गलतफहमी में छिनी बेगुनाह हाकी गुरु की रोजी

पहले पुत्र मौत का सदमा, अब नौकरी जाने की वेदना

श्रीप्रकाश शुक्ला

ग्वालियर। ऐ भगवान तेरे घर भी इंसाफ नहीं होता। पहले तो एक पिता से पुत्र छीना और अब उसकी नौकरी भी छीन ली। भगवान आप ही बताओ कि आखिर उसका दोष क्या है और उसने क्या गुनाह किया है? दिन-रात हाकी की बेहतरी का सपना देखने वाला सुयोग्य, कर्तव्यनिष्ठ हाकी प्रशिक्षक संजीव आज दर-दर की ठोकरें क्यों खा रहा है? जिस शख्स की नौकरी जाने पर कन्नौज जिले के सम्पूर्ण सौरिख हरिभानपुर का बच्चा-बच्चा रोया हो, विधायक और ग्रामीणों ने डीएम साहब से फरियाद की हो उसे आखिर इंसाफ क्यों नहीं मिला? हाकी गुरु और उसके निराश बूढ़े माता-पिता के चेहरे पर आखिर कब मुस्कान लौटेगी?

उत्तर प्रदेश के शिकोहाबाद जिला फिरोजाबाद निवासी 35 वर्षीय संजीव कुमार की जहां तक बात है इन्होंने बचपन से ही पुश्तैनी खेल हाकी के गिरते स्तर को ऊंचा उठाने की कसम खा ली थी। एलएनआईपीई ग्वालियर से बीपीई तथा एमपीएड करने के बाद संजीव ने भारतीय महिला हाकी टीम के पूर्व प्रशिक्षक बासु थपियाल की देखरेख में बेंगलूर से एक साल का एनआईएस डिप्लोमा किया। हाकी प्रशिक्षण में उच्च तालीम हासिल करने के बाद संजीव ने 2010-11 में एलएनआईपीई ग्वालियर में हाकी का डिप्लोमा हासिल करने वाले छात्र-छात्राओं को हाकी के गुरु सिखाए। मध्य प्रदेश से अपने घर लौटने के बाद संजीव कुमार ने उत्तर प्रदेश खेल विभाग में नौकरी के प्रयास किए और उन्हें मैनपुरी में हाकी की प्रतिभाओं को निखारने का बतौर प्रशिक्षक मौका मिल गया। संजीव ने मैनपुरी, फिरोजाबाद के बाद अलीगढ़ में हाकी की नर्सरी लगाई जिसमें दर्जनों ऐसे खिलाड़ी निकले जिन्होंने प्रदेश स्तर पर अलीगढ़ सम्भाग का प्रतिनिधित्व किया।

जब संजीव के जीवन में सब कुछ ठीकठाक चल रहा था ऐसे समय में उन्हें वर्ष 2019 में कन्नौज जिले के सौरिख हरिभानपुर स्थित स्टेडियम में सेवा का अवसर मिला। यहां हाकी खेल की बात तो दूर लोगों ने कभी हाकी देखी भी नहीं थी। जमीन से जुड़े संजीव ने गांव-गांव जाकर न केवल हाकी की अलख जगाई बल्कि कई ऐसी प्रतिभाओं को खोज निकाला जिनमें हाकी सीखने की ललक थी। अपनी मेहनत और लगन से बहुत ही कम समय में संजीव ने लोगों के दिलों में जगह बना ली। 14 और 15 अगस्त को जिला क्रीड़ाधिकारी के मार्गदर्शन तथा जिलाधिकारी की उपस्थिति में संजीव कुमार द्वारा खेल प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं जिनकी हर किसी ने तारीफ की। दो अक्टूबर को उन्होंने पहली बार स्टेडियम में हाकी का मैच कराया तो दीपावली में अपने पैसे से क्रीड़ांगन को रोशन कर विशेष छाप छोड़ी। 17 अगस्त की सुबह संजीव ने स्टेडियम में प्रतिभाओं को हाकी के गुर सिखाए। इसी दिन दोपहर को तत्कालीन जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार तथा पुलिस अधीक्षक अमरेंद्र सिंह द्वारा स्टेडियम का औचक निरीक्षण किया गया, जिसमें क्रीड़ा अधिकारी सहित सभी लोग अनुपस्थित पाए गए।

कहते हैं कभी-कभी जौ के साथ घुन भी पिस जाता है। 17 अगस्त को संजीव के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। दरअसल, जिलाधिकारी के निरीक्षण में मुद्दा अनुपस्थित कर्मचारियों का नहीं बल्कि स्पोर्ट्स स्टेडियम की दुर्दशा का था। गलतफहमी ही कहेंगे कि उस दिन जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार ने क्रीड़ा अधिकारी रमेश पाल, हॉकी कोच संजीव कुमार, क्रिकेट कोच अमित कुमार के खिलाफ तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित की जबकि हॉकी प्रशिक्षक संजीव सुबह के सत्र में ही बच्चों को प्रशिक्षण देकर घर जा चुके थे। देखा जाए तो प्रशिक्षकों का कार्य सुबह और शाम को होता है, ऐसे में बेगुनाह संजीव को सेवा से पृथक किया जाना समझ से परे है।

हास्यास्पद बात तो यह है कि जिलाधिकारी का निरीक्षण 17 अगस्त को होने के बाद संजीव कुमार को ढाई माह बाद उप-क्रीड़ाधिकारी द्वारा सेवामुक्त किए जाने का परवाना थमाया गया, वह भी हस्तलिखित। हाकी प्रशिक्षक संजीव कुमार बेगुनाह हैं, इस बात की आवाज तिर्वा के भाजपा विधायक कैलाश सिंह राजपूत तथा गांव सौरिख हरिभानपुर स्थित स्पोर्ट्स स्टेडियम क्षेत्र के 50 से अधिक ग्रामीण जिलाधिकारी से कर चुके हैं। विधायक कैलाश सिंह राजपूत ने नौ दिसम्बर, 2019 को लिखे अपने पत्र में हाकी प्रशिक्षक संजीव को बेहद परिश्रमी, अनुशासित तथा नियमित प्रशिक्षण देने वाला बताया है। विधायक राजपूत ने हाकी प्रशिक्षक के बचाव में यह पत्र राष्ट्रपति, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, खेलमंत्री, सांसद कन्नौज, खेल सचिव तथा जिलाधिकारी कन्नौज को प्रेषित किए हैं। कन्नौज के तत्कालीन जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार ने भी माना है कि हाकी प्रशिक्षक संजीव कुमार निर्दोष हैं, उसके साथ जो हुआ वह गलतफहमी में हुआ है। जिस शख्स को हर व्यक्ति बेगुनाह मान रहा हो उसे यथासमय न्याय नहीं मिला तो उसकी उम्मीदें टूट जाएंगी और खेल विभाग भी अपना एक संजीदा प्रशिक्षक खो देगा।               

 

  

 

 

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