खेल और शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में विनीता की दखल

आसान नहीं था गांव से शहर में जगह बनाना

मनीषा शुक्ला

कानपुर। गांव की बेटियों को भी अब पर लगना शुरू हो गए हैं। अब वे अपनी प्रतिभा और कड़ी मेहनत की बदौलत हर क्षेत्र में न केवल दखल दे रही हैं बल्कि सफलता के नए आयाम भी स्थापित कर रही हैं। एस्कार्ट्स वर्ल्ड स्कूल की शारीरिक शिक्षक विनीता यादव ने खेलों में अपने प्रदर्शन तो पढ़ाई में अपनी कुशाग्रबुद्धि से एक अलग पहचान बनाई है। विनीता कई खेल संगठनों से जुड़कर बालक-बालिकाओं को खेलों की तरफ लगातार प्रेरित करने के साथ राष्ट्रीय सेमिनारों में शिरकत कर खेलों की गूढ़ बातों को भी आत्मसात कर रही हैं।  

कहते हैं कि यदि कुछ करने का जज्जा और इरादे बुलंद हों तो हर मुश्किल पर फतह हासिल की जा सकती है। खानचंद्रपुर रनियां गांव की रानी बिटिया विनीता यादव ने अपनी लगन और मेहनत से इस बात को सिद्ध कर दिखाया है कि गांव की बेटियां भी शहरों में धाक जमा सकती हैं। विनीता के लिए गांव से शहर तक का सफर आसान नहीं रहा है। विनीता यादव ने एकेएडी इंटर कालेज माती, कानपुर से इंटर तो महिला महाविद्यालय, किदवई नगर कानपुर से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। विनीता को चूंकि खेलों से लगाव रहा सो इन्होंने इसी क्षेत्र में करियर बनाने के मकसद से बीपीएड और एमपीएड की तालीम बीएनएसडी कालेज कानपुर से हासिल की।

एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाली विनीता के मन में अपने राज्य और देश का गौरव बढ़ाने का बचपन से ही सपना है। कोई भी लक्ष्य सपना देखने से ही हासिल नहीं होता इस बात का भान विनीता को बखूबी है। इंटर के बाद गांव से शहर आईं विनीता को महिला महाविद्यालय, किदवई नगर कानपुर में स्पोर्ट्स टीचर डा. दीपाली का भरपूर सहयोग और प्रोत्साहन मिला। विनीता ने पहली बार महिला महाविद्यालय में ही 100 और 200 मीटर में स्वर्णिम सफलता हासिल की। विनीता यहां एथलेटिक्स के अलावा कबड्डी, खो-खो, वालीबाल, हैण्डबाल, टेबल टेनिस तथा बैडमिंटन में भी हाथ आजमाती थीं लेकिन गांव की होने से इन्हें कबड्डी से बेहद लगाव रहा। विनीता बताती हैं कि मैंने अर्मापुर मैदान में वीरसिंह गहलोत और विनय कुमार से कबड्डी खेल के गुर सीखे और यहीं मेरा ट्रायल हुआ। मुझे टीम का कैप्टन बनाकर राज्यस्तरीय कबड्डी प्रतियोगिता के लिए मेरठ भेजा गया। विनीता बताती हैं कि इस साल उन्होंने सात राज्यस्तरीय प्रतियोगिताओं में शिरकत करने के साथ नार्थ जोन यूनिवर्सिटी खेलने शिमला गईं।

विनीता ने कबड्डी के अलावा एथलेटिक्स, फुटबाल, खो-खो, वालीबाल, हैण्डबाल, टेबल टेनिस तथा बैडमिंटन में भी राज्यस्तर पर अपने शानदार खेल की खूब धूम मचाई। विनीता कहती हैं कि वे खेलों में शिरकत करने के साथ-साथ अन्य प्रतिभाओं को भी खेल के गुर सिखाने लगीं। विनीता ने सबसे पहले कबड्डी के खिलाड़ी तैयार किए। इसके बाद इनसे प्रशिक्षण हासिल हैण्डबाल के आठ खिलाड़ियों का चयन फैजाबाद में हुई राज्यस्तरीय प्रतियोगिता के लिए हुआ। राज्यस्तर पर दमदार प्रदर्शन के चलते विनीता यादव के तीन शिष्यों का चयन नेशनल प्रतियोगिता के लिए किया गया। विनीता की कर्मठता को देखते हुए इन्हें हैण्डबाल एसोसिएशन और रजत आदित्य दीक्षित के करकमलों से सम्मानित होने का अवसर मिला। विनीता से प्रशिक्षण हासिल करने वाले कई छात्र-छात्राएं विभिन्न खेलों में राज्य व स्कूल नेशनल खेलों में हिस्सा ले चुके हैं। कई खेल संगठनों से जुड़ी विनीता यादव खेलपथ से बातचीत करते हुए कहती हैं कि मेरा एक ही मकसद है खिलाड़ियों को तैयार करना और उन्हें खेलों का सही रास्ता दिखाना।      

 

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