राष्ट्रीय खिलाड़ी सिर्फ दो लाख का !
मध्य प्रदेश सरकार और खेल विभाग को लानत
श्रीप्रकाश शुक्ला
ग्वालियर। देश की युवा तरुणाई को खेलों की तरफ प्रोत्साहित करने के लिए केन्द्र सरकार खेलो इंडिया तो मध्य प्रदेश सरकार हम छुएंगे आसमान का लगातार झुनझुना बजा रही है। सहखर्ची के मामले में मध्य प्रदेश खेल एवं युवा कल्याण विभाग देशभर में पहले स्थान पर है। मध्य प्रदेश के प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को मदद के नाम पर बेशक फूटी कौड़ी नसीब न होती हो लेकिन नाम की खातिर अब तक खेल एवं युवा कल्याण विभाग बाहरी राज्यों के खिलाड़ियों को कई करोड़ रुपये बख्शीस के रूप में बांट चुका है। एक तरफ मध्य प्रदेश के चार उदीयमान हाकी खिलाड़ियों की मौत से देश मर्माहत है तो दूसरी तरफ प्रदेश सरकार ने मृतक खिलाड़ियों के परिवारों को दो-दो लाख रुपये की सहायता देने की घोषणा करके समूचे खेल समाज का उपहास उड़ाया है। कमलनाथ जी जिस प्रदेश में एक राष्ट्रीय खिलाड़ी की कीमत सिर्फ दो लाख रुपये होगी वहां अभिभावक अपने बच्चों को खेलों की तरफ प्रोत्साहित क्यों करेगा?
मध्य प्रदेश में खेलों का बजट दो अरब रुपये से अधिक का है। यह खेल बजट कैसे और किन मामलों में खर्च होता है, यह तो विभाग के खेलनहार ही जानें। सोमवार को भारतीय हाकी का भविष्य कही जाने वाली चार उदीयमान प्रतिभाओं का असमय काल के गाल में समाना और मध्य प्रदेश सरकार द्वारा उनकी मौत की कीमत दो-दो लाख रुपये लगाया जाना मेरी समझ से परे है। माना कि इस हादसे में दिवंगत आदर्श हरदुआ (इटारसी), अनिकेत वरुण (ग्वालियर), आशीष लाल (जबलपुर) और शाहनवाज हुसैन (इंदौर) गरीब के बच्चे थे, लेकिन यह बच्चे राष्ट्र ही नहीं अपने माता-पिता का भविष्य और उनकी आंख का तारा भी थे।
एक तरफ चार घरों के चिराग असमय गुल हो जाने से माता-पिता व परिजन शोकाकुल हैं तो दूसरी तरफ दुर्घटना में घायल शान ग्लैडविन (इटारसी), साहिल चौरे (इटारसी) और अक्षय अवस्थी (ग्वालियर) के परिजन अपने बच्चों के शीघ्र स्वस्थ होने की ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं। यह तीनों खिलाड़ी अभी भी जीवन-मौत से संघर्ष कर रहे हैं। दुखद क्षणों में जब शोकाकुल परिवारों को सांत्वना देने की जरूरत है, ऐसे समय में संचालक खेल डा. एस.एल. थाउसेन का इनकी याद में प्रतिवर्ष टूर्नामेंट कराए जाने की घोषणा करना ओछी मानसिकता का ही सूचक है। देखा जाए तो भारत में खेलों का संरक्षण, नियमन और नियंत्रण केन्द्रीय मंत्री द्वारा संचालित युवा मामलों और खेल मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय खेल फेडरेशन करते हैं लेकिन इस अपूरणीय क्षति के लिए अभी तक हाकी इंडिया ने संवेदना तक नहीं जताई है।
अफसोस और दुख की बात तो यह है कि मध्य प्रदेश सरकार मौत पर भी राजनीति करती है। प्रदेश सरकार दो सामान्य व्यक्तियों के तालाब में डूबकर मर जाने पर उनके परिजनों को 25-25 लाख रुपये देती है लेकिन राष्ट्रीय खिलाड़ियों की मौत पर सिर्फ दो-दो लाख रुपये देने की घोषणा करके समूचे खेल जगत का अपमान करती है। देखा जाए तो मध्य प्रदेश का प्रत्येक मंत्री ही महीने में दो लाख रुपये से अधिक की चपत सरकारी खजाने को यात्रा-भत्ता के रूप में लगा देता है।
एकेडमी के जवाबदेह पदाधिकारियों पर हो एफआईआर
मुख्यमंत्री कमलनाथ को इस प्रकरण को हल्के में न लेते हुए मध्य प्रदेश राज्य पुरुष हाकी एकेडमी भोपाल के मुख्य प्रशिक्षक, सहायक प्रशिक्षक तथा निदेशक एकेडमी के खिलाफ प्रकरण दर्ज कराना चाहिए। इन एकेडमियों में क्या कुछ हो रहा है इसका संज्ञान लिया जाना सरकार का मुख्य दायित्व भी है। माना कि इस दुर्घटना की जांच के आदेश हो चुके हैं लेकिन खेल एवं युवा कल्याण विभाग हर जांच पर लीपापोती करने का आदी है, ऐसे में कमलनाथ को पारदर्शितापूर्ण कार्रवाई कर एक नजीर स्थापित करनी चाहिए। कमलनाथ जी एकेडमियों में कुछ भी अच्छा नहीं चल रहा। खिलाड़ियों की मौत, बिन ब्याही खिलाड़ी बेटियों का मां बनना छोटे मामले कतई नहीं हैं।