अब पदक के लिए जाती हैं बेटियांः कर्णम मल्लेश्वरी

टोक्यो में मीरा करेगी कमाल
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
पहली कोई भी चीज हो वो बहुत खास होती है, फिर यह तो ओलम्पिक का पहला पदक था। मेरा ही नहीं देश की किसी महिला खिलाड़ी का भी। यह मेरे लिए तो खास है ही देश के लिए भी। सिडनी ओलम्पिक ( 2000) के बाद भारतीय महिलाएं ओलम्पिक में पदक के बारे में सोचने लगीं। इससे पहले कोई भी भारतीय महिला पदक के बारे में नहीं सोचती थी। 
सिडनी के बाद बेटियों ने न सिर्फ ओलम्पिक में शानदार प्रदर्शन किया बल्कि पदक भी जीते। मेरे लिए इससे ज्यादा खुशी कोई और नहीं हो सकती। यह कहना है देश को ओलम्पिक में पहला पदक दिलाने वाली महिला खिलाड़ी कर्णम मल्लेश्वरी का। वेटलिफ्टर कर्णम ने 69 किलो भार वर्ग में कांस्य पदक जीतकर भारतीय खेलों में नए युग की शुरुआत की थी। 
कर्णम ने कहा कि ओलम्पिक में खेलना आसान नहीं है। यह वर्षों की कड़ी मेहनत और तपस्या के बाद ही संभव होता है। भारतीय खिलाड़ी पिछले कुछ वर्षों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। अब वह फाइनल के बारे में नहीं बल्कि पदक के बारे में सोचते हैं। मुझे पूरी उम्मीद है कि टोक्यो में हमारे खिलाड़ी कम से कम 12 से 13 पदक जीतेंगे। यह खेल हमारे अब तक के सबसे बेहतरीन खेल होंगे।
इस बार ओलम्पिक में सिर्फ एकमात्र वेटलिफ्टर मीराबाई चानू चुनौती पेश कर रही हैं। कर्णम कहती हैं कि मुझे पूरा विश्वास है कि मीरा इस बार हर हाल में मेरे क्लब में शामिल होंगी। उन्होंने पिछले एक-दो साल से बेहतरीन प्रदर्शन किया। उन्होंने ओलंपिक की तैयारियां विदेश में की है जिसका उन्हें फायदा मिलेगा। वह वेटलिफ्टिंग में 21 साल का सूखा जरूर खत्म करेंगी।

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