स्किन का रंग व्यक्ति की पहचान नहीं होती

आओ विटिलिगो सपोर्ट इंडिया से जुड़कर समाज को जगाएं
हर त्वचा के लिए नवाचार, एआई की शक्ति से
खेलपथ संवाद
प्रिय सज्जनों, स्किन का रंग व्यक्ति की पहचान नहीं होती। समाज को इसी बात से अवगत कराने आज हम विटिलिगो सपोर्ट इंडिया के बैनर तले उपस्थित होकर 14वां वर्ल्ड विटिलिगो डे मना रहे हैं। इस साल की थीम हर त्वचा के लिए नवाचार, एआई की शक्ति से, है। यह थीम हमें बताती है कि हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए न केवल इस समस्या का समाधान खोज सकते हैं बल्कि समाज को भी बदलाव का संदेश दे सकते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की जहां तक बात है, आज के समय में यह सबसे ज़्यादा बदलाव लाने वाली तकनीकों में से एक है।
प्रियजनों विटिलिगो छुआछूत की बीमारी नहीं बल्कि यह एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, जिसका कनेक्शन हमारे इम्युनिटी सिस्टम के साथ होता है। इस बीमारी को आमभाषा में सफेद दाग भी कहा जाता है। विटिलिगो एक ऑटोइम्यून स्थिति है, जिसमें पीड़ित व्यक्ति के शरीर का अपना इम्यून सिस्टम गलती से स्किन के सेल्स पर हमला करता है, जो मेलानिन का उत्पादन करता है। वैसे तो स्किन की समस्या गंभीर नहीं होती लेकिन कई लोगों में इसे लेकर कई तरह की गलतफहमिया फैली हुई हैं। ऐसे में लोगों को इस बीमारी से जागरूक करने के लिए हर साल 25 जून को वर्ल्ड विटिलिगो डे मनाया जाता है।
इस साल की थीम विश्व स्वास्थ्य संगठन ने "हर त्वचा के लिए नवाचार, एआई की शक्ति से" रखी है। इस थीम के जरिए लोगों को यह संदेश देना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए विटिलिगो की पहचान, ट्रीटमेंट और मरीजों की सही देखभाल के तरीके को आसानी से पहचाना जा सकता है। इस थीम का उद्देश्य यह तय करना है कि इस तकनीक का फायदा सभी मरीजों तक पहुंचे।
इस दिन को मनाने का उद्देश्य विटिलिगो यानी सफेद दाग की समस्या को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने तथा इससे पीड़ित मरीजों के साथ होने वाले सामाजिक भेदभाव को खत्म करना है। विटिलिगो संक्रामक समस्या नहीं होती लेकिन लोग इसे गलत समझते हैं। इसलिए, इस दिन के जरिए लोगों के बीच फैले मिथक और गलतफहमियों को दूर करने के लिए ही प्रियानुज रविन्द्र जायसवाल जी ने विटिलिगो सपोर्ट इंडिया संगठन का गठन किया है। यह संगठन आपका है, इससे जुड़कर आप न केवस समाज में बदलाव ला सकते हैं बल्कि अपने साथियों का हौसला भी बढ़ा सकते हैं।
विटिलिगो सपोर्ट इंडिया के बैनर तले उपस्थित सभी महानुभावों से मैं करवद्ध निवेदन करता हूं कि हम सब मिलकर इस बीमारी से पीड़ित लोगों का हौसला और आत्मविश्वास बढ़ाएं तथा जो लोग सफेद दाग से पीड़ित लोगों को हीनभावना से देखते हैं उन्हें हम अपने अच्छे कामों से माकूल जवाब दें। वर्ल्ड विटिलिगो डे की शुरुआत की जहां तक बात है, इसकी शुरुआत 25 जून, 2011 को हुई थी। यह दिन मशहूर पॉप सिंगर माइकल जैक्सन की याद में मनाया जाता है, जो खुद विटिलिगो जैसी गम्भीर स्किन समस्या से पीड़ित थे।
माइकल जैक्सन का निधन 25 जून, 2009 में हुआ था। उसके बाद साल 2011 में इस दिन को वर्ल्ड विटिलिगो डे के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। यह दिन विटिलिगो से पीड़ित मरीजों को सम्मान देने, उनके प्रति सामाजिक समझ और सहानुभूति को बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। वर्ल्ड विटिलिगो डे इस सोच को बदलने की कोशिश करता है कि स्किन का रंग व्यक्ति की पहचान नहीं होती। प्रियजनों अपने आपको कभी किसी से कम न समझें, विटिलिगो सपोर्ट इंडिया आपके साथ है।