यूपी में खेलों का हालः खिलाड़ी बेहाल, सांसद शर्मसार

शाहजहांपुर के सांसद अरुण कुमार सागर को स्टेडियम में किया बंद

खेलपथ प्रतिनिधि

लखनऊ। उत्तर प्रदेश खेलों में कैसे खेल रहा है, यह बात मथुरा और शाहजहांपुर में खिलाड़ियों ने उजागर कर दी है। मथुरा में जहां सांसद हेमा मालिनी के सामने खिलाड़ियों के बीच जमकर लात-घूंसे चले वहीं शाहजहांपुर में कैश अवॉर्ड में पक्षपात किए जाने से गुस्साए खिलाड़ियों ने शाहजहांपुर के सांसद अरुण कुमार सागर को स्टेडियम में बंद कर दिया।

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में सांसद खेल स्पर्धा कार्यक्रम में खिलाड़ियों ने जमकर हंगामा काटा। यहां भाजपा के सांसद अरुण कुमार सागर को गुरुवार को स्थानीय खिलाड़ियों ने स्टेडियम परिसर के अंदर बंद कर दिया। विजेता टीमों को ईनामी राशि का भुगतान नहीं करने के विरोध में नाराजगी दिखाते हुए उन्होंने यह कदम उठाया।

सांसद खेल स्पर्धा के अंतिम दिन बृहस्पतिवार को पुरस्कार वितरण कार्यक्रम शहर के स्पोर्ट्स स्टेडियम में रखा गया था। इस दौरान कुछ खिलाड़ियों ने हंगामा कर दिया। उनका आरोप था कि पुरस्कार वितरण में पक्षपात हुआ। कुछ चुनिंदा खिलाड़ियों को नकद धनराशि के साथ मेडल प्रदान किए। खिलाड़ी सांसद की गाड़ी के आगे लेट गए। पुलिस ने खिलाड़ियों को स्टेडियम से बाहर निकाला। खिलाड़ियों ने सांसद के खिलाफ नारेबाजी की। काफी मुश्किल से खिलाड़ियों को समझाकर पुलिस ने शांत कराया।

स्पर्धा के तहत विधानसभा क्षेत्रों में खेलकूद प्रतियोगिता कराई गईं। प्रतियोगिता के समापन पर बृहस्पतिवार को सांसद अरुण सागर को पुरस्कार वितरण करना था। दोपहर में जब कार्यक्रम शुरू हुआ तो कुछ खिलाड़ियों को नकद धनराशि दी गई। बाकी खिलाड़ियों को शील्ड और मेडल प्रदान किए। इस पर अन्य खिलाड़ियों ने हंगामा शुरू कर दिया। उनका कहना था कि उन्हें भी नकद धनराशि दी जानी चाहिए। खिलाड़ियों ने आयोजकों से बात की, लेकिन संतोषजनक जवाब न मिलने पर उन्होंने नारेबाजी शुरू कर दी। मौजूद पुलिसकर्मियों ने खिलाड़ियों को स्टेडियम से बाहर कर गेट बंद कर लिया। बाहर खिलाड़ियों ने हंगामा करना जारी रखा। कुछ खिलाड़ी स्टेडियम की दीवार फांदकर अंदर चले गए।

बाद में सूचना पाकर रोजा थाने की पुलिस पहुंची और खिलाड़ियों को समझाने का प्रयास किया। सांसद ने गेट से निकलने का प्रयास किया तो खिलाड़ी गाड़ी के आगे लेट गए। इसमें कई महिला खिलाड़ी भी थीं। पुलिस ने जबरन खिलाड़ियों को रास्ते से हटाया तो सांसद की गाड़ी आगे बढ़ सकी। इसके बाद खिलाड़ियों ने स्टेडियम में लगे खेल स्पर्धा और सांसद के पोस्टर फाड़ दिए। पुलिस ने किसी तरह खिलाड़ियों को शांत किया। इसके बाद हताश खिलाड़ी लौट गए।

सीओ सदर अखंड प्रताप सिंह ने बताया कि स्टेडियम में खेल प्रतियोगिता में पुरस्कार राशि को लेकर विवाद हो गया था। कुछ खिलाड़ियों ने हंगामा किया था। सांसद भी वहां पर मौजूद थे। कुछ खिलाड़ी डीएम से मिलने की मांग कर रहे थे। उन खिलाड़ियों ने एक ज्ञापन दिया है। खिलाड़ियों से बातचीत करने के बाद पुलिस ने हंगामा शांत करा दिया। क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी जीतेंद्र भगत इस मामले में कन्नी काट रहे हैं।

सांसद बोले- विरोधी दलों की चाल

सांसद ने अरुण सागर ने कहा कि विरोधी पार्टी के कुछ असामाजिक तत्वों ने पराजित खिलाड़ियों को भड़का दिया था। बच्चे हंगामा करने लगे। वहां पर तैनात पुलिस ने स्टेडियम का मेन गेट बंद कर दिया, जिससे असामाजिक तत्व अंदर आकर बच्चों को न भड़का सकें। बच्चों से बातचीत की गई और उन्हें समझाकर शांत करा दिया। बच्चों का कहना था कि हमें भी पुरस्कार और नकद धनराशि दी जाए। निर्णायक मंडल के द्वारा विजयी खिलाड़ियों एवं टीमों की प्राप्त सूची के आधार पर खिलाड़ियों और टीमों को पुरस्कार दिया गया है। खेल स्पर्धा की सफलता के मद्देनजर बौखलाए विरोधी लोगों ने बदनाम करने के लिए साजिश रची थी।

आपको बता दें कि खिलाड़ियों का कहना था कि प्रथम स्थान पाने वाले को 51 सौ रुपये देने की बात कही गई थी। प्रथम स्थान पाने के बाद भी कोई नकद पुरस्कार नहीं दिया गया। केवल मेडल दिया गया। जब लोगों ने नकद पुरस्कार की बात कही तब कहा गया कि आप लोग क्या पैसों के भूखे हो।

800 मीटर और 1000 मीटर दौड़ में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले खिलाड़ी का कहना है कि उसे कोई नकद पुरस्कार नहीं दिया गया। केवल मेडल दिया गया। खाने-पीने की कोई व्यवस्था नहीं थी। बस की व्यवस्था भी नहीं की गई थी। जैतीपुर के खिलाड़ी भगवानदास का कहना है कि खिलाड़ियों के साथ धोखाधड़ी की गई। मेरा प्रथम स्थान था जबकि मुझे द्वितीय स्थान दिया गया। कोई नकद पुरस्कार नहीं दिया गया। केवल मेडल दिया गया। खाने की कोई व्यवस्था नहीं थी। तीन दिन से भूखे थे। छात्राओं के लिए खाने की कोई व्यवस्था नहीं थी। जब खाना मांगा गया तो कहा गया कि एक दिन नहीं खाओगे तो क्या मर जाओगे। नकद पुरस्कार भी नहीं दिया जबकि देने की बात कही गई थी।

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