एशिया के नायाब तैराक मिहिर सेन
वकालत छोड़ बने थे तैराक
1958 में इंग्लिश चैनल तैरकर पार करने वाले मिहिर सेन भारत के ही नहीं बल्कि एशिया के पहले तैराक थे, जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की थी। पेशे से वकील मिहिर ने सॉल्ट वाटर तैराकी में पांच महत्वपूर्ण रिकॉर्ड बनाए थे। 16 नवंबर, 1930 को पश्चिम बंगाल में जन्मे मिहिर सेन ने ओडि़शा में कानून से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। आगे की पढ़ाई के लिए वह इंग्लैंड चले गए। वकालत के दौरान ही उन्हें इंग्लिश चैनल पार करने का जुनून चढ़ा और 27 सितंबर, 1958 को इंग्लिश चैनल तैरकर पार करने में आखिर सफल हुए। उन्होंने 14 घंटे 45 मिनट में अपना लक्ष्य हासिल किया।
इंग्लिश चैनल पार करने के बाद मिहिर ने श्रीलंका के तलाईमन्नार से भारत के धनुषकोटि तक 25 घंटे 44 मिनट में टारगेट पूरा किया। इसके बाद मिहिर ने 24 अगस्त, 1966 को आठ घंटे एक मिनट में जिब्राल्टर डार-ई-डेनियल को पार किया। यह चैनल स्पेन और मोरक्को के बीच है। जिब्राल्टर को तैरकर पार करने वाले मिहिर सेन पहले एशियाई तैराक थे। पनामा नहर को उन्होंने दो चरण में 34 घंटे 15 मिनट में पार किया था। मिहिर को 1959 में पद्मश्री और वर्ष 1967 में पद्मभूषण पुरस्कार से नवाजा गया था।