हाकी और फुटबाल में बसती है धीरेन्द्र कुमार सिंह की जान
तीन दशक से सुबह-शाम खिलाड़ियों की प्रतिभा रहे निखार
नूतन शुक्ला
कानपुर। खेल कोई भी हो जब तक कुशल प्रशिक्षक नहीं होगा खिलाड़ियों की प्रतिभा में कतई निखार नहीं आ सकता। इसी बात को अपना मूलमंत्र मानते हुए कानपुर के हाकी और फुटबाल प्रशिक्षक धीरेन्द्र कुमार सिंह सुबह-शाम खिलाड़ियों की प्रतिभा को नया आयाम दे रहे हैं। हाकी और फुटबाल के चितेरे धीरेन्द्र कुमार की अथक मेहनत और जुनून का ही नतीजा है कि उनसे प्रशिक्षण हासिल कई खिलाड़ी राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर आज कानपुर का नाम रोशन कर रहे हैं। सच्चाई यह है कि धीरेन्द्र कुमार सिंह की जान ही अब हाकी और फुटबाल में बसती है।
खेल-कूद व्यक्ति के जीवन का अहम हिस्सा है। यह हमारी शिक्षा का एक अभिन्न अंग है क्योंकि शिक्षा का अभिप्राय केवल किताबी ज्ञान से नहीं होता अपितु इसके अंतर्गत खेल-कूद का ज्ञान भी आवश्यक है। शिक्षा का अर्थ मानसिक विकास के साथ-साथ शारीरिक विकास से भी होता है। कहा भी जाता है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है। शिक्षा और खेलों का एक-दूसरे के बिना कोई महत्व नहीं है। ये दोनों ही एक-दूसरे के बिना अपंग हैं। सुबह-शाम हाकी और फुटबाल खिलाड़ियों की प्रतिभा निखारना ही जिसका धर्म हो ऐसे प्रशिक्षक को समाज के साथ सरकारी मदद मिलना भी जरूरी है। जब तक प्रशिक्षकों की कद्र नहीं होगी तब तक खेलों का समुन्नत विकास नहीं हो सकता।
प्रशिक्षक धीरेन्द्र कुमार सिंह की जहां तक बात है इन्होंने क्राइस्ट चर्च महाविद्यालय से दो विषयों (अर्थशास्त्र और समाज शास्त्र) में स्नातकोत्तर उपाधि हासिल करने के बाद लखनऊ से बीपीएड और एमपीएड किया। श्री सिंह ने गांधीनगर (गुजरात) से योगा में एनआईएस करने के बाद ही संकल्प कर लिया था कि वह शेष जीवन पुश्तैनी खेल हाकी और दुनिया के नम्बर एक खेल फुटबाल के विकास में होम करेंगे। श्री सिंह की इस मंशा के पीछे कानपुर का नाम उत्तर प्रदेश ही नहीं समूचे देश में खेल के क्षेत्र में गौरवान्वित करने का है। श्री सिंह वर्ष 1989 से खिलाड़ी छात्र-छात्राओं की प्रतिभा निखार रहे हैं। इन्होंने दो साल शिलिंग हाउस व यूनाईटेड पब्लिक स्कूल के खिलाड़ियों की प्रतिभा निखारी उसके बाद पिछले तीन दशक से वह पूर्णचंद्र विद्या निकेतन में छात्र-छात्राओं को हाकी व फुटबॉल का प्रशिक्षण दे रहे हैं। श्री सिंह ने कुछ साल खो-खो खिलाड़ियों को भी प्रशिक्षित किया।
श्री सिंह से प्रशिक्षण हासिल सैकड़ों छात्र-छात्राएं अब तक राज्य व राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग ले चुके हैं। श्री सिंह का स्कूली जीवन से ही खेलों से लगाव रहा है। वह स्कूल, कालेज व नगर की टीमों से हाकी व फुटबॉल में राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का कौशल दिखा चुके हैं। अपने प्रशिक्षण कार्यकाल पर धीरेन्द्र कुमार सिंह का कहना है कि हमारे यहां खेल संस्कृति का अभाव है। अभिभावक भी खेलों में रुचि नहीं लेते। हाकी और फुटबाल चूंकि टीम खेल हैं इसलिए एक मजबूत टीम तैयार करना आसान नहीं होता। हम निरंतर कोशिश कर रहे हैं कि पुश्तैनी खेल हाकी में हमारी बादशाहत फिर से कायम हो।
श्री सिंह कहते हैं कि खेल मनुष्य को प्रगति की राह पर अग्रसर करते हैं। सारा दिन पढ़ाई और खेल-कूद का अभाव बच्चे को तनावग्रस्त और बेकार बना देता है। बच्चों को किताबी कीड़ा न बनाकर उनके सम्पूर्ण विकास के लिए स्कूलों में खेलों को भी एक विषय के रूप में पढ़ाया जाना चाहिए। इसलिए स्कूलों में विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। हमारे समाज को शिक्षा के साथ-साथ खेलों का महत्व समझना चाहिए तथा खेलों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए।