जोश और जज्बे से नया मुकाम बनाती फरीन कुरैशी
मुस्लिम समाज के लिए बनी नजीर
मनीषा शुक्ला
कानपुर। इंसान की जिन्दगी उस नाव की तरह है जो समय की धारा में अपने आप बहने लगती है। कभी-कभी समय की धारा अपने हिसाब से जहां नाव का रुख मोड़ देती है वहीं कुछ लोग ऐसे होते हैं जोकि अपनी पतवार से नाव को अपनी मनचाही जगह पर ले जाने में सफल होते हैं। कानपुर की युवा स्पोर्ट्स टीचर फरीन कुरैशी भी उन्हीं में से एक हैं। फरीन की खेलों में हासिल उपलब्धियां बेशक ताली पीटने वाली न हों लेकिन मुस्लिम समाज की इस बेटी ने अपने जोश और जज्बे से अपनी मनचाही मंजिल की तरफ बढ़ने में जरूर सफलता हासिल की है।
खेलों में बेटियों की राह कभी आसान नहीं रही। फरीन कुरैशी जैसी बेटियों ने अपनी लगन और मेहनत से उस समाज को आईना दिखाया है जिसे बेटियों के खेलने से हमेशा गिला-शिकवा रहा है। फरीन कुरैशी के माता-पिता बधाई के पात्र हैं जिन्होंने अपनी बेटी को खेल के क्षेत्र में जाने के लिए प्रेरित किया। फरीन अपने स्कूल जीवन से ही खेलों के प्रति समर्पित रही हैं। फरीन ने कानपुर के उस के.के. कालेज से हाईस्कूल (2008) और इंटरमीडिएट (2010) की तालीम हासिल की जोकि खेल के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है। फरीन कुरैशी ने 2014 में जुहारी देवी गर्ल्स पी.जी. कालेज से स्नातक करने के बाद 2016 में अवध यूनिवर्सिटी से बीपीएड किया तथा 2018 में जुहारी देवी गर्ल्स पी.जी. कालेज से परास्नातक की शिक्षा पूरी की। फरीन कुरैशी वर्तमान में साउथ सिटी पब्लिक स्कूल नौबस्ता, कानपुर में स्पोर्ट्स टीचर के पद पर सेवाएं देने के साथ प्रयाग यूनिवर्सिटी से योगा की भी तालीम हासिल कर रही हैं।
शिक्षा के साथ फरीन कुरैशी ने एक खिलाड़ी के तौर पर फुटबाल, क्रिकेट, हाकी, खो-खो आदि खेलों में जिला, राज्य और यूनिवर्सिटी स्तर पर अपने बेजोड़ खेल से अनगिनत सफलताएं हासिल की हैं। फरीन से प्रशिक्षण हासिल प्रतिभाएं फिलवक्त खेलों में राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर अपने कौशल का शानदार प्रदर्शन कर रही हैं। देखा जाए तो आज फरीन कुरैशी जैसी युवा बेटियां यदि लगातार सफलता के मार्ग पर आगे बढ़ रही हैं तो इसके पीछे इनकी दृढ़ इच्छाशक्ति ही प्रमुख कारण है। खेलपथ से बातचीत करते हुए फरीन कहती हैं जब हम अपनी इच्छा को पूर्ण करने के लिए जी-जान से जुटते हैं तो वह कब पूरी हो जाती हैं, पता ही नहीं चलता। हां, कभी-कभी हमारे जीवन की नैया एक ऐसे भंवर में फंस जाती है कि हम चाहकर भी कुछ नहीं कर पाते। कभी ऐसा भी होता है कि समय या फिर परिस्थितियों का एक तेज बहाव आता है और हमारे जीवन की नैया उस बहाव में बहने लगती है। यह सब इतनी तेजी से होता है कि हम कुछ सोच-समझ ही नहीं पाते हैं।
फरीन कुरैशी कहती हैं मैंने अपने करियर में देखा है कि लगातार प्रयास करने से सफलता मिलने की सम्भावना बढ़ जाती है। यह जरूरी नहीं कि हमें जिन्दगी में सब कुछ हासिल हो जाए लेकिन इसका अर्थ यह भी नहीं कि हमें जिन्दगी में कुछ हासिल नहीं होगा। इसलिए जिन्दगी में हमेशा कुछ ऐसा होना चाहिए जिसे हम हासिल करने की कोशिश करते रहें। जो भी हो फरीन कुरैशी जैसी उत्साही बेटियों को यदि घर-परिवार और समाज से पर्याप्त प्रोत्साहन मिले तो हमारे देश की खेलों में तस्वीर जरूर बदल सकती है।