उत्तर प्रदेश खेल निदेशालय में भ्रष्टाचार का बोलबाला

पूर्व खेल मंत्री स्वर्गीय चेतन चौहान ने भी माना था

खेलपथ संवाद

लखनऊ। उत्तर प्रदेश खेल निदेशालय खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों की मदद करने की बजाय इनका शोषण करने के लिए जाना जाता है। कभी प्रयागराज में खो-खो के अंशकालिक खेल प्रशिक्षक रहे अरुण प्रताप सिंह के वीडियो से साफ जाहिर है कि खेल निदेशालय में सबकुछ गोलमाल है। कई बार आरोप भी लगे, मामले कोर्ट-कचहरी तक भी पहुंचे लेकिऩ दागियों को ही जांच की जवाबदेही देकर मामलों को दबा दिया जाता है।

पूर्व में उत्तर प्रदेश के पूर्व खेल मंत्री स्वर्गीय चेतन चौहान ने भी माना था कि खेल निदेशालय में गड़बड़झाला चलता है, इसकी वजह उन्होंने उत्तर प्रदेश में किसी तरह की खेलनीति का न होना बताया था। उन्होंने कहा था कि यूपी में खेल नीति का लागू न होना ही निराशाजनक है। तब उन्होंने भरोसा दिया था कि वह सूबे से खिलाड़ियों के पलायन को रोकेंगे। श्री चौहान अब हमारे बीच नहीं हैं, जो साहबान हैं उन्हें खेलों और खिलाड़ियों से कोई वास्ता नहीं, जो आर.पी. सिंह बता दें वही सच है।

खेलों में भ्रष्टाचार के एक प्रश्न के जवाब में तब श्री चौहान बोले थे, मैं समझ सकता हूं कि खेल अधिकारियों पर किसी तरह का दबाव पड़ता है। सूबे में स्पोर्ट्स कॉलेजों में फर्जी एडमीशन को लेकर भी विवाद सुना है, लेकिन बिना फाइल देखे कुछ भी नहीं बोलना चाहता हूं। मुझे कुछ वक्त दीजिए। समय आने पर कड़े निर्णय लिए जाएंगे और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। खेल निदेशालय में भ्रष्टाचार की यह सिर्फ एक बानगी है, इसकी तह पर जाने के बाद पैरों के तले से जमीन खिसक सकती है।

 

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