डिस्कस छोड़ सकती हूं पर नॉन वेज कभी नहीं

शाकाहारी हैं डिस्कस थ्रोवर कमलप्रीत कौर
पनीर की सब्जी, आलू के पराठे, चावल के दम पर ओलम्पिक तक का सफर
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
शाकाहार के दम पर सुशील कुमार जैसे पहलवानों के ताल ठोकनें के उदाहरण मौजूद हैं, लेकिन एथलेटिक्स की थ्रो इवेंट में शाकाहारी एथलीटों की कल्पना मुश्किल है। थ्रोअरों को भुजाओं और शरीर में ताकत लाने के लिए देर-सवेर नॉनवेज शुरू ही करना पड़ता है, लेकिन हाल ही में 66.59 मीटर के राष्ट्रीय कीर्तिमान के साथ डिस्कस फेंक कर पूरी दुनिया की नजरों में छाने वाली कमलप्रीत कौर के साथ ऐसा नहीं है। वह पूरी तरह से शाकाहारी हैं।
उनके सामने जब नॉन वेज शुरू करने की बात रखी गई तो उन्होंने साफ कर दिया कि वह डिस्कस थ्रो छोड़ सकती हैं, लेकिन नॉन वेज को हाथ नहीं लगाएंगी। इसी शाकाहार के दम पर उन्होंने ओलम्पिक के फाइनल में जगह बना डाली। राष्ट्रीय शिविर में कुछ लोगों ने सोचा यह लड़की बिना नॉन वेज के डिस्कस थ्रो में नहीं टिक पाएगी। कमलप्रीत ने उनकी इन आशंकाओं को झुठलाते हुए अपने फेवरेट पनीर की सब्जी, आलू के पराठे और मटर के चावल के दम पर टोक्यो में फाइनल में जगह बनाकर पदक की उम्मीदों को जगाया है।  
कमलप्रीत खुलासा करती हैं कि उन्हें शाकाहारी खाने में ही मजा आता है। थ्रोअर होने के बावजूद उनकी अंदर से ही कभी नॉन वेज खाने की इच्छा नहीं हुई। कमलप्रीत की कोच राखी यहां तक कहती हैं कि उसने यह दिखा दिया है कि शाकाहारी भी थ्रोअर हो सकते हैं। इसके लिए नॉन वेज जरूरी नहीं है। पंजाब के बादल की साई अकादमी में कोच राखी के साथ पिछले सात सालों से तैयारी कर रहीं कमलप्रीत अपनी योजना स्पष्ट करती हैं कि वह पदक की नहीं सोच रही हैं, लेकिन उनकी कोशिश टोक्यो में एक और राष्ट्रीय कीर्तिमान बनाने की होगी। अगर नया कीर्तिमान बना तो हो सकता है पदक अपने आप आ जाए। शुरू में शॉटपुटर थीं लेकिन स्कूल के कोच ने कहा कि उनकी लम्बाई अच्छी है उन्हें डिस्कस शुरू करना चाहिए। इसके बाद उन्होंने डिस्कस अपना लिया। कमलप्रीत क्रिकेट की दीवानी हैं। कोच राखी खुलासा करती हैं कि वह हॉस्टल में हमेशा क्रिकेट खेलने के लिए आगे रहती हैं। उन्हें वीरेंद्र सहवाग बेहद पसंद हैं। अगर वह डिस्कस थ्रो में नहीं होती तो हो सकता है क्रिकेटर बन गई होतीं।

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