प्रिंसपाल सिंह का बास्केटबाल में कमाल

भरी एनबीए की उड़ान, अमेरिका रवाना 
खेलपथ प्रतिनिधि
नोएडा।
प्रिंसपाल सिंह का गांव पंजाब में पाकिस्तान की सीमा से सटा हुआ है। यहां खेल की सुविधाओं के नाम स्कूल के छोटे से मैदान में वॉलीबाल का नेट है। यही वॉलीबाल का मिट्टी का कोर्ट प्रिंसपाल के लिए वरदान बन गया। पाकिस्तान सीमा के साथ लगा होने के कारण प्रिंसपाल के पिता उन्हें लुधियाना ले गए। जहां उन्हें बास्केटबॉल के लिए चुन लिया गया। अब यही प्रिंसपाल एनबीएस की जी लीग में खेलने के लिए बुधवार को तड़के अमेरिका के लिए रवाना हो गए हैं। प्रिंसपाल एनबीएस जी लीग में खेलने वाले देश के चौथे खिलाड़ी बनने जा रहे हैं।
ग्रेटर नोएडा स्थित एनबीए अकादमी से जी लीग में खेलने वाले प्रिंसपाल पहले भारतीय होंगे। प्रिंसपाल के मुताबिक उनका गांव डेरा बाबा नानक के पास कादियां गुज्जरां सीमा से सटा हुआ है। यहां अक्सर गोलियों की आवाज सुनाई पड़ती है, लेकिन उनका बचपन से ही सपना था कि वह खिलाड़ी बनें। यह नहीं मालूम था कि वह बास्केटबाल खिलाड़ी बन जाएंगे। गांव में कबड्डी और वॉलीबाल खेलता था। पिता गुरमेज सिंह लुधियाना बास्केटबॉल अकादमी ले गए। जहां उन्हें वॉलीबाल की जगह बास्केटबाल खेलने को कहा गया। तब से वह बास्केटबाल खेल रहे हैं।
हाल ही में 12वीं पास करने वाले छह फुट 10 इंच लम्बे प्रिंसपाल जी लीग की सिलेक्ट टीम में खेलेंगे। उनका सपना एनबीए की मुख्य टीम में स्थान बनाने का है, लेकिन वह भारत के लिए खेलना नहीं छोड़ेंगे। भारतीय जूनियर टीम के कप्तान रहे प्रिंसपाल सीनियर टीम में भी खेलते हैं। वह चाहते हैं कि एनबीए में कुछ ऐसा कमाल करें कि देश का न सिर्फ नाम रोशन हो बल्कि देश के लिए एशियन गेम्स में पदक जीतकर भी दूं।

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