पूजा सिंह ने ऊंची कूद में फहराया तिरंगा

पराली की बोरियों पर अभ्यास करने वाली बेटी का कमाल
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। सफलता के लिए मेहनत के साथ जुनून भी जरूरी है। इस बात को साबित किया है भारतीय एथलीट पूजा सिंह ने एशियाई एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर। एशियाई एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली पूजा सिंह ने 2019 में ऊंची कूद में स्पर्धा करने का फैसला किया था। शुरुआत में वह पराली से भरी बोरियों पर अभ्यास करती थी लेकिन शुक्रवार को 18 साल की इस जांबाज ने गोल्ड मेडल जीतकर यह साबित किया कि मेहनत कभी अकारथ नहीं जाती।
पूजा ने महिलाओं की ऊंची कूद में 1.89 मीटर की अपनी सर्वश्रेष्ठ कूद लगाकर गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने कहा कि सीनियर स्तर पर पहला पदक जीतना उनके लिए आसान नहीं था लेकिन इससे उनकी मेहनत का पुरस्कार मिल गया। पूजा ने भारतीय एथलेटिक्स महासंघ द्वारा आयोजित एक बातचीत में मीडिया से कहा, ‘मैंने 2017 में शुरुआत की और 2019 तक मैं योग और जिम्नास्टिक कर रही थी। मैंने कई स्पर्धाओं में भी हिस्सा लिया। 2019 में मैंने ऊंची कूद को चुना। मैं कड़ी मेहनत और संघर्षों के बाद यहां तक पहुंची हूं।’
इस एथलीट ने कहा कि पराली से भरे बोरों पर अभ्यास करने से उन्हें अंडर-16 स्तर पर राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ने में मदद मिली। उन्होंने कहा, ‘जब मैंने ऊंची कूद शुरू की तो मेरे पास ‘मैट’ नहीं था और मैं पराली और पराली से भरे बोरों पर अभ्यास करती थी। मैंने दो तीन साल तक ऐसा किया लेकिन फिर मुझे एक पुराना ‘मैट’ मिला, जिस पर अभ्यास करते हुए मैंने अंडर-16 रिकॉर्ड (1.76 मीटर) बनाया। इसके बाद से अंडर-18 में और अंडर-20 में सुधार हुआ है जिसमें मैं अभी हूं। मेरे कोच के साथ मुझे भी ऊंची कूद में अच्छा प्रदर्शन करने का भरोसा था।’
हेप्टाथलॉन में नंदिनी अगासरा ने भी जीता गोल्ड मेडल
वहीं, हेप्टाथलॉन में स्वर्ण पदक जीतने वाली नंदिनी अगासरा ने कहा कि 34.18 मीटर दूर भाला फेंकने के दौरान उन्हें कोहनी में दर्द महसूस हुआ जहां उन्हें पहले भी चोट लग चुकी है। नंदिनी ने कहा, ‘मैं 38-40 मीटर भाला फेंकने के बारे में सोच रही थी लेकिन कल चार स्पर्धाओं के बाद मुझे कोहनी में दर्द महसूस हुआ।’ गुलवीर सिंह ने 10000 मीटर में सफलता के बाद 5000 मीटर में स्वर्ण पदक जीता और कहा कि उनका ध्यान ‘टाइमिंग’ पर नहीं बल्कि पदक जीतने पर था। उन्होंने कहा, ‘लक्ष्य 10 किलोमीटर में स्वर्ण पदक जीतना था और पांच किलोमीटर की दौड़ में ‘टाइमिंग’ कोई मुद्दा नहीं था। कोचों ने कहा कि हम अगली प्रतियोगिता में समय पर ध्यान देंगे, लेकिन मुझे इस प्रतियोगिता में स्वर्ण जीतना था। इसके बाद विश्व चैम्पियनशिप है और मैं इसके लिए तैयारी करूंगा।’
100 मीटर दौड़ में ज्योति ने जीता गोल्ड
महिलाओं की 100 मीटर बाधा दौड़ में स्वर्ण पदक जीतने वाली ज्योति याराजी ने कहा कि वह व्यक्तिगत रिकॉर्ड में सुधार करना चाहती थीं। उन्होंने कहा, ‘मैं यहां पूरी तरह से फिट होकर आई हूं। मैंने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश की, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।’ महिलाओं की 3000 मीटर स्टीपलचेज में रजत पदक जीतने वाली पारुल चौधरी ने 10 दिन के समय में अपना राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ दिया। उन्होंने कहा, ‘मैं इस प्रतियोगिता में इसी सोच के साथ आयी थी। मुझे पता था कि 2022 की विश्व चैम्पियन यहां है और मैंने सोचा कि अगर मैं उसके साथ प्रतिस्पर्धा करूंगी तो मेरी ‘टाइमिंग’ अच्छी होगी।’