माखन ने एक हाथ से क्रिकेट में बनाई पहचान

दुबई में होने वाली दिव्यांग प्रीमियर लीग के लिए चयन
खेलपथ प्रतिनिधि
उज्जैन।
कहते हैं कि यदि इरादे पक्के हों और कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो आपको मंजिल पाने से कोई नहीं रोक सकता। एक हाथ से पंग माखन सिंह राजपूत ने अपनी जिद और जुनून से न केवल अपना मुकाम हासिल किया बल्कि दिव्यांग क्रिकेट में मध्य प्रदेश का गौरव बढ़ाया। उज्जैन के दिव्यांग क्रिकेटर माखन सिंह राजपूत दुबई में आयोजित दिव्यांग प्रीमियर लीग में अपना कौशल दिखाएंगे। राजपूत जन्म से ही दिव्यांग हैं। उनका बायां हाथ नहीं है बावजूद वे ताबड़तोड़ बल्लेबाजी के साथ ही शानदार गेंदबाजी करते हैं।
हरफनमौला माखन सिंह मूलतः सारंगपुर (ग्राम तलेनी) के निवासी हैं। मगर क्रिकेट के जुनून ने उन्हें कभी यह महसूस ही नहीं होने दिया कि उनका एक हाथ नहीं है। उन्होंने बताया कि क्रिकेटर बनना उनकी जिंदगी का सपना था। इसके लिए उन्होंने 20 साल तक अथक परिश्रम किया, जिसका परिणाम है कि 2019 में वे मध्यप्रदेश टीम का हिस्सा बनने में सफल रहे। मध्यप्रदेश दिव्यांग टीम को प्रशिक्षण देने के लिए बीसीसीआई द्वारा नियुक्त कोच राकेश चावरे उन्हें नियमित किक्रेट के गुर सिखाते हैं।
अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के मौके पर अपने जैसे औरों को सीख देते हुए कहते हैं कि नियति को कोसने की बजाए ईमानदार नीयत से खुद को मजबूत बनाने की कोशिश करना चाहिए। अगर लक्ष्य के प्रति आपका समर्पण है, तो निश्चित ही आपने जो सपना देखा है एक दिन वो साकार होता है।
माखनसिंह बताते हैं कि वे बचपन से क्रिकेट के शौकीन रहे। गांव में वे सामान्य लोगों के साथ ही खेलते हैं। वहां मित्रों ने प्रोत्साहित किया तो तीन साल पहले वे उज्जैन चले आए। यहां माधव कॉलेज ग्राउंड पर क्रिकेट के गुर सीखना चाहते थे, मगर उन्हें खेलाने से इंकार कर दिया गया।
कारण उनका एक हाथ नहीं था। मगर उन्होंने हार नहीं मानी, नियमित अभ्यास जारी रखा। सौभाग्य से बीसीसीआई ने मध्य प्रदेश में दिव्यांग क्रिकेट की शुरुआत की। इसमें उनका प्रदर्शन शानदार रहा और उनके आलराउंड प्रदर्शन को देखने के बाद उन्हें मध्य प्रदेश दिव्यांग क्रिकेट टीम में सिलेक्ट कर लिया गया।

 

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