12 साल में ग्रैंडमास्टर बने प्रज्ञानानंद

बहन से सीखा शतरंज
तीन महीने के अंदर दूसरी बार विश्व चैम्पियन मैगनस कार्लसन को हराया
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
भारत के ग्रैंडमास्टर रमेशबाबू प्रज्ञानानंद ने तीन महीने के अंदर दूसरी बार विश्व चैम्पियन मैगनस कार्लसन को हराया है और सुर्खियों में बने हुए हैं। चेजबल मास्टर्स के पांचवें दौर में कार्लसन ने गलती की और प्रज्ञानानंद के खिलाफ मैच हार गए। इस जीत के बाद प्रज्ञानानंद ने कहा कि उन्हें इस तरह की जीत मंजूर नहीं है, जिसमें विपक्षी खिलाड़ी की गलती का फायदा उन्हें मिले। वो अपने दम पर जीत हासिल करना चाहते हैं। 
प्रज्ञानानंद का यह बयान उनके पूरे करियर के बारे में बताता है। 12 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर बनने वाले प्रज्ञानानंद ने महज तीन साल की उम्र से शतरंज खेलना शुरू कर दिया था। उनकी बड़ी बहन वैशाली को भी यह खेल पसंद था और उन्हें देखकर ही प्रज्ञानानंद ने शतरंज खेलना शुरू किया। वैशाली चाहती थीं कि प्रज्ञानानंद टीवी में कार्टून कम देखें। इसी वजह से उन्होंने अपने छोटे भाई को शतरंत का चालें सिखा दी। उस समय उनकी बड़ी बहन को भी यह एहसास नहीं था कि छोटा भाई आगे चलकर शतरंज के विश्व चैम्पियन को मात देगा। 
प्रज्ञानानंद की सफलता में उनकी मां का बड़ा योगदान है। बचपन से ही शतरंज से जुड़े हर टूर्नामेंट में खेलने के लिए उन्हें लाने और ले जाने की जिम्मेदारी उनकी मां पर थी। वो वैशाली और प्रज्ञानानंद दोनों को शतरंज में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती थी और हमेशा उनके सपोर्ट में खड़ी रहती थीं। 
प्रज्ञानानंदा ने 12 साल, 10 महीने और 13 दिन की उम्र में ग्रैंड मास्टर का खिताब हासिल कर लिया था। वो भारत के सबसे युवा ग्रैंड मास्टर हैं। वहीं, साल 2018 में वो दुनिया के दूसरे सबसे युवा ग्रैंडमास्टर थे। उनसे पहले सिर्फ यूक्रेन के सिर्जी कर्जाकिन साल 1990 में सिर्फ 12 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर बन गए थे। 
क्रिकेट के भी शौकीन हैं प्रज्ञानानंद
प्रज्ञानानंद शतरंज के अलावा क्रिकेट का भी शौक रखते हैं। मौका मिलने पर वो क्रिकेट मैच खेलने भी जाते हैं। हालांकि, शतरंज में करियर बनाने के चलते उन्होंने क्रिकेट के मैदान पर कोई उपलब्धि नहीं हासिल की है, लेकिन उन्हें क्रिकेट खेलने और मैच देखने का शौक है। 
एयरथिंग्स मास्टर्स में पहली बार कार्लसन को हराया
एयरथिंग्स मास्टर्स के आठवें राउंड में भारत के आर प्रज्ञानानंदा ने पहली बार विश्व चैंपियन कार्लसन को हराया था। वो इस टूर्नामेंट के सबसे छोटे खिलाड़ी थे। कार्लसन ने भारतीय ग्रैंडमास्टर के सामने कई गलतियां की थी और अंत में मैच भी हार गए थे। इससे पहले ये दोनों खिलाड़ी तीन बार भिड़ चुके थे और तीनों बार कार्लसन जीते थे, लेकिन चौथे मैच में भारतीय खिलाड़ी ने जीत हासिल की थी। अप्रैल में हुए ओसलो इ स्पोर्ट्स कप में कार्लसन ने प्रज्ञानानंद को 3-0 से हराकर पिछली हार का बदला लिया था। अब प्रज्ञानानंद ने फिर कार्लसन को हराकर सनसनी मचा दी है।  

रिलेटेड पोस्ट्स