फर्जी नाम और पहचान पत्र के फेर में फंसे शिवपुरी के दो हॉकी खिलाड़ी
खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया की मेहनत और उम्मीदों पर फेरा जा रहा पानी
श्रीप्रकाश शुक्ला
ग्वालियर। मध्य प्रदेश में पुश्तैनी खेल हॉकी के समुन्नत विकास और प्रोत्साहन के मामले में देश के सामने नजीर बनीं खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया के विधान सभा क्षेत्र शिवपुरी में ही उनकी मेहनत तथा उम्मीदों पर पानी फेरा जा रहा है। शिवपुरी को कृत्रिम हॉकी मैदान और दो-दो प्रशिक्षकों की सौगात मिलने के बावजूद यहां के फीडर सेण्टर से अब तक कोई ऐसी प्रतिभा नहीं निकली जोकि मध्य प्रदेश पुरुष-महिला हॉकी एकेडमी में प्रवेश पाती। अलबत्ता यहां के प्रशिक्षु खिलाड़ी फर्जी नाम और पहचान पत्र से दूसरे जिलों से खेल रहे हैं।
मध्य प्रदेश के प्रशिक्षक अब यह शिकायत नहीं कर सकते कि उन्हें मेहनताना कम मिलता है। शिवपुरी में पिछले 15 साल से हॉकी के बढ़ावे के खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा समुचित प्रयास किए गए लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा। दो प्रशिक्षकों में एक प्रशिक्षक को तो हॉकी प्रशिक्षण की पात्रता भी नहीं है लेकिन उसके मामले में विभाग की उदारता में कभी कोई कमी नहीं आई। हाल ही फर्जी नाम और पहचान पत्र के फेर में फंसे शिवपुरी के दो हॉकी खिलाड़ी किसकी शह से गुना टीम से खेले, यह जांच का विषय होना चाहिए। कहने को मध्य प्रदेश के सभी हॉकी फीडर सेण्टरों की निगरानी के लिए पदाधिकारी नियुक्त हैं लेकिन वह क्या देख रहे हैं, यह सोचने की बात है।
दो दिन पहले ही खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने मध्य प्रदेश के जिला खेल अधिकारियों को उनके जमीनी कार्य बताते हुए खेल प्रतिभाओं को समय से खेल सामग्री मुहैया कराने के निर्देश दिए हैं। खेल मंत्री सिंधिया को शायद पता है कि प्रदेश के अधिकांश जिलों में खेल सामग्री कमरों में ही शोभा बढ़ाती है या फिर उसे गड़बड़झाले में आग के हवाले कर दिया जाता है। ऐसे मामले पूर्व में आ चुके हैं लेकिन जांचों में चोर-चोर मौसेरे भाई एक हो गए। मध्य प्रदेश में जिला खेल अधिकारियों की करतूतों की जांच को हमेशा जिला खेल अधिकारी ही नियुक्त किए जाते हैं, लिहाजा दोषी को जांच की आंच परेशान नहीं कर पाती।
दुख की बात है कि एक तरफ कर्मठ खेल मंत्री सिंधिया खेलों के विकास की फिक्र कर रही हैं तो उनके ही विभाग के कुछ विघ्नसंतोषी अपना खेल खेल रहे हैं। बेईमानी के इस खेल में अमूमन हर कोई किसी न किसी रूप में सहभागी है। आत्मा का दिव्य गुण है सच्चाई या सत्यता। खेलों की आत्मा सच्चाई के रास्ते पर चलने को कहती है तो मन धोखाधड़ी और झूठ का खेल खेलता है। हॉकी मध्य प्रदेश द्वारा हाल ही शिवपुरी जिले के दो हॉकी खिलाड़ियों (पवन शाक्य ओर जीशान खान) को फर्जी नाम और पहचान पत्र लगाकर गुना जिले से खेलने के लिए छह माह के लिए प्रतिबंधित किया गया है। शिवपुरी स्टेडियम के कृत्रिम हॉकी मैदान के प्रशिक्षु इन खिलाड़ियों को बेईमानी के खेल में शामिल होने के कारण अब छह महीने तक किसी भी जिला, प्रदेश तथा राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में शिरकत करने की अनुमति नहीं होगी। पवन शाक्या दो नामों (पवन और नीतेश शाक्या) से खेलता है। इसके दो आधार कार्ड भी हैं।
जिला हॉकी संघ द्वारा इन खिलाड़ियों पर दो से तीन साल के प्रतिबन्ध की मांग की गई थी। इतना ही नहीं गुना जिले के प्रशिक्षक शरद शर्मा पर भी प्रतिबन्ध की मांग उठी है। सुविज्ञ बताते हैं कि जिला संघ इस मामले में हॉकी इंडिया से दोनों खिलाड़ियों और प्रशिक्षक पर दो से तीन साल के प्रतिबन्ध की मांग करने जा रहा है। शिवपुरी और गुना के प्रशिक्षकों की करतूतों से जो हुआ वह हॉकी हित में ठीक नहीं कहा जाएगा। बेईमानी के इस खेल में खेल विभाग की संलिप्तता चौंकाने वाली है। सवाल उठता है कि क्या खेल विभाग से ताल्लुक रखने वालों को खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया का जरा भी डर नहीं रहा? खेल मंत्री सिंधिया ने समूचे मध्य प्रदेश में हॉकी की बेहतरी के लिए जो काम किए हैं, उसके देश में बिरले उदाहरण हैं, ऐसे में शिवपुरी में उनकी आंखों में धूल झोंकना बड़े हिम्मत का काम है।
सच कहें तो बेईमानी की खराब लत ने हमारी आत्मा को मार डाला है। हम सच्चाई का सद्गुण धारण करने का सिर्फ स्वांग करते हैं। खेलों में हाल के कुछ घटनाक्रमों ने गुरु-शिष्य परम्परा को लजाया है। मैदानों में खून की होली खेली जा रही है। पिछले दिनों हरियाणा के रोहतक में मेहर सिंह अखाड़े में हुई छह हत्याएं इस बात का संकेत हैं कि मैदान खिलाड़ियों के लिए महफूज नहीं हैं। मैदान खेलों का मंदिर नहीं रहे। ऐसा नहीं कि खेलों का स्याह सच लिखा नहीं जा सकता, पर पत्रकारिता की अपनी मर्यादाएं हैं। लोग नहीं चाहते कि खेल तरीके से खेले जाएं। खेलों की पापी गंगा और असली गंगा-यमुना में कोई फर्क नहीं है। उम्र में बड़े खिलाड़ियों को कमउम्र प्रतियोगिताओं में खेलवाने की शह जहां खेल संगठनों और प्रशिक्षकों से ही मिलती है वहीं प्रदर्शन में सुधार की खातिर शक्तिवर्धक दवाएं गटकने की सलाह खेलों के पैरोकार ही देते हैं।