गौतम गंभीर के कार्यकाल में भारत ने आठ टेस्ट गंवाए

नतीजे निराशाजनक, भारत तीसरी टेस्ट श्रृंखला हारा

खेलपथ संवाद

गुवाहाटी। दक्षिण अफ्रीका ने बुधवार को गुवाहाटी में भारत को 2-0 से हराकर टेस्ट श्रृंखला अपने नाम की जिससे मेजबान टीम को मुख्य कोच गौतम गंभीर के मार्गदर्शन में तीसरी टेस्ट श्रृंखला में हार का मुंह देखना पड़ा। इस तरह गंभीर का 16 महीने का सफर उतार-चढ़ाव भरा रहा।

इस दौरान भारत को घरेलू मैदान पर न्यूजीलैंड से 0-3, ऑस्ट्रेलिया से उसकी सरजमीं पर 1-3 से और अब घरेलू मैदान पर दक्षिण अफ्रीका से 0-2 से हार मिली। इससे गंभीर का बतौर कोच टेस्ट कोचिंग रिकॉर्ड 19 मैच में सात जीत, 10 हार और दो ड्रॉ है जिसमें जीत का प्रतिशत महज 36.82 है। वह केवल डंकन फ्लेचर से आगे है जिनकी जीत का प्रतिशत 33.33 (39 टेस्ट में 13 जीत, 17 हार, 9 ड्रॉ) रहा है।

इन मैचों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:

1. बेंगलुरु : न्यूजीलैंड ने भारत को आठ विकेट से हराया

36 वर्षों में पहली बार भारत को घरले मैदान पर न्यूजीलैंड से टेस्ट में हार मिली। न्यूजीलैंड के तेज गेंदबाजों ने भारत को 46 रन पर समेट दिया। यह पहली बार था जब भारत घरेलू मैदान पर 50 से कम स्कोर पर ऑल आउट हुआ।

2. पुणे : न्यूजीलैंड ने भारत को 113 रन से हराया

न्यूजीलैंड के स्पिनरों ने भारत को बुरी तरह परेशान किया। मिचेल सैंटनर को एजाज पटेल और ग्लेन फिलिप्स का पूरा साथ मिला और उन्होंने तीन-टेस्ट श्रृंखला के दूसरे मैच में 13 विकेट लेकर भारत को हार तक पहुंचा दिया।

3. मुंबई : न्यूजीलैंड ने भारत को 25 रन से हराया

आर. अश्विन और रविंद्र जडेजा ने मिलकर दूसरी पारी में न्यूजीलैंड को 174 पर समेट दिया जिससे 147 रन का लक्ष्य आसान लग रहा था। ऋषभ पंत के 57 गेंद में 64 रन के बावजूद भारत पटेल (57 रन देकर छह विकेट) और फिलिप्स (42 रन देकर तीन विकेट) के सामने 121 रन पर ढेर हो गया।

4. एडिलेड : ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 10 विकेट से हराया

पर्थ में मिली 295 रन की जीत का जोश दूसरे दिन रात्रि टेस्ट में उतर गया। मिचेल स्टार्क (48 रन देकर छह विकेट) और ट्रेविस हेड (140) ने ऑस्ट्रेलिया को दबदबा बनाने में मदद की। दूसरी पारी में कप्तान पैट कमिंस (57 रन देकर पांच विकेट) ने भारत को समेट दिया और ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए मात्र 19 रन का लक्ष्य मिला जिसे उन्होंने बिना नुकसान के हासिल कर लिया।

5. मेलबर्न : ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 184 रन से हराया

ब्रिस्बेन में खराब मौसम ने भारत को संभावित हार से बचाया था। इसके बाद अश्विन ने तीसरे टेस्ट के बाद संन्यास ले लिया। चौथे टेस्ट में स्टीव स्मिथ के 140 के सहारे ऑस्ट्रेलिया ने लगभग 500 का स्कोर बनाया। पदार्पण करने वाले नीतीश कुमार रेड्डी के शतक के बावजूद भारत 100 से ज्यादा रन से पिछड़ गया। 340 के लक्ष्य का पीछा करते हुए केवल यशस्वी जायसवाल (208 गेंद पर 84 रन) थोड़ा टिके, लेकिन टीम 155 पर ढेर हो गई।

6. सिडनी : ऑस्ट्रेलिया ने भारत को छह विकेट से हराया

श्रृंखला में 1-2 से पीछे होने के बावजूद भारत के पास बराबरी का मौका था। लेकिन स्कॉट बोलैंड (31 रन देकर चार विकेट, 45 रन देकर छह विकेट) के सामने बल्लेबाजी बिखर गई। ऑस्ट्रेलिया ने शुरूआती विकेट गंवाने के बावजूद 162 का लक्ष्य आसानी से हासिल कर लिया।

