कानपुर की उप निदेशक खेल का अंदाज निराला

2012 में मथुरा जिलाधिकारी ने मुद्रिका पाठक को सिखाया था सबक
प्रतिकूल प्रविष्टि तथा निलम्बन की हुई थी संस्तुति
खेलपथ संवाद
कानपुर।
कानपुर में पदस्थ उप निदेशक खेल मुद्रिका पाठक मनमौजी या यूं कहें फक्कड़ स्वभाव हैं। जो सोच लेती हैं उसे ही करती हैं। वह अपनी पर हों तो जिला प्रशासन की भी परवाह नहीं करतीं। पिछले महीने कानपुर में उनके खिलाफ कुछ खेल संगठनों तथा खिलाड़ियों ने उग्र प्रदर्शन व नारेबाजी की थी। बाद में मुद्रिका पाठक ने अपने कौशल और जोड़तोड़ से सबके होश फाख्ता कर दिए थे। लोगों की क्षमा-याचना के बाद मामला फिलहाल शांत है।
मुद्रिका पाठक जहां भी रहती हैं अपने स्वभाव के मुताबिक कोई न कोई ऐसा काम जरूर करती हैं ताकि उन्हें लोग जान और पहचान जाएं। 2012 में जब मुद्रिका पाठक मथुरा जिले की खेल अधिकारी थीं तब इन्हें स्वतंत्रता दिवस के दिन हुई मैराथन में न पहुंचने की सजा मिली थी। 2012 में मथुरा में राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित क्रॉस कंट्री दौड़ में मुद्रिका पाठक ही नहीं खेल विभाग के प्रशिक्षक भी नहीं पहुंचे थे। तब जिला अधिकारी ने कड़ा रुख अपनाते हुए सभी को प्रतिकूल प्रविष्टि तथा निलम्बन की संस्तुति की थी। 
दरअसल, खेल निदेशालय द्वारा 15 अगस्त, 2012 को प्रात: दस बजे से राइफल क्लब से पांच किलोमीटर लम्बी ओपन पुरुष व महिला क्रॉस कंट्री दौड़ का आयोजन किया जाना था। यह दौड़ नगर मजिस्ट्रेट राकेश चंद्र शर्मा, सीओ सिटी मुकुल द्विवेदी ने प्रारम्भ कराई थी। इस दौड़ में जिला खेल अधिकारी मुद्रिका पाठक, समरीश सोमाल तथा एनआईएस कोच ब्रजमोहन सिंह, ब्रजराज गुर्जर, मुकेश यादव को जाना चाहिए था लेकिन ये लोग नहीं पहुंचे। इस मामले की खबर मीडिया में आने के बाद नगर मजिस्ट्रेट राकेश चंद्र शर्मा ने इसे गंभीरता से लिया था। नाराज जिला अधिकारी आलोक तिवारी ने डीएसओ मुद्रिका पाठक व तीनों कोचों को प्रतिकूल प्रविष्टि देते हुए निलम्बन की संस्तुति कर दी थी। जब यह बरेली में पदस्थ थीं तब भी खूब चर्चा में रहीं। जो भी हो मुद्रिका पाठक का अपना अंदाज है। यही वजह है कि खेल निदेशालय से भी इनका छत्तीस का आंकड़ा रहता है।

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