चैम्पियन महावीर विनोद राणा मजदूरी को मजबूर
अब गिनीज बुक और एवरेस्ट पर चढ़ाई की तैयारी
कुश्ती, मैराथन, ताईक्वांडो, एमएमए, जुजित्सू में गाड़े सफलता के झंडे
नई दिल्ली। कुश्ती में सफलता नहीं मिली तो महावीर विनोद राणा ने किक बॉक्सिंग अपना ली। यहां विश्व स्तर पर पदक जीतने के बाद उन्होंने ताईक्वांडो में हाथ आजमाया और राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीते। इस दौरान डब्लूडब्लूई पहलवान दिलीप राणा खली से मुलाकात हुई तो यहां दो-दो हाथ कर लिए। मिक्स मार्शल आर्ट (एमएमए) में भी चैंपियन बने। महावीर को यहां भी चैन नहीं पड़ा तो बेंगलूरू अंतरराष्ट्रीय मैराथन में भाग लिया।
वर्तमान में महावीर जीजित्सू खेल रहे हैं और थाईलैंड विश्व रैंकिंग में स्वर्ण हासिल करने के बाद इस साल होने वाले एशियाई बीच खेलों में खेलने जा रहे हैं। महावीर राणा का गांव सप्नावत है, वह एक मिनट में 360 पंच लगाकर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज करा चुके हैं और गिनीज बुक में नाम लिखाने को प्रयासरत हैं। जल्द ही वह माउंड एवरेस्ट पर चढ़ाई की कोशिश करेंगे।
33 साल के महावीर ने शुरूआत में कुश्ती की कोचिंग जरूर ली, लेकिन बाकी खेलों में उन्होंने मोबाइल के जरिए ही गांव में खुद ट्रेनिंग शुरू कर दी। महावीर से प्रभावित होकर कृष्ण तिवारी ने उन पर बायोपिक भी लिख डाली है, जिसे हॉलीवुड के जाने-माने निर्माता-निर्देशक जॉन रिचर्डसन और हेनरी जॉन रिचर्डसन को भेजा गया है। दोनों महावीर से प्रभावित हैं और उनकी कहानी पर काम करने का मन बना रहे हैं।
महावीर वैसे तो एम.कॉम हैं, लेकिन गांव में मजदूरी को मजबूर हैं। महावीर कहते हैं कि पहले उन्होंने गांव में पढ़ाना शुरू किया, लेकिन चार हजार से ज्यादा नहीं मिलते थे। उन्हें घरों में मजदूरी करके इससे ज्यादा मिल रहा है। हालांकि वह यूपी सरकार से नौकरी की गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कुछ सफलता नहीं मिली। गिनीज बुक में नाम लिखाने को महावीर को 40 हजार रुपये की रजिस्ट्रेशन फीस की जरूरत है। इस राशि का इंतजाम होते ही वह एक मिनट में बॉक्सिंग पंच का रिकार्ड बनाना चाहते हैं। महावीर कहते हैं कि इतना सब करने के बावजूद उनकी उपलब्धियां उन्हें नौकरी नहीं दिला पाई हैं तो अब माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई बाकी रह गई है। उन्होंने इसकी भी तैयारी शुरू कर दी है। एक निजी कंपनी उन्हें एवरेस्ट पर चढ़ाई का प्रशिक्षण देने जा रही है। वह जल्द इसे शुरू करेंगे।