स्वाती सिंह बच्चों को कर रहीं खेलों से जोड़ने का प्रयास
हैमर थ्रो में बना चुकी हैं मीट रिकार्ड
श्रीप्रकाश शुक्ला
लखनऊ। खेल ही मेरी जिन्दगी है। सुबह-शाम मैदानों में ही कटती है। मैदानों की सोंधी खुशबू मुझे कुछ इस तरह रास आ गई है कि लगता है खेल ही सब कुछ है। बच्चों को खेलों से जोड़ना ही मेरे जीवन का एकमात्र लक्ष्य बन गया है। मैं चाहती हूं कि उत्तर प्रदेश का कोई एथलीट ओलम्पिक में पोडियम तक पहुंचे। यह कहना है लखनऊ के एमिटी इंटरनेशनल स्कूल की स्पोर्ट्स टीचर और नेशनल हैमर थ्रोअर स्वाती सिंह का।
स्वाती सिंह मूलतः कानपुर की रहने वाली हैं। इन्होंने 1999 से खेलों की शुरुआत की और 2003 में वॉलीबाल में पहला नेशनल खेला। वॉलीबाल के साथ ही एथलेटिक्स में हाथ आजमाने वाली स्वाती सिंह का पसंदीदा खेल हैमर थ्रो है। इस खिलाड़ी बेटी ने 2003 में स्कूल नेशनल खेलों की हैमर थ्रो स्पर्धा में सहभागिता की और 2004 में चांदी का पदक जीतकर कानपुर ही नहीं समूचे उत्तर प्रदेश को गौरवान्वित किया। इस सफलता के बाद स्वाती सिंह 2009 तक लगातार नेशनल स्पर्धाओं में न केवल अपने कौशल और दमखम का परिचय देती रहीं बल्कि दर्जनों मेडल के साथ नेशनल रिकार्ड भी अपने नाम किया।
स्वाती सिंह बताती हैं कि 2010 में मेरी शादी हो गई लेकिन खेलों का जुनून कायम रहा। शादी के बाद मैंने 2011 में सीनियर नेशनल में भाग लिया। उसके बाद घर की जिम्मेदारियों के चलते खेलों में विराम लग गया। हर खिलाड़ी की तरह मेरा भी सपना था कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मैं अपने देश का प्रतिनिधित्व करूं और मेडल जीतूं। खेल छूटने का मुझे बेहद मलाल था लेकिन मैं कुछ नहीं कर सकती थी। खैर, मैंने परिस्थितियों से समझौता करने के बाद निश्चय किया कि अब वह नई पीढ़ी को खेलों की तरफ प्रोत्साहित करेंगी। इसी उद्देश्य को लेकर स्वाती सिंह ने 2013 में कानपुर के महाराणा प्रताप इण्टर कालेज में स्पोर्ट्स टीचर की नौकरी शुरू की और छात्र-छात्राओं को न केवल खेलों के प्रति प्रेरित किया बल्कि अपने प्रशिक्षण से दर्जनों खिलाड़ी तैयार किए।
अपने शानदार और दमदार प्रदर्शन से कई स्टेट मीट रिकार्ड्स बनाने वाली स्वाती सिंह 2017 से एमिटी इंटरनेशनल स्कूल लखनऊ में बतौर स्पोर्ट्स टीचर कार्यरत हैं। वह सुबह-शाम छात्र-छात्राओं को न केवल खेलों के महत्व से अवगत कराती रहती हैं बल्कि उन्हें खेलों में सफलता के मूलमंत्र भी बताती हैं। स्वाती कहती हैं कि उत्तर प्रदेश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। यदि सरकार और उद्योगपति खेलों पर पर्याप्त ध्यान दें तो यहां के खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश का नाम रोशन कर सकते हैं। स्वाती सिंह कहती हैं कि खेलों में यदि भारत को महाशक्ति बनना है तो स्कूल स्तर से ही खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया जाना जरूरी है। स्वाती कहती मैं ताउम्र खिलाड़ियों को खेलों के प्रति प्रेरित करती रहूंगी। मैं चाहती हूं कि ओलम्पिक में उत्तर प्रदेश के खिलाड़ी भारत का परचम फहराएं।