जनाब! आश्वासनों के झुनझुने से खिलाड़ी का पेट नहीं भरता

सात साल से एक अदद नौकरी के लिए दफ्तरों के चक्कर काट रहा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर लव वर्मा

खेलपथ संवाद

ग्वालियर। हमारी हुकूमतें दिव्यांगों को समाज की मुख्य धारा में लाने का सिर्फ स्वांग करती हैं। जमीनी हकीकत देखने वाला कोई नहीं है। अनपरा, सोनभद्र (उत्तर प्रदेश) निवासी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर लव वर्मा देश के गौरव को चार चांद लगाने के बावजूद आज दर-दर की ठोकरें खा रहा है। उसकी पीड़ा को न ही उत्तर प्रदेश सरकार ने संज्ञान में लिया है न ही केन्द्र की तरफ से उसे कोई मदद मिली है। लव वर्मा पिछले सात साल से रोजगार की तलाश में दौड़-भाग कर रहा है लेकिन उसे आश्वासन के झुनझुने के अलावा कुछ भी नसीब नहीं हुआ।

लव का बचपन से एक सपना था कि वह अपने देश के लिए खेले। इसने सचिन तेंदुलकर को देखकर ही क्रिकेट सीखी। लव ने दिव्यांग क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ऑफ इंडिया (नीति आयोग, भारत सरकार) द्वारा संचालित अब तक आठ अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग क्रिकेट प्रतियोगिताओं में अपने जानदार खेल से सभी को अचम्भित किया है। लव भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम के उपकप्तान भी हैं। 2014 में श्रीलंका दौरे पर मैन ऑफ दी सीरीज रहे लव की उपलब्धियां किसी सामान्य क्रिकेटर से कहीं अधिक हैं।

लव 2015 में 5 देशों के दिव्यांग एशिया कप विजेता टीम का हिस्सा रहे तो  बांग्लादेश दौरे पर संयुक्त विजेता सहित अप्रैल 2021 में दुबई के शारजाह में हुई डीपीएल  में उपविजेता टीम का सदस्य भी रहे। अब तक कई मुकाबलों में मैन ऑफ द मैच रह चुके लव वर्मा की कप्तानी में 2019 में नेपाल के खिलाफ दूसरे टी20 मैच में भारतीय टीम ने 131 रनों की ऐतिहासिक सफलता हासिल की थी। लव को सितम्बर 2020 में स्वर्ण भारत राष्ट्रीय खेल रत्न, तीन दिसम्बर 2020 को दिव्यांग रत्न, 12 जनवरी 2021 को सोनभद्र का खेल रत्न और प्रेरणा सम्मान पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। मूलतः कुशीनगर निवासी लव दाएं हाथ से दिव्यांग हैं।

लव की बेशुमार उपलब्धियों को देखते हुए उसे अब तक रोजगार मिल जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। लव अब तक हर उस चौखट पर अपनी फरियाद सुना आए हैं जहां से उन्हें उम्मीद थी। वह जिलाधिकारी, सांसद, विधायक तथा सोनभद्र की सभी औद्योगिक इकाईयों को रोजगार के संबंध में पत्र लिख चुके हैं लेकिन कहीं से भी इस जांबाज क्रिकेटर को कोई मदद नहीं मिली। अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने जुलाई 2020 में केंद्रीय खेल राज्य मंत्री को लव वर्मा को मदद दिए जाने को पत्र लिखा जवाब में आया कि वे मामले को दिखवा रहे हैं लेकिन लव को अब तक मदद नहीं मिली। दिव्यांग खिलाड़ी भी देश के लिए ही खेलते हैं लिहाजा "एक देश-एक क्रिकेट" के नारे की तर्ज पर देश के सभी खिलाड़ियों को समान अधिकार मिलना चाहिए। मैं हुकूमतों से यह पूछना चाहता हूं कि लव वर्मा का कसूर क्या है, उसे अब तक रोजगार क्यों नहीं मिला?

 

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