कदाचरण के आरोपी रिछपाल ने की पत्नी की पिटाई
मध्य प्रदेश खेल एवं युवा कल्याण विभाग का ढुलमुल रवैया
खेलपथ प्रतिनिधि
जबलपुर। मध्य प्रदेश में शिवराज का राज नहीं जंगलराज चल रहा है। इस बात की पुष्टि 12 जनवरी, मंगलवार को रानीखेत खेल परिसर में संचालित मध्य प्रदेश तीरंदाजी एकेडमी में मुख्य प्रशिक्षक रिछपाल सिंह सलारिया द्वारा अपनी पत्नी मोहनी सलारिया की जमकर मारपीट और गालियों से सहज लगाया जा सकता है। मोहनी ने पुलिस को दर्ज कराई रिपोर्ट में एकेडमी के प्रशिक्षु खिलाड़ियों और दीगर कर्मचारियों पर भी मारपीट व अमर्यादित आचरण करने का आरोप लगाया है।
तीरंदाजी प्रशिक्षक रिछपाल के एकेडमी की एक लड़की से नाजायज सम्बन्धों की बात पर खेल एवं युवा कल्याण विभाग के आलाधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। मोहनी सलारिया न्याय के लिए दर-दर भटक रही है लेकिन उसकी पीड़ा की तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया। मोहनी अपने पति की शिकायत भारतीय तीरंदाजी संघ के अध्यक्ष और केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुण्डा से भी कर चुकी है। इस मामले की गम्भीरता को देखते हुए श्री मुण्डा ने जबलपुर के रानीताल खेल परिसर में संचालित मध्य प्रदेश तीरंदाजी एकेडमी के मुख्य सलाहकार प्रशिक्षक रिछपाल सिंह के कृत्यों को गम्भीरता से लेते हुए 11 जुलाई, 2020 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र प्रेषित करते हुए मामले की निष्पक्ष जांच कराने का आग्रह किया था लेकिन खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने जांच में लीपापोती कर प्रशिक्षक को अभयदान दे दिया।
मोहनी अपने पति के एक अंतरराष्ट्रीय महिला तीरंदाज से नाजायज सम्बन्धों की बात पूर्व खेल मंत्री जीतू पटवारी तथा पूर्व व वर्तमान खेल संचालकों तक को रो-रोकर बता चुकी है लेकिन उसके दर्द को समझने की किसी ने कोशिश नहीं की। प्रशिक्षक रिछपाल अपना आचरण सुधारने की बजाय अपनी पत्नी से छुटकारा पाने को जम्मू में तलाक का वाद दायर किए हुए है। अफसोस की बात है कि जिस महिला को अब तक न्याय मिल जाना चाहिए वह बेचारी एक दिव्यांग बेटे और आठ साल की बेटी की खातिर दर-दर की ठोकरें खा रही है। प्रशिक्षक मीडिया से बातचीत में इसे अपना पारिवारिक मामला कहता है जबकि अदालत में तलाक का परिवाद दायर कर वह अपने दोहरे चरित्र का नमूना पहले ही पेश कर चुका है।
मोहनी की जहां तक बात है वह संचालनालय खेल भोपाल के आला अधिकारियों से करीब तीन साल से अपने पति के कृत्यों के साथ स्वयं का परिवार टूटने से बचाने की गुहार लगा रही है लेकिन उसे आश्वासन मिलने के अलावा कुछ भी नसीब नहीं हुआ। अधिकारियों की हीलाहवाली के चलते प्रशिक्षक का दुस्साहस इस कदर बढ़ गया कि उसने पत्नी से छुटकारा पाने के लिए जम्मू की अदालत में वाद भी दायर कर दिया। इतना ही नहीं उसने खेल अधिकारियों को झूठे शपथ-पत्र से भ्रमित कर मामले को रफा-दफा करने की भी नापाक कोशिश की।
