ग्वालियर,
ग्वालियर के सतेन्द्र सिंह को तेनजिंग नोर्गे अवॉर्ड
यह पुरस्कार पाने वाले देश के पहले दिव्यांग खिलाड़ी
खेलपथ प्रतिनिधि
ग्वालियर। मध्यप्रदेश के सामजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण मंत्री प्रेम सिंह पटेल ने शनिवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द द्वारा मध्यप्रदेश के पैरा-तैराक सतेन्द्र सिंह लोहिया को तेनजिंग नोर्गे साहस पुरस्कार और मलखम्ब प्रशिक्षक योगेश मालवीय को द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित होने पर बधाई दी। कोविड-19 के कारण यह पुरस्कार वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से खिलाड़ी को भोपाल में दिया गया। इस अवसर पर प्रमुख सचिव खेल एवं युवा कल्याण पंकज राग भी उपस्थित थे। सतेन्द्र सिंह यह अवॉर्ड पाने वाले देश के पहले दिव्यांग खिलाड़ी हैं।
सतेन्द्र सिंह लोहिया अमेरिका में 42 किलोमीटर के कैटलीना चैनल सिर्फ 11:34 घंटे में तैरकर पार करने वाले पहले एशियाई दिव्यांग तैराक बने थे। चैनल में पानी का तापमान लगभग 12 डिग्री होने के साथ ही शार्क मछलियों के हमले का खतरा भी बना रहा। दिन में तेज चलने वाली हवाओं से बचने के लिए सत्येंद्र लोहिया ने यह चैनल रात में पार किया, जो एक बड़ी चुनौती थी।
ग्वालियर जिले के ग्राम गाता के रहने वाले लोहिया के पिता गयाराम लोहिया वर्तमान में ग्वालियर के मुथूट फायनेंस में सिक्यूरिटी गार्ड हैं। लोहिया इंदौर में वाणिज्यिक कर विभाग में कार्यरत हैं। वह कहते हैं कि उन्होंने अपनी दिक्कतों को ही अपनी ताकत बनाया। दिव्यांगों को सहानुभूति की नहीं, सहयोग और सम्मान की जरूरत होती है।
विश्व दिव्यांग दिवस पर उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू द्वारा सर्वश्रेष्ठ दिव्यांग खिलाड़ी नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित पैरा-तैराक सतेन्द्र सिंह को मध्यप्रदेश के सर्वोच्च खेल अवॉर्ड विक्रम से भी नवाजा जा चुका है। लोहिया ने ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में ओलम्पिक स्वीमिंग एनएसडब्ल्यू-2017 स्टेट ओपन चैम्पियनशिप में भारत के लिए स्वर्ण-पदक जीता था। उन्होंने मई-2017 में ओपन वाटर सी-स्वीमिंग फीट ऑफ 33 किलोमीटर को पार किया था।
लोहिया ने 24 जून, 2018 को इंग्लिश चैनल स्वीमिंग में पैरा-स्वीमिंग रिले टीम के माध्यम से कीर्तिमान स्थापित किया था और 18 अगस्त, 2019 को कैटलीना इंग्लिश चैनल पार कर इतिहास रचा था। राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में सतेन्द्र ने मध्यप्रदेश के लिए 12 रजत एवं आठ कांस्य पदक हासिल किए हैं। सतेन्द्र सिंह के इस मुकाम तक पहुंचने में डा. वी.के. डबास का सबसे बड़ा योगदान है। डा. डबास ने देश को दर्जनों दिव्यांग तैराक दिए हैं। डा. डबास ने खेल रत्न दीपा मलिक को भी तैराकी के गुर सिखाए हैं। सतेन्द्र सिंह के जांबाजी भरे करिश्मों को बिहार के सासाराम में रहने वाली डा. रीभा तिवारी ने अपनी पुस्तक दिव्यांगता एक वरदान में भी प्रमुखता से प्रकाशित किया है।