7. कोलकाता : दक्षिण अफ्रीका ने भारत को 30 रन से हराया

एक साल में दूसरी बार भारतीय बल्लेबाज स्पिन के जाल में फंसे। साइमन हार्मर और उनके साथी मार्को यानसन ने भारत को 124 का छोटा लक्ष्य भी पार नहीं करने दिया। हार्मर ने मैच में आठ विकेट लिए और भारत 93 पर सिमट गया।

8. गुवाहाटी : दक्षिण अफ्रीका ने भारत को 408 रन से हराया

देश के नए टेस्ट स्थल पर यह भारत की रन अंतर से लिहाज से अब तक की सबसे बड़ी हार रही। मार्को यानसन ने 48 रन देकर छह विकेट लिए। दक्षिण अफ्रीका 288 रन की बढ़त लेकर उतरा और भारत के सामने 549 का विशाल लक्ष्य रखा। भारत एक बार फिर हार्मर (37 रन देकर छह विकेट) के सामने जूझता रहा और 140 पर ढेर हो गया।

हार के लिए किसी एक को दोष नहीं, पर पंत के आउट होने से गम्भीर नाराज

भारतीय कोच गौतम गंभीर ने दूसरे टेस्ट में दक्षिण अफ्रीका से मिली 408 रन की करारी हार के बाद किसी एक खिलाड़ी को दोष नहीं दिया लेकिन इतना जरूर साफ कर दिया कि वह भारत के कार्यवाहक कप्तान ऋषभ पंत के आउट होने के तरीके से बेहद खफा थे।

भारत एक विकेट पर 95 रन बनाकर अच्छी स्थिति में था लेकिन इसके बाद टीम ने लगातार विकेट गंवा दिए और स्कोर सात विकेट पर 122 रन हो गया जिसमें मार्को यानसन की गेंदबाजी अहम रही। पंत ने यानसन पर आक्रामक होकर खेलने की कोशिश की जबकि उस वक्त उन्हें संयम दिखाने की जरूरत थी और इसी शॉट को सबसे खराब माना जा रहा है। मैच के बाद प्रेस कान्फ्रेंस में गंभीर हमेशा की तरह तेवर में थे।

श्रृंखला 0-2 से गंवाने के बाद जब गंभीर से पूछा गया कि क्या उन्हें पंत से बेहतर की उम्मीद थी तो उन्होंने कहा कि आप किसी एक शॉट या किसी एक खिलाड़ी को दोष नहीं दे सकते। मैं कभी भी किसी एक खिलाड़ी पर बात नहीं करता, आज भी नहीं करूंगा। सच्चाई यही है कि हमें लाल गेंद के क्रिकेट में बहुत सुधार करना है। चाहे वह मानसिक हो, तकनीकी हो, दबाव झेलने की क्षमता हो, बलिदान देने की भावना हो, या टीम को खुद से ऊपर रखना हो और सबसे जरूरी, गैलरी को खुश करने के लिए नहीं खेलना।

यहां यह साफ था कि इशारा पंत की ओर ही है लेकिन जब एक सीनियर पत्रकार ने पूछा कि जवाबदेही कैसे तय होगी तो गंभीर ने बिल्कुल स्पष्ट संकेत दिया कि यह परवाह करने से आता है। आप ड्रेसिंग रूम की कितनी परवाह करते हैं, टीम की कितनी परवाह करते हैं क्योंकि जवाबदेही और मैच की परिस्थितियां पढ़ाई नहीं जा सकतीं। अगर आप मैदान में जाकर हमेशा खुद को टीम से आगे रखेंगे, कहेंगे कि मैं ऐसे ही खेलता हूं और मेरे पास ‘प्लान बी' नहीं है तो आपको इसी तरह बल्लेबाजी क्रम के चरमराना होता रहेगा।

गंभीर ने कहा कि आप भारतीय क्रिकेट की कितनी परवाह करते हैं और ड्रेसिंग रूम में बैठे लोगों की कितनी परवाह करते हैं, यह बहुत महत्वपूर्ण है। जो खिलाड़ी सफेद गेंद के क्रिकेट में अच्छा करते हैं, उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि उन्होंने लाल गेंद के क्रिकेट में क्या किया है। गंभीर ने लाल गेंद के क्रिकेट को प्राथमिकता देने की जरूरत पर जोर दिया। सफेद गेंद के क्रिकेट में रन बनते ही लोग टेस्ट में किए गए प्रदर्शन को भूल जाते हैं। ऐसा कभी नहीं होना चाहिए। मीडिया, हम, खेल प्रेमी सब टेस्ट क्रिकेट में किए गए प्रदर्शन को भूलने लगते हैं। हमें आगे काफी सफेद गेंद का क्रिकेट खेलना है। कोई 40 गेंद, 50 या 80 गेंद पर 100 भी मार दे। लेकिन सच्चाई यह है कि हमें लाल गेंद के क्रिकेट में और बेहतर होना है।

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