दिल्ली की दमदार बेटियों को प्रोत्साहन की दरकार

खेलपथ संवाद

नई दिल्ली। हर कोई कहता है कि बेटियां पढ़ें, खेलें और आगे बढ़ें लेकिन कैसे, इस बात पर प्रायः लोग चुप्पी साध लेते हैं। वजह साफ है हम बेटियों को आगे बढ़ाने की दिशा में सिर्फ चोचलेबाजी करते हैं। हर कोई जानता है कि खेलों की ललक गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों के बच्चों को होती है लेकिन उनके पास संसाधन नहीं हैं, यहां तक कि उनके माता-पिता सलीके से उन्हें भोजन भी नहीं करा सकते। हमारी सरकारें विज्ञापनों और होर्डिंगों पर तो करोड़ों रुपये खर्च कर देती हैं लेकिन प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के प्रोत्साहन की दिशा में कंगाली का राग अलापने लगती हैं। हम आज दिल्ली की कुछ ऐसी बेटियों के बारे में बताना चाहते हैं जिनमें गजब की प्रतिभा और कौशल है, ये बेटियां खेलों में देश का भविष्य हैं लेकिन इनकी तरफ किसी का ध्यान नहीं है।

जी हां हम बात कर रहे हैं 100 और 200 मीटर की नायाब धावक ज्योति ठाकुर, 100, 200 मीटर और लम्बीकूद की एथलीट श्वेता ठाकुर, 200 और 400 मीटर की धावक निशू सिंह, 100 और 200 मीटर की राष्ट्रीय चैम्पियन तरनजीत कौर, होनहार फर्राटा धावक व लांगजम्पर हर्षिता नारायण, लांगजम्पर व त्रिपल जम्पर शिवानी नवानी, 1500 मीटर और क्रासकंट्री रेसर सुल्ताना खातून, हाईजम्पर जैसिका जैसी बेटियों की। प्रशिक्षक सुनीता राय इन बेटियों के कौशल को ऩिखारकर इस लायक बना चुकी हैं जिनसे दिल्ली और देश गौरवान्वित हो सकता है लेकिन जोश और जुनून से लबरेज इन बेटियों को अच्छी डाइट की जरूरत है। सरकार इन बेटियों को आर्थिक मदद कर इनके सपनों को पंख लगा सकती है, अफसोस ऐसा नहीं हो पा रहा है।

क्रिकेट को मिल रही शोहरत और एथलीटों की उपेक्षा के पीछे कॉरपोरेट जगत की क्रिकेट में बढ़ रही भागीदारी जिम्मेदार है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो कोई बच्चा एथलेटिक्स गेम के लिए तैयार नहीं होगा। जो प्रोत्साहन एथलीट बेटियों को मिलना चाहिए वह नहीं मिल रहा। अलग-अलग राज्यों की प्रोत्साहन नीतियों में फर्क है जबकि खिलाड़ी चाहे कहीं का भी हो उसे मेहनत तो समान रूप से ही करनी पड़ती है। सरकारी उपेक्षा और अभाव के चलते इन बेटियों को ट्रेनिंग के लिए भी पूरे संसाधन नहीं मिल पा रहे।  महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं हैं। खेल इतिहास इसका उदाहरण है। खेलपथ का दिल्ली सरकार और दिल्ली के उद्योगपतियों से आग्रह कि इन बेटियों को प्रोत्साहित किया जाए क्योंकि इन बेटियों में मादरेवतन का मान बढ़ाने की क्षमता है।

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