धावक ज्योति याराजी पुरानी तकनीक पर लौटीं

सौ मीटर बाधा दौड़ एथलीट की नजरें एशियाई स्वर्ण पर

खेलपथ संवाद

नई दिल्ली। भारत की एशियाई खेल रजत पदक विजेता सौ मीटर की बाधा दौड़ धावक ज्योति याराजी ने चोट लगने के बाद अपनी रनिंग तकनीक में बदलाव का इरादा छोड़ दिया है और अब उनकी नजरें पुरानी तकनीक के साथ एशियाई चैम्पियनशिप खिताब बरकरार रखने पर लगी हैं।

ज्योति याराजी दक्षिण कोरिया के गुमी में 27 से 31 मई तक होने वाली एशियाई चैम्पियनशिप में भाग ले रही भारत की 59 सदस्यीय टीम का हिस्सा हैं। उन्होंने 2023 में बैंकॉक में 100 मीटर बाधा दौड़ में स्वर्ण जीता था। उन्होंने टीम की रवानगी से पहले कहा, 'मैंने 2024 ओलंपिक से पहले तकनीक में बदलाव किया था, लेकिन दो बार चोट लग गई। मैंने और मेरे कोच जेम्स हिलियेर ने अब तय किया है कि पुरानी तकनीक ही जारी रखेंगे जिसमें बाधाओं के बीच आठ कदम उठाती हूं।' याराजी ने कहा, 'अगर मैं स्वस्थ और चोटमुक्त रही तो लगातार बेहतर प्रदर्शन कर सकूंगी और यही मेरा लक्ष्य है। मैं छोटी छोटी गलतियों से सबक लेकर उनमें सुधार करना चाहती हूं।'

ज्योति याराजी का जन्म 28 अगस्त, 1999 को हुआ। वह आंध्र प्रदेश की ट्रैक और फील्ड एथलीट हैं। वह 100 मीटर बाधा दौड़ में माहिर हैं तथा भारतीय राष्ट्रीय रिकॉर्ड रखती हैं। उन्होंने 10 मई 2022 को 13.23 सेकेंड का समय लेकर अनुराधा बिस्वाल का लम्बे समय से चला आ रहा रिकॉर्ड तोड़ा था। तब से वह कई बार रिकॉर्ड तोड़ चुकी हैं।

वहीं 5000 और 10000 मीटर में राष्ट्रीय रिकॉर्ड बना चुके गुलवीर सिंह ने कहा कि उनका लक्ष्य विश्व चैंपियनशिप के लिये क्वालिफाई करना है। उन्होंने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि कोरिया में विश्व चैम्पियनशिप के लिए क्वालिफाई कर सकूंगा। मैंने 5000 मीटर में क्वालिफिकेशन मार्क हासिल कर लिया है।'

 

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