सैय्यद वफा अब्बास खेल प्रतिभाओं में देखते हैं अपना अक्स

आर्थिक तंगहाली ने तोड़ा बड़ा क्रिकेटर बनने का सपना

नूतन शुक्ला

कानपुर। मैंने बचपन से ही खेलों में अपने मादरेवतन का मान बढ़ाने का सपना देखा था। आर्थिक तंगहाली और इंजुरी के चलते मैं क्रिकेट में देश का प्रतिनिधित्व तो नहीं कर सका लेकिन अब मुझे स्कूली बच्चों में अपना अक्स दिखाई देता है। मुझे भरोसा है कि एक न एक दिन कोई शिष्य हमारे अधूरे सपने को जरूर पूरा करेगा। यह कहना है कानपुर में खेलों के लिए पूरी तरह समर्पित स्पोर्ट्स टीचर और प्रशिक्षक सैय्यद वफा अब्बास का।  

बचपन में एक बड़ा खिलाड़ी बनने का ख्वाब लेकर मैदान में उतरे सैय्यद वफा अब्बास में प्रतिभा की कोई कमी नहीं थी। सैय्यद वफा अब्बास में प्रतिभा है इस बात की परख पहली बार यदि किसी ने की तो वह कोई और नहीं जे. ज्वाय सर हैं। सच भी है हीरे की पहचान सिर्फ एक जौहरी ही कर सकता है। क्राइस्ट चर्च कालेज के स्पोर्ट्स टीचर जे. ज्वाय सर पहली ही नजर में सैय्यद वफा अब्बास की प्रतिभा के कायल हो गए थे। उन्होंने ही अब्बास को खेलों की तरफ प्रेरित किया। जे. ज्वाय सर की प्रेरणा और प्रोत्साहन से सैय्यद वफा अब्बास अच्छा क्रिकेटर बनने की तरफ कदम बढ़ा ही रहे थे कि एक इंजुरी और आर्थिक तंगहाली ने उनके कदमों को ब्रेक लगा दिए।

सैय्यद वफा अब्बास बताते हैं कि जे. ज्वाय सर के प्रोत्साहन और मार्गदर्शन के बाद मैंने प्रोफेशनल एकेडमी पालिका स्टेडियम कानपुर में प्रवेश ले लिया। यहां एकेडमी के प्रशिक्षक जफर आलम ने मुझे क्रिकेट की बारीकियों से रूबरू कराया। जफर आलम सर से मैंने काफी कुछ सीखा और अपनी कमियों को भी दूर किया। अंततः मुझे उत्तर प्रदेश की अण्डर-17 टीम से खेलने का अवसर मिला तो अण्डर-19 और अण्डर-22 कैम्प में भी रहा। अब्बास दो बार कानपुर यूनिवर्सिटी क्रिकेट टीम में भी रहे।

मेंकराबर्टगंज कालोनी कानपुर निवासी अब्बास बताते हैं कि एक बड़ा खिलाड़ी बनने का सपना टूटता देख मैंने अच्छी तालीम हासिल करने का मन बना लिया। मैंने क्राइस्ट चर्च कालेज से इंटर करने के बाद वी.एस.एस.डी. कालेज कानपुर से स्नातक तथा डी.ए.वी. महाविद्यालय से परास्नातक किया। खेलों से नाता जुड़ा रहे इसके लिए मैंने सरस्वती बी.एड. महाविद्यालय रूमा कानपुर से बी.पी.एड. किया और शारीरिक शिक्षण के क्षेत्र में अपना करियर संवारने का निश्चय कर लिया।

सैय्यद वफा अब्बास 17 जुलाई, 2012 से मैरी जीसेस एज्यूकेशन सेण्टर में बतौर स्पोर्ट्स टीचर और प्रशिक्षक सेवाएं दे रहे हैं। वह कहते हैं कि खेल अब सिर्फ खेल नहीं रह गये बल्कि एक बड़ा व्यवसाय बन गये हैं। पिछले कुछ वर्षों में खेल क्षेत्र ने काफी तरक्की की है तथा यह काफी विविध भी हुआ है। आम लोगों की खेलों में बढ़ती रुचि के कारण ही आज प्रत्येक स्कूल में स्पोर्ट्स टीचर रखे जा रहे हैं। इतना ही नहीं, इस तरह के विशेषज्ञ तैयार करने के लिए स्पेशलाइज्ड कोर्स भी कराए जा रहे हैं। पहले सिर्फ एक ही टीचर विभिन्न खेलों के विषय में पढ़ाया करता था, परंतु अब विशेषज्ञ टीचर की मांग बढ़ गई है। सैय्यद वफा अब्बास एक अच्छे स्पोर्ट्स टीचर ही नहीं बल्कि अच्छे खेल प्रशिक्षक भी हैं।

अब्बास के बेहतरीन प्रशिक्षण से मैरी जीसेस एज्यूकेशन सेण्टर की अण्डर-14 की बेटियां सीआईएससीई की इण्टर स्कूल खो-खो प्रतियोगिता में 2014, 2015, 2017 में विजेता रही हैं। यहां की अण्डर-17 खो-खो टीम ने 2019 में स्वर्णिम सफलता हासिल करने में सफल रही तो अण्डर-19 फुटबाल टीम ने 2019 में तीसरा स्थान हासिल किया था। ओपन स्कूल एथलेटिक्स की मैराथन स्पर्धा में भी मैरी जीसेस की लड़कियां 2014 से 2017 तक चैम्पियन रही हैं। थ्रो बाल में अण्डर-19 की टीम 2018 में विनर तो 2019 में अण्डर-17 की टीम रनर-अप रही है। मैरी जीसेस एज्यूकेशन सेण्टर की बेटियां राज्यस्तरीय प्रतियोगिताओं में भी क्रिकेट और एथलेटिक्स में लगातार दमदार प्रदर्शन दिखा रही हैं। यहां की बेटियों ने 2019 की सीआईएससीई की अण्डर-19 आयु वर्ग की नेशनल खो-खो स्पर्धा में चैम्पियन होने का गौरव हासिल किया तो ओपन नेशनल फुटबाल कैम्प के लिए एक छात्रा का चयन किया गया। यह कहने में जरा भी गुरेज नहीं कि सैय्यद वफा अब्बास खेलों के प्रति पूरी तरह से समर्पित शख्सियत हैं।   

  

 

 

 

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