शूटर यशस्विनी का अगला लक्ष्य ओलम्पिक गोल्ड

कोरोनाकाल में घर पर ही रेंज बनाकर प्रैक्टिस की
विश्व निशानेबाजी में दो स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीता
खेलपथ प्रतिनिधि
नई दिल्ली।
भारतीय बेटियां इन दिनों अपनी प्रतिभा और जुनून से नए प्रतिमान स्थापित कर रही हैं। इन्हीं बेटियों में शामिल है पंचकूला की उदीयमान निशानेबाज यशस्विनी देसवाल। यशस्विनी ने दिल्ली में चल रहे आईएसएसएफ शूटिंग वर्ल्ड कप में दो गोल्ड और एक ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया है। वह 10 मीटर एयर पिस्टल के इंडिविजुअल और टीम इवेंट में टॉप पर रहीं वहीं, मिक्स्ड इवेंट में उन्होंने अभिषेक वर्मा के साथ कांस्य पदक जीता। 
यशस्विनी का अगला लक्ष्य टोक्यो ओलम्पिक में स्वर्ण पदक जीतना है। 23 साल की यशस्विनी पहले ही ओलम्पिक कोटा हासिल कर चुकी हैं। बातचीत में यशस्विनी ने कहा कि वर्ल्ड कप के लिए मैंने कोरोना काल में घर पर ही 10 मीटर का शूटिंग रेंज बनवाकर प्रैक्टिस की। इससे मुझे आत्मविश्वास मिला।
यशस्विनी ने 2019 में रियो डी जेनेरियो में हुए आईएसएसएफ वर्ल्ड कप में गोल्ड मेडल जीतकर टोक्यो ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई किया था। 10 मीटर एयर पिस्टल में पहली बार भारत ने चारों कोटा हासिल किए। वुमेन्स में यशस्विनी के अलावा मनु और मेन्स में सौरभ चौधरी और अभिषेक वर्मा भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।
सवाल: आपने शूटिंग में करियर के बारे में कब सोचा?
जवाब : 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स भारत में हुआ था। शूटिंग के कुछ इवेंट गुड़गांव स्थित बादशाहपुर शूटिंग रेंज पर भी हुए थे। मेरे पापा मुझे वहां लेकर गए थे। मैंने वहां पर देश-विदेश के शूटर्स को देखा, तो मुझे अच्छा लगा। मुझे यह गेम काफी पसंद आया। इसके बाद मैंने 2011 से गुड़गांव में ही टीएस ढिल्लन सर के पास ट्रेनिंग शुरू की। स्टेट लेवल पर कुछ प्रतियोगिताओं में भाग लिया। इसके बाद जूनियर और फिर सीनियर लेवल तक पहुंची।
सवाल : कोरोनाकाल में आपने किस तरह से तैयारी की?
जवाब : मेरे घर पर ही 10 मीटर का शूटिंग रेंज है। ऐसे में मुझे ज्यादा परेशानी नहीं हुई। मैंने इस दौरान अपनी कमियों को दूर करने पर फोकस किया। मैंने अपनी तकनीक पर ज्यादा फोकस किया और वॉट्सऐप के जरिए इंडिया टीम के कोच के सम्पर्क में रही हालांकि, प्रतियोगिता नहीं होने से अपने आपको जांचने का मौका नहीं मिल पा रहा था।
सवाल : वर्ल्डकप को लेकर आपकी क्या तैयारी थी?
जवाब : कोरोना के कारण कोई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता नहीं हो पाई। करीब आठ महीने बाद कोई प्रतियोगिता हो रही है, वह भी भारत में, ऐसे में मेरा लक्ष्य इस मौके को पूरी तरह से भुनाना था। मैं मेडल जीतकर कॉन्फिडेंट होना चाहती थी। इसलिए मैं वर्ल्ड कप की तैयारी में पूरी ताकत से जुट गई।
सवाल : फाइनल में आपकी टक्कर भारत की ही मनु भाकर और परमानंथ से थी, क्या आप पर दबाव था?
जवाब : बिल्कुल नहीं। हम तीनों वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंचकर खुश थे। मेरा कॉम्पिटिशन खुद से था। मेरा मानना है कि जो अंतिम क्षणों में अपने आपको जीत लेगा, वह दुनिया क्या कोई भी कॉम्पिटिशन जीत लेगा।
सवाल : आपका अगला टारगेट क्या है? 
जवाब : मैं पहले ही ओलम्पिक कोटा हासिल कर चुकी हूं। मेरा टारगेट देश के लिए ओलम्पिक में मेडल जीतना है। मैं ट्रायल से लेकर कई और प्रतियोगिताओं में लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रही हूं। ऐसे में उम्मीद है कि मुझे ओलम्पिक टीम में अवश्य शामिल किया जाएगा। अभी आगे कौन-कौन से कॉम्पिटिशन होंगे। इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। मैं अपने कोच के मार्गदर्शन में अपने तकनीक पर पूरा फोकस करूंगी।
सवाल : आप अपने बारे में बताएं?
जवाब : मैं फिलहाल पंजाब यूनिवर्सिटी से लॉ कर रही हूं। मेरे पापा आईटीबीपी में हैं। मैं पंचकूला की रहने वाली हूं। हम दो बहने हैं। बड़ी बहन बास्केटबॉल खेलती हैं।

 

रिलेटेड पोस्ट्स