को गोल्डन ब्वॅाय जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने मिशन ओलम्पिक-2036 रोडमैप ऑफ मेडल 7 टू 70 का शुभारम्भ किया। उन्होंने खेल यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों से अपने पढ़ाई और संषर्घ के दिनों की यादें साझा कीं। नीरज ने कहा कि देश में खेल सुविधाएं बढ़ाई जाएं तो ओलम्पिक में देश का प्रदर्शन सुधर जाएगा। उन्होंने कहा कि देश में खेल प्रतिभाओं की नहीं सुविधाओं की कमी है।
कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय पहलवान सरिता मोर, राहुल मान, आईपीएस पंकज नैन, साई के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. शिवम शर्मा के साथ खेल जगत की कई हस्तियों ने ओलम्पिक में देश का प्रदर्शन सुधारने पर मंथन किया। वहीं दोपहर बाद सत्र के समापन पर राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय भी पहुंचे। नीरज चोपड़ा ने हरियाणवी में विद्यार्थियों के सवालों के जवाब दिए। खेल यूनिवर्सिटी में शुक्रवार को आयोजित कार्यक्रम में कुलपति एवं सेवानिवृति पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा कि हमें गर्व है कि आज हमारे बीच टोक्यो ओलम्पिक के गोल्ड और पेरिस के सिल्वर मेडल विजेता नीरज चोपड़ा पहुंचे हैं। उन्होंने कहा प्रदेश की पहली खेल यूनिवर्सिटी में खेल के साथ शिक्षा व अन्य कोर्स पढ़ाए जा रहे हैं। 
ओलम्पिक-2036 की मेजबानी के लिए भारत ने प्रयास शुरू कर दिए हैं। इसके लिए हमारे पास 12 वर्ष हैं, इन 12 सालों मेंं हमें ओलम्पिक में अपने प्रदर्शन को सुधारना है। पेरिस में जीते 7 मेडल को 70 तक पहुंचाना है। इसके लिए उन्होंने नीरज चोपड़ा से दो मुख्य मुद्दों पर उनकी राय जानी। इनमें पहला 70 मेडल के प्रदर्शन तक पहुंचने में कमी कहां रह जाती है और इसे कैसे पूरा किया जा सकता है।
नीरज चोपड़ा ने खिलाडिय़ों और कोचों को सम्बोधित करते हुए कहा कि मेरा स्कूली जीवन भी आप लोगों जैसा ही था। मैंने भी इसी तरह संघर्ष किया किया है। आप लोगों में ही भविष्य के चैम्पियन मौजूद हैं। मेरे हिसाब से हमारे देश में प्रतिभाओं की तो कमी नहीं है लेकिन यहां पर खेल सुविधाएं कम हैं। अगर इन्हें बढ़ा दिया जाए तो ओलम्पिक में हमारा प्रदर्शन सुधर जाएगा। हमारे यहां पर स्टेडियमों की कमी है, चीन और अमेरिका में स्कूल स्तर पर ही खिलाडिय़ों की प्रतिभा को पहचान कर उन्हें सुविधाएं दी जाती हैं लेकिन हमें इसमें अभी सुधार करना होगा। स्कूली स्तर पर खेल प्रतिभाओं को पहचानकर उन्हें सुविधाएं देकर आगे बढ़ाना होगा। विदेश में इनडोर व आउटडोर ट्रैक हैं, रूम में ही ऑक्सीजन चैंबर हैं, बड़े-बड़े जिम हैं, डाइटिशियन हैं, सुविधाएं अधिक हैं।

रिलेटेड पोस्ट्स