छुप-छुपकर खेली मुक्केबाज मनीषा मौन ने बढ़ाया मान

माता-पिता नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी खेले
वर्ल्ड महिला बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में जीत चुकी है गोल्ड मेडल
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
बेटियां चाहें तो कुछ भी कर सकती हैं, जरूरत है उन्हें प्रोत्साहन की। हमारे देश की कई बेटियां पितृसत्तात्मक व्यवस्थाओं को कुचलते हुए देश का नाम रोशन करती रही हैं। उन्हीं में एक नाम 24 वर्षीय भारतीय मुक्केबाज मनीषा मौन का है। मनीषा के माता-पिता अपनी बेटी को खेलता नहीं देखना चाहते थे। वे उसकी शादी कराकर उसके सपनों को मार देना चाहते थे, लेकिन शायद आज वो भी अपनी गलती पर पछता रहे होंगे क्योंकि मनीषा अब अपने जोरदार पंच से इतिहास रच रही है।
मई महीने में इस्तांबुल में खेली गई विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में भारतीय मुक्केबाज मनीषा मौन ने कांस्य पदक जीत कर भारतीय तिरंगा लहराया था। वर्ल्ड महिला मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में मनीषा ने 57 किलोग्राम भार वर्ग में कांस्य पदक जीता था। मनीषा ने साबित कर दिया कि तमाम मुश्किलों और बेड़ियों को तोड़ते हुए देश की बेटियां कमाल की काबिलियत रखती हैं, बस उन्हें मौके की जरूरत है।
मनीषा को 12 साल की उम्र में ही मुक्केबाजी का शौक सवार हो गया था। माता-पिता के मना करने के बाद भी वो नहीं मानी। बिना घर बताए मुक्केबाजी की ट्रेनिंग लेती रही। उसके पिता कृष्णन मौन को इसकी भनक तब लगी जब मनीषा ने एक जिलास्तरीय प्रतियोगिता जीती थी। पिता को अख़बार के द्वारा यह जानकारी हासिल हुई थी। पहले तो वो मना किए, लेकिन कामयाब औलाद किसे नहीं पसंद। जब बेटी की काबिलियत के चर्चे होने लगे तब पिता ने भी उसे सपोर्ट करना शुरू कर दिया।
मनीषा मौन को साल 2012 में कोच राजिंदर का साथ मिला। मनीषा ने उन्हीं से मुक्केबाजी की बारीकियां सीखीं। सब कुछ ठीक चल रहा था। मनीषा मुक्केबाजी में बड़ा नाम कमाना चाहती थी। लेकिन तभी एक मुसीबत ने उसे अंदर से तोड़ दिया। उसके पिता, जो एक ट्रैक्टर मैकेनिक हैं, उन्हें हार्ट अटैक आ गया। मनीषा को एक माह तक अस्पताल में पिता की देखभाल करनी पड़ी। पिता के इलाज में काफी पैसे खर्च हो गए थे। घर पर आर्थिक संकट मंडराने लगा। उनके पिता काम करने में भी असमर्थ थे। हालात ने मनीषा के ऊपर जिम्मेदारियों का बोझ डाल दिया। एक तरफ वो परिवार का खर्च भी उठाने लगी वहीं दूसरी तरफ मुक्केबाजी में अपना करियर बनाने का सपना भी देखती रही। बहादुर मनीषा ने मुश्किलों का डटकर मुकाबला किया।
मनीषा मेहनत करती रही, जिसका उसे ईनाम भी मिला। वह हरियाणा की जूनियर चैम्पियनशिप जीतकर चर्चा में आई। उसके बाद साल 2016-17 में ऑल इंडिया इंटर युनिवर्सिटी खिताब अपने नाम किया। साल 2018 में दिल्ली में आयोजित वर्ल्ड महिला बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में क्वार्टर फाइनल तक पहुँचने में कामयाब रही। फिर साल 2019 में एशियन मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में 54 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक जीता। इसके बाद साल 2020 में जर्मनी में हुई वर्ल्ड महिला बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल कर देश का नाम रोशन किया।  

 

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