मध्य प्रदेश में खिलाड़ी बेटियों से पक्षपात

अदालत ने पूछा श्रद्धा यादव को विक्रम अवार्ड क्यों नहीं?

खेलपथ प्रतिनिधि

जबलपुर। एक तरफ हमारी हुकूमतें बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पर अकूत धन खर्च करती हैं तो दूसरी तरफ होनहार बेटियों का मनोबल तोड़ने का गुनाह करने में भी पीछे नहीं रहतीं। पांच अक्टूबर को मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय जबलपुर ने वुशू खिलाड़ी श्रद्धा यादव के मामले को संज्ञान में लेते हुए खेल एवं युवा कल्याण विभाग मध्य प्रदेश से पूछा है कि आखिर इस खिलाड़ी बेटी को विक्रम अवार्ड क्यों नहीं दिया गया जबकि इससे कम उपलब्धियों के बावजूद दूसरी खिलाड़ियों को इस अवार्ड के लिए नॉमिनेट किया गया है। राज्य पुरस्कारों में हुए घालमेल पर अदालत के हस्तक्षेप के बाद संचालनालय भोपाल में हड़कम्प मच गया है।  

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर के न्यायाधीश विशाल धगत ने पांच अक्टूबर, सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर सुनवाई कर मध्यप्रदेश शासन के प्रमुख सचिव व संचालक  खेल और युवा कल्याण से सवाल किया है कि पर्याप्त उपलब्धियां होने के बावजूद जबलपुर की वुशू खिलाड़ी श्रद्धा यादव को वर्ष 2019 का विक्रम अवार्ड क्यों नहीं दे रहे, जबकि चिंकी यादव (शूटिंग खिलाड़ी) व राजेश्वरी कुशराम (वाटर स्पोर्ट खिलाड़ी) श्रद्धा यादव से कम उपलब्धियों के बाद भी इस अवार्ड को हासिल करने में सफल हो गईं। अदालत ने खेल विभाग को चार सप्ताह का नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है।

श्रद्धा यादव की ओर से पक्ष रखते हुए अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने न्यायालय को बताया कि पूर्व में एकलव्य अवार्ड प्राप्त श्रद्धा यादव ने वर्ष 2019 में विक्रम अवार्ड हेतु आवेदन किया था जिस पर चयन समिति ने प्रमाण-पत्रों के आधार पर श्रद्धा को 245 अंक प्रदान किये  परन्तु विगत 28 अगस्त, 2020 को खेल विभाग द्वारा घोषित अवार्ड हेतु नॉमिनेटेड खिलाड़ियों की सूची में श्रद्धा का नाम ही नहीं था बल्कि मात्र 60 अंक प्राप्त चिंकी यादव (शूटिंग खिलाड़ी) का नाम था।  इसी तरह राजेश्वरी कुशराम को  व्यक्तिगत खेल कैटेगरी में विक्रम अवार्ड हेतु नॉमिनेट किया गया जबकि उसकी उपलब्धियां ड्रेगन बोट खेल में होने से उसे दलीय खेल कैटेगरी में नॉमिनेट किया जाना चाहिए था।

गौरतलब है कि उक्त दोनों खिलाड़ी मध्यप्रदेश राज्य खेल अकादमी में ही प्रशिक्षणरत हैं एवं चिंकी यादव के पिता मेहताब यादव खेल विभाग में कार्यरत हैं इस वजह से चयन समिति द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से चहेतों को उपकृत कर प्रतिभावान खिलाड़ी श्रद्धा यादव का हक छीना गया है।  अदालत ने इस गलती को सुधारकर श्रद्धा यादव को विक्रम अवार्ड देने व दोषपूर्ण चयन हेतु जिम्मेदार अधिकारियों पर कानूनी कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। उल्लेखनीय है कि विक्रम अवार्ड के साथ मध्यप्रदेश शासन द्वारा खिलाड़ी को सरकारी नौकरी व एक लाख रुपये कैश प्राइजमनी दी जाती है, इसी वजह से चयन समिति द्वारा नियमों को ताक पर रख चहेतों को उपकृत किया गया है।

श्रद्धा यादव ने बताया कि उसने चयन प्रक्रिया के दस्तावेज सूचना के अधिकार के तहत मांगे थे लेकिन निश्चित समय सीमा बीतने पर भी उसे आज तक कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए। पुनः गणना कर मुझे अवार्ड दिए जाने के आवेदन पर भी कोई जवाब न दिए जाने से व्यथित होकर ही मुझे न्यायालय की शरण में जाना पड़ा। बकौल श्रद्धा  मैंने राष्ट्रीय स्पर्धाओं में 11 पदक जीतकर मध्यप्रदेश को गौरवान्वित किया है।  श्रद्धा हौसला नहीं हारी है उसे विश्वास है कि उसकी मेहनत अकारथ नहीं जाएगी। उम्मीद की जानी चाहिए कि अदालत के हस्तक्षेप के बाद श्रद्धा बेटी को अब खेल और युवा कल्याण विभाग विक्रम अवार्ड देने को मजबूर होगा। सत्यमेव जयते।

 

 

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