पदक न मिलता तो करियर का अंत कर देतीः पूजा रानी

भारत की बेटी ने विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता

भिवानी की जांबाज मुक्केबाज 70 किलो में उतरने की सोच रही

खेलपथ संवाद

नई दिल्ली। अनुभवी मुक्केबाज पूजा रानी ने सोच लिया था कि अगर विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में चौथी बार खेलते हुए वह पदक नहीं जीत पातीं तो दोबारा कोशिश नहीं करेंगी। लेकिन भिवानी की 34 वर्षीय इस मुक्केबाज को लिवरपूल में 80 किलो वर्ग में पोडियम पर खड़े होने का मौका मिला। पूजा ने कांस्य पदक जीतकर देश का गौरव बढ़ाया।

टोक्यो ओलम्पिक खेल चुकीं पूजा ने कहा, ‘इस बार भी मैंने खुद से कहा था कि अगर नहीं जीती तो दोबारा नहीं खेलूंगी।’ उन्होंने कहा, ‘मैं हमेशा अपना शत-प्रतिशत देती हूं लिहाजा हारने पर दिल टूट जाता है। मैंने पिछले चार पांच महीने से कड़़ा अभ्यास किया था और मुझे खुशी है कि मेहनत रंग लाई। मैं मार्च में राष्ट्रीय चैम्पियनशिप से ही अभ्यास कर रही हूं।’ चार बार एशियाई चैम्पियनशिप में पदक जीत चुकी पूजा सेमीफाइनल में इंग्लैंड की एमिली एस्कीथ से हार गईं लेकिन कांस्य पदक जीता।

उन्होंने कहा, ‘मैं बहुत खुश हूं। यह मेरी चौथी विश्व चैम्पियनशिप थी और मैंने पहली बार पदक जीता। यह खास है।’ कुछ साल पहले कंधे की चोट और एक बड़े टूर्नामेंट से ठीक पहले हाथ जलने के कारण पूजा के करियर पर खतरा पैदा हो गया था लेकिन उन्होंने टोक्यो ओलम्पिक से पहले वापसी की। उन्होंने 2019 और 2021 एशियाई चैम्पियनशिप में पदक जीते हालांकि टोक्यो में वह 75 किलोवर्ग के क्वार्टर फाइनल में हार गईं। फिर मई 2022 में पिता के निधन के बाद उन्होंने विश्व चैम्पियनशिप खेली लेकिन ब्रेक ले लिया।

फिर 2023 की शुरुआत में उनका विवाह हुआ और एक साल बाद रिंग पर लौटकर उन्होंने राष्ट्रीय खिताब जीता। ओलम्पिक कांस्य पदक विजेता लवलीना बोरगोहेन पेरिस ओलम्पिक में 75 किलो वर्ग में जगह बना चुकी थीं। पूजा ने पिछला एक साल 75 किलो से 80 किलो में जाने पर लगाया। अब उनकी नजरें 2028 लॉस एंजिलिस ओलम्पिक चक्र पर हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं सोच रही हूं कि अब 70 किलो वर्ग में चली जाऊं।’

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