हॉकी बेटी निशा पिता को देना चाहती है नवजीवन

टोक्यो में महिला हॉकी का पदक जीतने की बेताबी
खेलपथ संवाद
सोनीपत।
पिता को लकवा मारते ही निशा के घर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। निशा ने तब हॉकी के मैदान पर अपना रंग दिखाना ही शुरू किया था, लेकिन घर के एकमात्र कमाऊ सदस्य की बीमारी ने उनकी तीनों बेटियों को काम करने पर मजबूर कर दिया। निशा ने हॉकी छोड़ दी, लेकिन कोच प्रीतम रानी सिवाच ने ऐसा नहीं होने दिया। उन्होंने निशा को खेलने के लिए प्रेरित किया। 
यह कोच की प्रेरणा और निशा की मेहनत का परिणाम है कि उन्हें अपनी अकादमी की नेहा गोयल, शर्मिला के साथ टोक्यो ओलम्पिक की टीम में जगह मिली है। निशा बेबाकी से कहती हैं कि वह ओलम्पिक में अच्छा प्रदर्शन कर अपने पिता को बेहतर इलाज और एक घर देना चाहती हैं। निशा के पिता दर्जी हैं, लेकिन कुछ वर्ष पूर्व लकवाग्रस्त होने के बाद उनका हाथ अब तक काम नहीं करता है। उनका काम-धंधा भी छूट गया है। 
निशा के मुताबिक, मामा ने उस दौरान काफी मदद की। बहनों ने भी काम किया। अब दोनों बहनों की शादी हो चुकी है और उनकी हॉकी के चलते रेलवे में नौकरी लग चुकी है। लेकिन माता-पिता सोनीपत में अभी भी छोटे से किराए के मकान में रहते हैं। यही वजह है कि निशा अपने पिता का उच्चस्तरीय इलाज करा कर उन्हें एक अच्छे मकान में ले जाना चाहती हैं। 
निशा खुलासा करती हैं सबसे पहले उन्होंने ओलम्पिक टीम में चयन की खबर अपनी कोच प्रीतम को दी उसके बाद पिता सोहराब को बताया। पिता के मुंह से यही निकला जिसके लिए तुमने मेहनत की उसका फल तुम्हें मिल गया है। अब देश का नाम रोशन  करो। निशा को हॉकी के मैदान में लाने वाली उनकी टीम साथी नेहा गोयल थीं। नेहा भी बेहद गरीब परिवार से हैं और उनकी मां ने घरों पर काम किया और जूते के लिए चमड़ा भी काटा। 
निशा बताती हैं कि नेहा के यहां उनका आना-जाना था। नेहा ही उन्हें अकादमी लेकर गई। प्रीतम को याद है शुरुआत में निशा दबी-दबी सी रहती थी, लेकिन उसके खेल में अचानक ऐसा परिवर्तन आया कि वह खुद हैरान रह गईं। एक समय तो ऐसा था कि पिता के इलाज के लिए दवा का पैसा नहीं होता था। अच्छे खाने की भी दिक्कत थी। इसी दौरान उसने हॉकी छोड़ी थी। निशा को खुशी है कि उनकी अकादमी की तीन लड़कियों ने ओलम्पिक टीम में जगह बनाई है। निशा बताती हैं कि तीनों के बीच अच्छी दोस्ती है जिसका फायदा मैदान पर मिलता है। तीनों एक-दूसरे की गलतियां बेझिझक बताती हैं।

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