डेढ़ साल पहले प्रशिक्षक और उसकी शिष्या को भारतीय खेल प्राधिकरण के रोहतक (हरियाणा) केन्द्र में लगे जूनियर नेशनल कैम्प से एक साथ 21 से 24 जुलाई, 2019 तक गायब रहने की भी खूब चर्चा रही। तब साई ने इस वाकये के सिलसिले में शिविर से सम्बन्धित अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी थी, जिसके बाद फैसला किया गया कि खिलाड़ी और प्रशिक्षक पर अनुशासनात्मक कदम उठाते हुए शिविर से बाहर कर दिया जाए। साई ने तीरंदाज और प्रशिक्षक को भेजे गए पत्र में लिखा था कि नेशनल कैम्प में अनुशासन का ध्यान रखना सबसे अहम है और सक्षम अधिकारियों ने इसे गम्भीरता से देखा जिससे अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत उसका नाम मौजूदा नेशनल कैम्प से तुरंत प्रभाव से हटाया जाता है। डेढ़ साल पहले के इस मामले से खेल विभाग के साथ ही जबलपुर का हर सदस्य वाकिफ है लेकिन मोहनी सलारिया की मदद करने की बजाय उसे फुटबाल बना दिया गया।
संचालनालय खेल, मध्य प्रदेश के रवैए से आजिज, मोहनी सलारिया न्याय के लिए केन्द्रीय खेल मंत्री किरेन रिजिजू के व्यक्तिगत मेल पर अपना एक शिकायती पत्र भी भेज चुकी है। यह पत्र मोहनी द्वारा भारतीय तीरंदाजी संघ के सचिव प्रमोद चंद्रूकर को भी भेजा गया। भला हो प्रमोद चंद्रूकर का जिन्होंने भारतीय तीरंदाजी संघ के अध्यक्ष अर्जुन मुण्डा को प्रशिक्षक के खिलाफ समाचार-पत्रों में प्रकाशित खबरों की कतरनें और केन्द्रीय खेल मंत्री किरेन रिजिजू को प्रेषित पत्र भेज दिए और श्री मुण्डा ने मामले की गम्भीरता को संज्ञान में लेते हुए 11 जुलाई को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को पत्र प्रेषित कर इस बात के संकेत दिए कि वह खेलों में कदाचार के खिलाफ हैं।
प्रशिक्षक रिछपाल के मामले में सब कुछ शीशे की तरह साफ था बावजूद विभाग ने मोहनी को न्याय दिलाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। मोहनी की कही सच मानें तो वह तीन मर्तबा जीतू पटवारी से उसका परिवार बचाने की गुहार लगाने के साथ पूर्व संचालक खेल डा. एस.एल. थाउसेन से मिलकर भी अपना दुखड़ा खूब रोई। उसने पूर्व संचालक वी.के. सिंह को भी पत्र प्रेषित किया लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात निकला। 10 जुलाई, 2020 को संचालक खेल का पदभार ग्रहण करने वाले पवन कुमार जैन को भी मोहनी पत्र प्रेषित कर चुकी है। श्री जैन ने दुखियारी को भरोसा दिया था कि उसे इंसाफ जरूर मिलेगा, लेकिन लीपापोती के बाद उससे कहा गया कि आपकी शिकायतें निराधार हैं।
प्रशिक्षक रिछपाल और उसकी पत्नी के मामले में मध्य प्रदेश तीरंदाजी संघ का रवैया भी ढुलमुल और गैरजिम्मेदाराना कहा जा सकता है। मध्य प्रदेश तीरंदाजी संघ की सचिव प्रीति जैन और उनके पति भारतीय तीरंदाजी संघ के उपाध्यक्ष धन्य कुमार जैन (डी.के. जैन) ने भी इस मामले में पीड़िता की मदद करने में शुचिता का परिचय नहीं दिया। संघ की सचिव होने के नाते प्रीति जैन को भारतीय तीरंदाजी संघ के साथ ही संचालनालय, खेल भोपाल को कम से कम एक पत्र तो लिखना ही था लेकिन यह काम काफी गुजारिश के बाद संघ के अध्यक्ष शर्मा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा। कल की वारदात यह बताती है कि मध्य प्रदेश की एकेडमियों में कुछ भी ठीक-ठाक नहीं चल रहा है।