पिता ने बेटी अंतिम को लगाए सफलता के पंख

वर्ल्ड चैम्पियनशिप में भारत को स्वर्ण पदक दिलाने वाली पहली पहलवान
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
भारत की कई महिला एथलीट देश का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम रोशन कर रही हैं। ओलम्पिक से लेकर कॉमनवेल्थ खेलों तक में भारतीय महिला एथलीटों ने शानदार प्रदर्शन कर साबित किया कि देश की महिलाएं किसी भी मामले में पीछे नहीं हैं। हाल ही में वर्ल्ड अंडर 20 रेसलिंग चैम्पियनशिप में पहलवान अंतिम पंघाल ने भारत के लिए स्वर्ण पदक हासिल कर देश का मान बढ़ाया है। 
अंतिम पंघाल का नाम भले ही दूसरे अर्थ में आखिरी हो लेकिन वह अपने करियर में अव्वल हैं। विश्व रेसलिंग चैम्पियनशिप में अंतिम पंघाल ने 53 किलो वर्ग में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास में अपना नाम दर्ज करा दिया है। यह कारनामा करने वाली वह भारत की पहली महिला पहलवान बन गई हैं। अंतिम पंघाल हरियाणा के हिसार जिले के भगाना गांव की रहने वाली हैं। उनके पिता का नाम रामनिवास पंघाल है और माता कृष्णा कुमारी हैं। वह अपने परिवार की चौथी बेटी हैं, इसलिए उनके जन्म पर माता-पिता ने उनका नाम अंतिम रखा। दरअसल, उस गांव की प्रथा है कि जिस घर में बहुत सारी लड़कियों का जन्म होता है, वहां उनको काफी या अंतिम जैसे नामों से सम्बोधित किया जाता है। ऐसा और लड़कियां पैदा न होने की मान्यता के साथ लोग करते हैं।
अंतिम ने भले ही आज अपने माता-पिता, गांव, राज्य समेत पूरे देश का नाम रोशन किया है लेकिन उनके जन्म के समय हालात कुछ और थे। रामनिवास पंघाल की पहले से तीन बेटियां थीं। परिवार एक बेटे की ख्वाहिश में था लेकिन चौथी बेटी के रूप में अंतिम का जन्म हुआ। हालांकि गांव की प्रथा की वजह से उनका नाम अंतिम पड़ गया लेकिन उनके माता पिता ने हमेशा अपनी बेटी का समर्थन किया। अंतिम ने रेसलर बनने का सपना देखा तो पिता ने उसके सपने को पूरा करने के लिए हरसंभव प्रयास किया। अंतिम की बड़ी बहन सरिता राष्ट्रीय स्तर की कबड्डी खिलाड़ी हैं। अंतिम और सरिता दोनों हिसार से ट्रेनिंग के लिए 20 किलोमीटर दूर जाया करती थीं। उनके पिता दोनों बेटियों को ट्रेनिंग के लिए ले जाया करते।
अंतिम का रेसलिंग करियर
कोच रोशनी देवी के नेतृत्व में अंतिम ने रेसलिंग करनी शुरू की। रामनिवास ने बेटी अंतिम को रेसलिंग सीखने के लिए भेजा। कड़ी मेहनत के बाद अंतिम पंघाल ने एशिया अंडर 20 चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। इसके अलावा वर्ल्ड अंडर 17 में कांस्य और एशिया अंडर 23 में सिल्वर पदक हासिल किया। महज 17 साल की उम्र में अंतिम पंघाल ने जूनियर रेसलिंग वर्ल्ड चैम्पियनशिप में गोल्ड जीतकर भारत के लिए इतिहास रच दिया।   

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