शैली तोड़ सकती है मेरा राष्ट्रीय रिकॉर्डः अंजू बॉबी जॉर्ज

ओलम्पिक पोडियम तक पहुंचाना ही मेरा लक्ष्य
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
भारत की लम्बीकूद की एथलीट शैली सिंह ने हाल ही में अंडर 20 विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में रजत पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है। नैरोबी में खेली गई इस प्रतियोगिता में उन्होंने 6.59 मीटर की दूरी तय कर दूसरे स्थान पर रहीं और सिल्वर मेडल अपने नाम किया। 17 वर्षीया शैली ने अपनी तीसरी छलांग में यह दूरी तय की। उनकी इस उपलब्धि पर देश भर में शैली की प्रशंसा की जा रही है। 
साल 2003 में वर्ल्ड चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीतने वाली एथलीट अंजू बॉबी जॉर्ज का कहना है कि शैली उनका राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ सकती हैं। अंजू का नेशनल रिकॉर्ड 6.83 मीटर का है। उनके मुताबिक शैली में ओलम्पिक मेडल जीतने का दमखम है। अंजू ने शैली की तारीफ करते हुए कहा, वह राष्ट्रीय रिकॉर्ड में सुधार कर सकती है, हमारा शैली के लिए मुख्य लक्ष्य ओलम्पिक खेलों में उसे पोडियम पर खत्म करने में मदद करना है जो सबसे बेहतर चीज होगी, अगर कोई मेरा ट्रेनी पदक जीतता है मैं इसे अपना मानूंगी। अंजू ने राष्ट्रीय रिकॉर्ड 2004 एथेंस ओलम्पिक के दौरान बनाया था जहां वह पांचवें स्थान पर रहीं। शैली को अंजू द्वारा सलाह दी जाती है जबकि उनके पति रॉबर्ट बॉबी जॉर्ज कोच हैं।
शैली कोच रॉबर्ट जॉर्ज के पास उस वक्त आईं जब उनकी उम्र 14 साल थी। जब रॉबर्ट ने कोचिंग शुरू की थी तो उस समय अंजू की उम्र 20 साल थी। औपचारिक कोचिंग जल्दी प्राप्त करने का मतलब कि शैली ने कोई तकनीकी खामी नहीं आने दी जिसे ठीक करना मुश्किल हो। अंजू के मुताबिक, मैं रॉबर्ट की वजह से कुछ भी हासिल कर सकी, मेरे पास टेप वाला पैर और एक गुर्दा था तो अगर आप इसे देखें तो शैली में काफी सम्भावनाएं हैं। 
एक युवा शैली पर जूनियर चैम्पियनशिप में लगभग चार साल तक किसी का ध्यान नहीं गया। अगर रॉबर्ट ने ध्यान न दिया होता तो मेडल की उम्मीद कैसे की जाती। रॉबर्ट ने विजयवाड़ा में राष्ट्रीय जूनियर एथलेटिक्स के दौरान दुबली पतली लम्बी जम्पर शैली को देखा था। वह रनवे पर उसकी अप्रोच को अपने फोन में कैद करना भूल गए। रॉबर्ट जब घर आए तो वह शैली का नाम भी भूल गए। लेकिन उन्होंने अपनी पत्नी अंजू से कहा कि अगली प्रतियोगिता में उस पर नजर रखना।
इसके बाद एक सप्ताह के भीतर अंजू इंटर डिस्ट्रिक्ट जूनियर चैम्पियनशिप के दौरान विशाखापट्टनम में थीं जिन्होंने शैली को देखा। वह यह भी जानती थीं कि उनके पति शैली से बात करना चाहते हैं। अंजू ने इस दौरान शैली का एक वीडियो शूट कर अपने पति को भेज दिया। कुछ महीने बाद भारतीय खेल प्राधिकरण के विशेषज्ञों द्वारा शैली का मूल्यांकन किया गया और उन्हें बेंगलुरू आने का मौका मिला जहां अंजू और उनके पति थे। 
अंजू ने कहा. उन्हें पता था कि जब उन्होंने विशाखापट्टनम में शैली को देखा था तो उस युवा खिलाड़ी में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने की क्षमता थी, वह एक रफ डायमंड थी, किसी एथलीट में क्षमता खोजना अपने आप में मूल्यवान चीज है। हमें पता था कि अगर हम उसका मार्गदर्शन करते हैं, तो वह कुछ न कुछ करिश्मा करेगी।

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