अब अगली चुनौती को तैयार है रीतिका हुड्डा

राष्ट्रीय खेलों में स्वर्णिम सफलता हासिल की
अगला लक्ष्य पेरिस ओलम्पिक में तिरंगा लहराना 
खेलपथ संवाद
पणजी।
पिछले हफ्ते ही अंडर-23 विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला पहलवान रीतिका हुड्डा को 37वें राष्ट्रीय खेलों के लिए सीधे गोवा रवाना होना था। लेकिन अपनी थकान को पीछे छोड़ते हुए रोहतक जिले की रहने वाली यह पहलवान खुद को साबित करने के लिए तैयार हो गई और बुधवार शाम को उसने 76 किलोग्राम वर्ग में प्रतिद्वंद्वी को पछाड़ते हुए स्वर्ण पदक जीत लिया।
रीतिका, अधिक भार वर्ग में खेलने लगी क्योंकि 72 किलोग्राम वर्ग ओलम्पिक का हिस्सा नहीं है। वह पहले से ही पेरिस ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई करने के बारे में सोच रही है। रीतिका को लगता है कि गोवा में जारी राष्ट्रीय खेलों में उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का एक अच्छा मौका था कि वह विश्व चैम्पियनशिप के बाद भारत में उच्च स्तर पर अच्छा प्रदर्शन कर सकती है।
फाइनल में उत्तर प्रदेश की दिव्या काकरान को हराने के बाद रीतिका ने कहा,” मैं पिछले कुछ समय से इन लड़कियों के साथ मुकाबला कर रही हूं। मैं कई बार जीती भी हूं और हारी भी हूं। मैं इस टूर्नामेंट में स्वर्ण जीतने की मानसिकता के साथ आई थी। मैं आश्वस्त थी और यह मेरे प्रदर्शन में दिखा।” कंपाल स्पोर्ट्स विलेज में कुश्ती प्रतियोगिताओं के शुरुआती दिन दिव्या के टखने में चोट लगने और तकनीकी श्रेष्ठता के आधार पर हार जाने के बाद रीतिका ने कुछ टेक डाउन हासिल करके मुकाबले को अपने नियंत्रण में कर लिया था।
अल्बानिया के तिराना में विश्व अंडर-23 चैम्पियनशिप के अपने अनुभव के बारे में बात करते हुए रीतिका ने कहा, ” स्वर्ण जीतने की भावना मेरे लिए खास थी। लेकिन मैंने अपने सीनियर्स को जीतने के बाद भारतीय ध्वज लहराते देखा था। थोड़ी निराश हूं कि मैं ऐसा नहीं कर सकी क्योंकि मैं यूडब्ल्यूडब्ल्यू बैनर के तहत खेल रही थी।”
हैंडबॉल में अपनी किस्मत आजमाने के बाद कुश्ती की ओर रुख करने वाली रीतिका ने कहा कि जल्द ही राष्ट्रीय खेलों में खेलने से उन्हें घर पर रहने का एहसास हुआ, जहां सीनियर्स और दोस्त उनका हौसला बढ़ा रहे थे। रीतिका का अब अगला और मुख्य लक्ष्य अपनी जीत की लय को बरकरार रखना तथा अगले साल पेरिस ओलम्पिक में तिरंगा लहराना है।

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